देश में इस बार गेहूं की पैदावार में कमी की सबसे बड़ी वजह मौसम को भी माना जा रहा है. मार्च से हीटवेव की शुरुआत होने की वजह से गेंहू की फसल पर गहरा असर पड़ा. मार्च में गेहूं की फसल के लिए 30 डिग्री से ज्यादा तापमान नहीं होना चाहिए. दरअसल मार्च महीने में ही गेहूं में स्टार्च, प्रोटीन और अन्य ड्राई मैटर्स जमा होते हैं. लेकिन इस बार मार्च के महीने में ही कई बार तापमान 40 डिग्री के पार गया. जिससे गेहूं समय से पहले ही पक गए और दाने हल्के हो गए. इसका असर ये हुआ कि गेहूं की पैदावार 25% तक घट गई. देश में पैदावार कम होने से गेहूं की कीमत पहले ही बढ़ी हुई हैं. ऐसे में आटे की कीमतों में तेजी आना लाजिमी है.
किन देशों को होता गेहूं का निर्यात-
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं प्रोड्यूसर है और यही वजह है कि भारत गेहूं का निर्यात करता है. भारत से सबसे ज्यादा गेहूं इन 10 देशों में जाता है.
अन्न संकट पर सरकार का एक्शन-
ऐसे में गेहूं के एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध लगाने से इन देशों पर भी असर पड़ सकता है. एक्सपोर्ट पर बैन के अलावा सरकार गेहूं की कमी से निपटने के लिए कई और कदम उठा रही है. सरकार करीब आठ राज्यों में पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत दिए जाने वाले गेहूं की सप्लाई को रोककर उसकी जगह चावल से पूर्ति करने की योजना बना रही है. गेहूं उगाने वाले 6 बड़े राज्यों में 31 मई तक गेहूं की सरकारी खरीद की सीमा बढ़ा दी गई है. फिलहाल लेटर ऑफ क्रेडिट के साथ मौजूदा कॉन्ट्रैक्ट के लिए गेहूं के एक्सपोर्ट का इजाजत दी गई है. यानी 13 मई से पहले जिन ऑर्डर के लिए लेटर ऑफ क्रेडिट जारी किया गया था केवल उन्हीं देशों को गेहूं एक्सपोर्ट किया जाएगा.
गेहूं निर्यात बैन का दुनिया में असर-
यूरोप के साथ दुनिया के बड़े हिस्से में संकट बढ़ता जा रहा है. ऐसे में जब भारत ने निर्यात रोका तो दुनिया के सबसे विकसित देशों का ग्रुप जी-7 भारत के खिलाफ उतर गया. क्योंकि गेहूं की रिकॉर्ड कमी और बढ़ी कीमतों से ये पहले से ही परेशान थे. अब भारत ने जब गेहूं भेजना रोक दिया तो इनकी परेशानी और बढ़ा गई. भारत के निर्यात पर रोक लगाने के बाद दुनियाभर में गेहूं की कीमतें बढ़कर रेकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई हैं.
यूरोपीय बाजार खुलते ही गेहूं 453 डॉलर यानी 35 हजार 282 रुपये प्रति टन बिका. गेहूं बेचना बंद करके भारत ने अपनी समस्या पर काफी हद तक काबू पा लिया है. लेकिन जी-7 को ये फैसला रास नहीं आया. इन देशों ने भारत के कदम का विरोध किया है. कहा जा रहा है कि, इससे दुनियाभर में खाद्य संकट गहरा सकता है.
भारत के फैसले को चीन का साथ-
गेहूं निर्यात पर रोक के मसले पर भारत को चीन का साथ मिला है. चीन ने कहा कि भारत पर ठीकरा फोड़ने से दुनिया का खाद्य संकट दूर नहीं होने वाला है. चीन के सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स में कहा गया है कि 'अब G-7 देशों के कृषि मंत्री भारत से गेहूं निर्यात पर रोक नहीं लगाने को कह रहे हैं, तो फिर G-7 देश खुद से अपना निर्यात बढ़ाकर खाद्य बाजार को स्थिर क्यों नहीं करते?'. गेहूं के मामले में चीन ने भारत के पक्ष में खड़ा होते हुए जी-7 देशों को एक तरह चेतावानी भी दे दी है. ग्लोबल टाइम्स में लिखा गया है कि 'भले ही भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक हो, वैश्विक गेहूं निर्यात में उसकी हिस्सेदारी कम है. इसके उलट अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया जैसे विकसित देश गेहूं के बड़े निर्यातकों में से एक हैं. अगर कुछ पश्चिमी देशों ने संभावित खाद्य संकट के बावजूद गेहूं निर्यात कम करने का फैसला किया तो वे भारत की आलोचना करने की स्थिति में नहीं रहेंगे.
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