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Cloudburst: Himachal-Uttarakhand में तबाही का मंजर! कब और क्यों फटता है बादल, जानें बारिश में क्यों होती हैं ऐसी घटनाएं और कैसे बच सकते हैं इससे

what is Cloudburst: यदि अचानक 20-30 वर्ग किलोमीटर दायरे में 1 घंटे में 100 MM बारिश होती है तो इसे बादल फटना कहा जाता है. बादल फटने के बाद उस जगह पर भयावह स्थितियां पैदा हो जाती हैं. नदी और नालों में अचानक से पानी का स्‍तर बढ़ने के कारण बाढ़ जैसे हालात पैदा हो जाते हैं. 

Cloudburst (Photo: PTI) Cloudburst (Photo: PTI)
हाइलाइट्स
  • बादल फटने के दौरान एक जगह पर 1 घंटे में 100 MM होती है बारिश

  • पानी अपने मार्ग में पड़ने वाली सभी चीजों को ले जाता है बहाकर 

पूरे देश में मॉनसून सक्रिय हो चुका है. कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक बारिश हो रही है. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में गत बुधवार शाम से लेकर देररात तक जमकर बारिश हुई. यूपी-बिहार से लेकर राजस्थान में भी बारिश हुई. इसी बीच हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बादल फटने की भी घटना हुई हैं. इससे जान-माल को काफी नुकसान हुआ है. बचाव कार्य जारी है. आइए आज जानते हैं आखिर बादल फटना क्या है. कब, क्यों और कैसे यह फटता है. इससे बचने का तरीका क्या है.

क्या है बादल फटना
मौसम विज्ञान के मुताबिक यदि अचानक किसी एक जगह पर 20-30 वर्ग किलोमीटर दायरे में 1 घंटे में 100 मिलीमीटर (100 MM) बारिश (Rain) होती है तो इसे बादल फटना कहा जाता है. इसे वैज्ञानिक भाषा में क्लाउडबर्स्ट (Cloudburst) या फ्लैश फ्लड (Flash Flood) भी कहा जाता है. ये ठीक उसी तरह है जैसे पानी का गुब्‍बारा कहीं पर फोड़ दिया जाए तो अचानक से सारा पानी एक जगह गिर जाता है. बारिश का चरम रूप बादल फटना है. बादल फटने को मुहावरा के रूप में प्रयोग किया जाता है. 

कब फटता है बादल 
तापमान बढ़ने से बहुत ज्यादा नमी वाले बादल जब एक जगह एकत्र हो जाते हैं, तो वहां मौजूद पानी की बूंदे आपस में मिल जाती हैं. इससे इन बूंदों का भार इतना ज्यादा हो जाता है कि बादल का घनत्व (Density) बढ़ जाता है. इसके बाद पानी की ये बूंदें बादलों के साथ आसमान में ठहर नहीं पाती हैं और अचानक एक सीमित दायरे में मूसलाधार बारिश शुरू हो जाती है. 

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पहाड़ों पर क्यों ज्यादातर बादल फटने की होती हैं घटनाएं
बादल हवा के साथ जब उड़ रहे होते हैं तो वे पहाड़ी इलाकों के बीच फंस जाते हैं. पहाड़ इन बादलों को आगे बढ़ने नहीं देते हैं. ऐसे में ये बादल ऊपर उठने लगते हैं. फिर ये बादल पानी में परिवर्तित हो जाते हैं और एक ही जगह पर बरसने लगते हैं. चूंकि इन बादलों की डेंसिटी पहले से काफी ज्‍यादा होती है, इस कारण बहुत तेज बारिश शुरू हो जाती है. बादल फटने की घटनाएं सामान्य तौर पर धरती की सतह से 12-15 किलोमीटर की ऊंचाई पर होती हैं. कुछ ही सेकेंड में दो सेंटीमीटर से ज्यादा बारिश हो जाती है.

बादल का फटना है कितना खतरनाक
बादल फटने के बाद उस जगह पर भयावह स्थितियां पैदा हो जाती हैं. नदी और नालों में अचानक से पानी का स्‍तर बढ़ने के कारण आसपास के क्षेत्रों में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो जाते हैं. घरों, सड़कों और अन्य संपत्ति को काफी नुकसान होता है. पहाड़ी इलाकों में बादल फटने से कई जगहों पर भूस्खलन होता है. पहाड़ों पर ढलान वाले रास्‍ते होने के कारण बारिश पानी रुक नहीं पाता और वह तेजी से नीचे की ओर बहता है. 

ऐसे में ये पानी अपने साथ पेड़-पौधों, मिट्टी, कीचड़, पत्‍थरों के साथ-साथ पशु, इंसान या जो भी चीजें सामने आती हैं, सबको बहाकर ले जाता है. बादल फटने की घटनाओं के मामले में देश के दो राज्य हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड सबसे अधिक संवेदनशील माने जाते हैं. इन दोनों पहाड़ी राज्यों में अब मॉनसून की बारिश के दौरान बादल फटना आम हो गया है. विशेषज्ञों के मुताबिक जलवायु परिवर्तन के कारण आने वाले वर्षों में बादल फटने की आपदाओं में ज्यादा बढ़ोतरी की आशंका है.

बादल फटने के बाद कैसे करें अपना बचाव 
1. बादल फटने की स्थिति में सुरक्षित रहने के लिए सबसे पहले आपको घबराना नहीं चाहिए बल्कि शांत रहना चाहिए. 
2. आपातकालीन स्थिति में घबराहट कभी भी मदद नहीं करती है.
3. आपको अपने बारे में समझदारी रखनी चाहिए और अपनी सुरक्षा और अपने आस-पास के लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए. 
4. बादल फटने के दौरान घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए. 
5. भारी वर्षा के दौरान बिजली का गुल होना आम बात है. ऐसे में जनरेटर या यूपीएस जैसा बैकअप पावर पहले से तैयार रखना चाहिए. 
6. बारिश में खड़े न रहें. बाढ़ वाले इलाकों के पास न जाएं. 
7. खुद को करंट लगने से बचाने के लिए बिजली के खंभों या तारों से दूर रहें. 
8. मौसम की भविष्यवाणी जैसी महत्वपूर्ण जानकारी के लिए ताजा समाचारों पर अपडेट रहें.