यूपी में हर अस्पताल और सीएचसी-पीएचसी में नोडल अधिकारी को नियुक्त किया जाएगा. ये नोडल अधिकारी हर दिन अपने प्रभार के अस्पतालों की व्यवस्था की जानकारी लेंगे. डेंगू और अन्य संचारी रोगों को लेकर तैयारियों की समीक्षा करते हुए यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ये निर्देश दिया है कि अलग-अलग जगह की स्थिति को देखते हुए तैयारी सुनिश्चित की जाए और जरूरी कदम उठाए जाएं.
संचारी रोगों की दृष्टि से अहम है अक्टूबर महीना
यूपी में संचारी रोगों को लेकर मुख्यमंत्री ने समीक्षा बैठक की. अक्टूबर महीना संचारी रोगों की दृष्टि से अहम है. इसको देखते हुए समीक्षा के बाद कई निर्देश जारी किए गए. सीएम योगी ने निर्देश दिए कि सेन्सिटिव ज़िलों में हर दिन सुबह सैनीटाईजेशन और शाम को हो फॉगिंग किया जाए. इसके साथ ही हर अस्पताल में नोडल अधिकारी की तैनाती की जाए. ये भी निर्देश दिया गया कि तैयारी ऐसी हो कि कहीं भी हॉटस्पॉट की स्थिति न बनने पाए. अगर कहीं भी ऐसी स्थिति हो तो वहां संबंधित नगर आयुक्त/अधिशासी अधिकारी स्वयं पहुंच कर निरीक्षण करें.
समीक्षा बैठक में स्वास्थ्य विभाग के आला आधिकारी रहें मौजूद
बैठक में स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी मौजूद थे. समीक्षा के बाद ये भी सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि कहीं भी दवा की कमी न हो. इसके लिए विशेष सतर्कता अभियान चलाया जाए. अस्पतालों में दवा की उपलब्धता और PHC/CHC के लिए नोडल अधिकारी जल्दी नियुक्त होंगे. नोडल अधिकारी पर अस्पताल की तैयारी सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी होगी. दरअसल नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ, मुरादाबाद, लखनऊ, कानपुर डेंगू से प्रभावित रहे हैं. जबकि बरेली, शाहजहांपुर, हरदोई, सीतापुर, बदायूँ और संभल में मलेरिया का प्रभाव रहा है. पूर्वी उत्तर प्रदेश में जापानी इंस्फेलाइटिस पिछले वर्षों में रहा है. वहीं संतकबीरनगर और कुशीनगर चिकनगुनिया की दृष्टि से संवेदनशील है.
देखा गया है कि जुलाई से अक्टूबर तक संचारी रोगों का प्रकोप रहता है. इसपर प्रभावी नियंत्रण के लिए अंतर्विभागीय समन्वय के साथ विशेष अभियान संचालित किए जाते हैं. आगामी अक्टूबर महीने से इसका चरण प्रारंभ होना है. बैठक में इस बात पर जोर दिया गया है कि सरकारी प्रयास के साथ-साथ जन सहभागिता भी महत्वपूर्ण है. जापानी इंसेफेलाइटिस (JE) नियंत्रण और कोविड प्रबंधन (Covid Management) के दो सफल मॉडल यूपी में रहे हैं. जो संचारी रोग अभियान में भी कारगर साबित हो सकते हैं.
इंसेफेलाइटिस पर हुआ है नियंत्रण
पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिलों में इंसेफेलाइटिस से हजारों बच्चों की मौत होती थी. मुख्यमंत्री ने बैठक में कहा कि "2017 में हमने अंतर्विभागीय समिति बनाई, सभी विभागों ने मिलकर काम किया. नतीजा इस वर्ष 1 जनवरी से 7 सितंबर तक जापानी इंसेफेलाइटिस, चिकनगुनिया व मलेरिया से एक भी मृत्यु नहीं हुई है" चार दशक तक कहर बनी रही बीमारी पर पाँच वर्ष में काफी नियंत्रण पा लिया गया है. नियंत्रण के बाद अब सरकार का अगला लक्ष्य उन्मूलन है.
स्कूलों को भी दिए निर्देश
बैठक में स्वास्थ्य विभाग के साथ नगर विकास, ग्राम विकास और पंचायती राज विभाग के समन्वय के साथ काम करने की बात की गयी. सुबह सैनीटाइज़ेशन और शाम को फॉगिंग करने का निर्देश दिया गया. शिक्षा विभाग के माध्यम से सभी स्कूलों में संचारी रोगों से बचाव के उपाय की जानकारी दी जाएगी. पूरी आस्तीन की कमीज, फुल लेंथ की पेंट इत्यादि का प्रयोग करने पर जोर दिया जाएगा. बैठक के इस बात के निर्देश भी दिए गए कि शुद्ध पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित हो और लोगों के सामने क्लोरीनेशन डेमो दिया जाएं.