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बिहार से सामने आया देश का पहला 'डिजिटल' भिखारी, भीख मांगने के लिए अपनाया हाईटेक तरीका

गले में लटका, फोन पे, गूगल पे और पेटीएम के ऑप्शन वाला बार कोड. हाथ में टेबलेट. यही पहचान है बेतिया रेलवे स्टेशन पर भीख मांगने वाले राजू की. राजू बिहार के नेता लालू प्रसाद यादव और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रशंसक है.

बिहार से सामने आया देश का  पहला 'डिजिटल' भिखारी... बिहार से सामने आया देश का पहला 'डिजिटल' भिखारी...
हाइलाइट्स
  • गूगूल पे से भींख ले रहा है राजू

  • तीस साल से भीख मांग रहा है राजू

बिहार किसी भी चीज की शुरुआत करने में अव्वल रहा है. शून्य की खोज से लेकर विश्व के पहले गणतंत्र तक सबकी प्रथम पृष्ठभूमि बिहार से तैयार हुई है. ताजा मामला भीख मांगने को लेकर है. देश में भिखारियों की संख्या लाखों में है. जो मंदिर, स्टेशन और ट्रैफिक पर खड़े होकर भीख मांगते हैं. बिहार के बेतिया रेलवे स्टेशन पर तीस सालों से भीख मांगने वाले राजू नाम के युवक की कहानी थोड़ी अलग है. राजू समय के हिसाब से अपने भीख मांगने के तरीके को भी बदलता रहा. आज राजू देश के उन चंद भिखारियों में शामिल हो गया है, जो खुद को डिजिटल भिखारी कहते हैं.

गूगूल पे से भींख ले रहा है राजू
गले में लटका, फोन पे, गूगल पे और पेटीएम के ऑप्शन वाला बार कोड. हाथ में टेबलेट. यही पहचान है बेतिया रेलवे स्टेशन पर भीख मांगने वाले राजू की. राजू बिहार के नेता लालू प्रसाद यादव और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रशंसक है. राजू ने भीख मांगने का अपना तरीका और अंदाज बदल दिया है. अब वो लोगों के इस बहाने को नहीं सुनता कि उनके पास छुट्टे नहीं हैं. लोगों से राजू फोन पे और गूगल पे के साथ पेटीएम से भीख लेता है. लालू को पापा बोलता है और पीएम मोदी का भक्त राजू पीएम के मन की बात का सभी एपिसोड सुनता है और डिजिटल इंडिया के प्रसार में मदद कर रहा है. राजू के हाईटेक तरीके से भीख मांगने की चर्चा पूरे बिहार में होने लगी है.

तीस साल से भीख मांग रहा है राजू
बेतिया के बसवरिया वार्ड संख्या तीस के निवासी प्रभुनाथ प्रसाद का चालीस वर्षीय बेटा इन दिनों सबकी नजर में चढ़ गया है. मंदबुद्धि होने की वजह से राजू के पास कोई नौकरी नहीं थी. उसने भीख मांगने को ही अपना पेशा चुना. वो रेलवे स्टेशन सहित कई इलाकों में भीख मांगता है. राजू के मांगने का अंदाज इतना क्यूट है कि लोग आराम से पैसे दे देते हैं. जब छुट्टे नहीं होने की बात कहकर राजू को लोगों ने भीख देना बंद कर दिया. तब राजू ने बैंक जाकर अपना खाता खोला और अपना ई वॉलेट भी बना लिया. अब वो आराम से लोगों से गूगल पे, पेटीएम और फोन पे में भीख लेता है. पांच रुपये से लेकर लोग 100 रुपये तक एक बार में उसे भीख देते हैं.

अकाउंट खोलने में हुई परेशानी
राजू जब भिखारी के तौर पर बैंक में अकाउंट खोलने गया, तो उसे काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. लेकिन उसने पीएम मोदी के डिजिटल इंडिया की बात बैंक को बताई. उसके बाद बैंक वालों ने उसे आधार, पैन कार्ड बनाने की सलाह दी. राजू ने वो भी बनवाया और  बेतिया के स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की मुख्य शाखा में राजू का अकाउंट खुल गया. अब राजू के ई वॉलेट के पैसे तत्काल उसके अकाउंट में चले जाते हैं. राजू की आमदनी ई वॉलेट ने आसान कर दी और वो बाकी भिखारियों से पूरी तरह अलग हो गया.