जम्मू-कश्मीर में बाबा अमरनाथ की गुफा के पास बादल फटने की वजह से पांच लोगों की मौत हो गई जबकि कई अन्य लापता हैं. हादसा शाम करीब पांच बजे हुआ. बादल फटने की वजह से फ्लैश फ्लड आ गया जिसमें कई लोग बह गए. हालांकि यह संख्या कितनी है इस बारे में अभी कोई जानकारी नहीं है. मौके पर NDRF, CRPF, BSF स्थानीय प्रशासन बचाव कार्य में लगे हैं
घायलों को इलाज के लिए एयरलिफ्ट किया जा रहा है और अधिकारियों के मुताबिक अब स्थिति नियंत्रण में है. आईजीपी कश्मीर ने एक ट्वीट में कहा, "पवित्र गुफा में कुछ लंगर और तंबू बादल फटने से अचानक बाढ़ की चपेट में आ गए हैं. पुलिस, एनडीआरएफ और एसएफ द्वारा बचाव अभियान जारी है. घायलों को इलाज के लिए एयरलिफ्ट किया जा रहा है. स्थिति नियंत्रण में है."
क्यों सिर्फ पहाड़ों पर फटते हैं बादल
पर्वतीय क्षेत्रों में बादल फटना विशेष रूप से आम बात है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि पहाड़ की तलहटी में मौजूद गर्म हवा पहाड़ों से टकराकर जब ऊपर उठती है तो वहां मौजूद बादलों से टकराती है. इस तरह ज्यादा नमी वाले कई सारे बादल एक जगह इकट्ठा हो जाते हैं और बरस पड़ते हैं.सामान्य तौर पर धरती की सतह से 12 से 15 किलोमीटर की ऊंचाई पर बादल फटने की घटना होती है.
कैसे फटते हैं बादल
बादल फटने के कारण अचानक से बहुत भारी वर्षा होती है. अधिकांश तथाकथित बादल फटने का संबंध गरज के साथ होता है. इन तूफानों में हवा के हिंसक उभार होते हैं, जो कभी-कभी संघनित वर्षा की बूंदों को जमीन पर गिरने से रोकते हैं. इस प्रकार उच्च स्तर पर पानी की एक बड़ी मात्रा जमा हो सकती है और अगर ऊपर की धाराएं कमजोर हो जाती हैं तो यह पूरा पानी एक ही बार में गिर जाता है. आसान भाषा में कहें तो जब बादल भारी मात्रा में पानी लेकर चलते हैं और उनके रास्ते में कोई बाधा आ जाती है तो वे अचानक फट जाते हैं. इस स्थिति में कई लाख लीटर पानी एक साथ पृथ्वी पर एक सीमित क्षेत्र में गिरता है. इस दौरान लगभग 100 मिलीमीटर प्रति घंटा की दर से बारिश होती है.
इससे पहले 17 जून, 2013 को उत्तराखंड में चोराबाड़ी झील के उफनते किनारे पर अचानक बाढ़ आई थी. पानी के तेज बहाव में भारी मात्रा में गाद और चट्टानों बह गईं और कई सारे घर और रास्ते में आने वाली हर चीज नष्ट हो गई. वैसे तो बादल फटने की घटना इससे पहले भी कई बार हो चुकी है लेकिन पहली बार 1970 में वैज्ञानिक आधार पर इसे रिकॉर्ड किया गया था. मंडी जिले के बरोट में एक मिनट में 38.10 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई.