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Pride Month: रंग बिरंगी परेड, इंद्रधनुषी झंडे और अधिकारों के लिए एक सुर में आवाज, LGBTQIA+ से जुड़ा है ये प्राइड मंथ वाला जून का महीना   

Pride Month History: पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने आधिकारिक तौर पर 1999 और 2000 में प्राइड मंथ को मान्यता दी थी. जब भारत जैसे कई देश अभी भी सेम सेक्स मैरिज को वैध बनाने पर बहस कर रहे हैं, कई अन्य देश हैं जिन्होंने पहले ही इसे वैधता दे दी है.

Pride Month Pride Month
हाइलाइट्स
  • भारत में हो रही है LGBTQIA+ अधिकारों की बातें 

  • ऐसे कई देश हैं जहां समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दी गई है

LGBTQIA+अधिकारों को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए हर साल जून के महीने को प्राइड मंथ के रूप में मनाया जाता है. दुनिया भर के शहरों में रंग-बिरंगी परेड, इंद्रधनुषी रंग के झंडे आसमान में उड़ते हुए दिखाई देते हैं और LGBTQIA+ समुदाय के साथ एकजुटता दिखाने के लिए लोग चमकीले कपड़ों में सजे हुए और गालों पर सतरंगी झंडा लगाए घूमते हैं.  मार्च 1960 के दशक में अपनी स्थापना के बाद से LGBTQIA+ को लेकर जागरूकता बढ़ती जा रही है. एक समय में लोग LGBTQIA+ कम्युनिटी के लोगों को पहचानने से भी इंकार करते थे लेकिन आज ये समाज का एक अभिन्न अंग बन गए हैं.  

भारत में हो रही है LGBTQIA+ अधिकारों की बातें 

भारत की ही बात करें तो हाल के वर्षों में LGBTQIA+ अधिकारों को पहचानने में काफी प्रगति की है. इसकी शुरुआत तब हुई थी जब अपने ऐतिहासिक फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में समलैंगिकता (homosexuality) को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया था. इससे समुदाय के अधिकारों को आगे बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त हुआ. लेकिन अभी भी समलैंगिकता और सेम-सेक्स मैरिज अभी भी देश में टैबू की तरह देखे जाते हैं. सरकार भी बड़े पैमाने पर इस मुद्दे का विरोध कर रही है, उनका तर्क है कि इस मामले को संसद में तय किया जाना चाहिए. 

अप्रैल में, सुप्रीम कोर्ट ने 18 LGBTQIA+ कपल की याचिकाओं की एक सीरीज पर सुनवाई शुरू की, जिनमें तीन ऐसे भी शामिल हैं जो एक साथ बच्चों की परवरिश कर रहे हैं. आने वाले महीनों में फैसला आने की उम्मीद है. अगर भारतीय अदालत याचिकाकर्ताओं के पक्ष में फैसला सुनाती है, तो भारत दक्षिण एशिया का पहला देश और ताइवान के बाद एशिया का दूसरा देश बन जाएगा, जो समलैंगिक विवाह को वैध करेगा. 

क्या है प्राइड का इतिहास?

28 जून, 1969 की रात को हुए स्टोनवेल दंगों को अक्सर अमेरिका में गे राइट्स मूवमेंट को शुरुआती बिंदु माना जाता है. पुलिस ने न्यूयॉर्क शहर में स्टोनवेल इन पर छापा मारा, कथित तौर पर वह बिना शराब के लाइसेंस के चल रही थी. यह एक समय था जब होमोसेक्शुएलिटी एक अपराध था. गे बार वे स्थान थे जहां LGBTQIA+ कम्युनिटी के लोग सार्वजनिक उत्पीड़न से दूर रहते थे. द स्टोनवेल एक ऐसी ही जगह थी. कहा जाता है कि इस क्षेत्र में बार पर यह तीसरा हमला था.

इस छापे से पुलिस और LGBTQIA+ कम्युनिटी के लोगों के बीचे काफी झड़प हुई. स्टोनवेल इन में घटनाओं के कई संस्करण हैं. लेकिन इस घटना ने LGBTQ अधिकारों के आंदोलन को बड़ा बना दिया. पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने आधिकारिक तौर पर 1999 और 2000 में प्राइड मंथ को मान्यता दी थी. 

भारत में प्राइड का इतिहास 

भारत में प्राइड मूवमेंट का इतिहास भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 377 के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है. ये ब्रिटिश औपनिवेशिक युग का एक पुराना प्रावधान था जो समलैंगिकता को अवैध मानता था. लेकिन अंग्रेजों के जाने के बाद और भारतीय संविधान में अनुच्छेद 14 के अस्तित्व के बावजूद भी ये धारा ऐसी ही रही. लेकिन धीरे-धीरे लोग आवाज उठाने लगे और समलैंगिक अधिकारों के लिए पहला विरोध दिल्ली के आईटीओ क्षेत्र में पुलिस मुख्यालय के ठीक बाहर हुआ. 1994 में, ABVA ने दिल्ली हाई कोर्ट में IPC की धारा 377 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए एक जनहित याचिका (PIL) दायर की. इसे भारत में LGBTQIA+ समुदाय के सरकारी दमन के खिलाफ पहले कानूनी विरोधों में से एक माना जाता है.

2 जुलाई 1999 को भारत ने कोलकाता में अपनी पहली प्राइड परेड का आयोजन किया गया. इसे कोलकाता रेनबो प्राइड वॉक कहा जाता है, यह मार्च दक्षिण एशिया में अब तक की पहली प्राइड मार्च थी. इस महत्वपूर्ण घटना के बाद से, 21 से अधिक भारतीय शहरों में प्राइड मार्च आयोजित किए गए हैं.

ऐसे देश जहां समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दी गई है 

जब भारत जैसे कई देश अभी भी समान-लिंग विवाह को वैध बनाने पर बहस कर रहे हैं, कई अन्य देश हैं जिन्होंने पहले ही सेम-सेक्स मैरिज को वैधता दे दी है. 

देश

साल

कोस्टा रिका

2020
ताइवान 

2019

उत्तरी आयरलैंड

2019

इक्वाडोर 

2019

ऑस्ट्रिया 

2019

ऑस्ट्रेलिया 

2017

जर्मनी 

2017

माल्टा 

2017

कोलम्बिया 

2016

अमेरिका 

2015

आयरलैंड 

2015

ग्रीनलैंड 

2015

फिनलैंड 

2015

स्कॉटलैंड 

2014

इंग्लैंड और वेल्स 

2013

लक्जमबर्ग 

2014

ब्राजील 

2013
फ्रांस 

2013

न्यूजीलैंड 

2013

उरुग्वे 

2013

डेनमार्क 

2012

अर्जेंटीना 

2010

पुर्तगाल 

2010

आइसलैंड 

2010

स्वीडन 

2009

नॉर्वे 

2008

दक्षिण अफ्रीका

2006

स्पेन 

2005

कनाडा 

2005

बेल्जियम 

2003

नीदरलैंड 

2000