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कृषि कानून वापसी: राहुल गांधी का सरकार पर तंज-अन्नदाता ने सत्याग्रह से अहंकार का सिर झुकाया, पढ़िये बाकी विपक्षी नेताओं ने क्या कहा

पिछले एक साल से देशभर में किसान तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. सरकार का ये फैसला उत्तर प्रदेश और पंजाब में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले आया है.  

राहुल ने सरकार पर साधा निशाना राहुल ने सरकार पर साधा निशाना
हाइलाइट्स
  • राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले आया फैसला

  • राहुल गांधी ने पुराना वीडियो शेयर कर सरकार पर साधा निशाना

ग्यारह महिनों से लगातार चल रहे किसान आंदोलन के बाद आखिरकार सरकार ने तीनों कृषि कानून वापस लेने का फैसला किया है. किसानों के हठ के आगे आखिरकार मोदी सरकार को झुकना पड़ा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों विवादित कृषि कानून वापस लेने का फैसला किया है. इस ऐलान के लिए दिन चुना गया प्रकाश पर्व का. पीएम ने शुक्रवार को राष्ट्र के नाम 18 मिनट के संबोधन में यह बड़ा ऐलान किया. उन्होंने कहा कि सरकार ये कानून किसानों के हित में नेक नीयत से लाई थी, लेकिन हम कुछ किसानों को समझाने में नाकाम रहे. हालांकि सरकार के इस फैसले का कुछ विपक्षी पार्टियों ने स्वागत किया तो वहीं कई नेताओं ने सरकार पर निशाना भी साधा है.
 
विपक्ष: किसने क्या कहा

इस मौके पर जहां एक तरफ कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपना एक पुराना वीडियो ट्विटर पर शेयर किया. जिसमें राहुल कह रहे हैं कि सरकार इन कानूनों को वापस लेने के लिए मजबूर हो जाएगी. वहीं, प्रियंका गांधी भी इस मौके पर पीएम मोदी पर हमला करने से नहीं चूकीं.  

पीएम मोदी के तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा के बाद, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर लिखा, "देश के अन्नदाता ने सत्याग्रह से अहंकार का सिर झुका दिया. अन्याय के खिलाफ़ ये जीत मुबारक हो! जय हिंद, जय हिंद का किसान!" इस दौरान राहुल गांधी ने अपना एक पुराना वीडियो भी शेयर किया. 
 

 
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने तीन कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताया. वहीं, हार्दिक पटेल ने लिखा, "आज किसान और उनके आंदोलन को विजय प्राप्त हुई है. आंदोलन में और भाजपा की तानाशाही से शहीद हुए किसानों को यह विजय श्रद्धांजलि के रूप में अर्पित है." 

 
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मोदी सरकार की ओर से कृषि कानूनों की वापसी पर कहा कि  सरकार ने सपा की पूर्वांचल की विजय यात्रा के जन समर्थन से डरकर काले-क़ानून वापस ले लिए. वहीं, बसपा प्रमुख मायावती ने एक प्रेस नोट जारी कर कहा कि केंद्र सरकार को यह फैसला काफी पहले ले लेना चाहिए था. उन्होंने ये भी कहा कि किसानों के मामले में कोई भी नया कानून बनाने से पहले उनसे सलाह या परामर्श जरूर करना चाहिए.