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Eco-friendly leather from agro-waste: आम, अनानास, केले जैसी फसलों के कचरे से बनेगा लेदर, सिंथेटिक लेदर का बेहतर विकल्प

CSIR NIIST ने हाल ही में, एग्रो-वेस्ट लेदर सबस्टिट्यूट बनाने वाली तकनीक को कमर्शियल किया है. इस तरह का लेदर इको-फ्रेंडली होगा और सिंथेटिक लेदर का अच्छी विकल्प है.

Leather from agro waste (Photo: Wikipedia) Leather from agro waste (Photo: Wikipedia)
हाइलाइट्स
  • आम, केला, अनानास जैसी फसलों से बनेगा लेदर

  • यह सिंथेटिक लेदर का बेहतर विकल्प है

पिछले काफी समय से खेतों से निकलने वाले कचरे पर रिसर्च और डेवलपमेंट की जा रही है ताकि इसे प्रोसेस करके लोगों की भलाई के लिए इस्तेमाल किया जा सके. इससे किसान को सिर्फ फसल से ही नहीं बल्कि फसलों के बचे अपशिष्ट जैसे पराली, भूसी आदि से भी कमाई का रास्ता मिलेगा. हाल ही में, इस सेक्टर में कई चीजें सामने आई हैं जैसे कई फसलों के कचरे को प्रोसेस करके अलग-अलग तरह का कपड़ा बनाया जा रहा है.

हाल ही में, NIIST (National Institute For Interdisciplinary Science and Technology) के वैज्ञानिकों ने ऐसी तकनीक विकसित की है जिससे फसलों के बचे अपशिष्ट से लेदर बनाया जा सकता है. जी हां, यह सिंथेटिकलेदर का बेहतर विकल्प हो सकता है. क्योंकि लेदर के निर्माण को लेकर बहुत से मुद्दों पर बहस होती है. लेकिन इस तरह बिना किसी को नुकसान पहुंचाए अब अल्छा लेदर विकल्प तैयार हो सकता है.

आम, केला, अनानास जैसी फसलों से बनेगा लेदर
कृषि जागरण के मुताबिक, खेती के कचरे और बाय-प्रॉडक्ट्स से बने NIIST के एग्रो-वेस्ट लेदर सब्सटिट्यूट, बाजार में उपलब्ध मौजूदा लेदर से 30-50 प्रतिशत सिंथेटिक केमिकल्स को प्रभावी ढंग से रिप्लेस कर सकते हैं. 

आम के छिलके, केले के तने, अनानास का वेस्ट, कैक्टस, जलकुंभी, मकई की भूसी, चावल से संबंधित कचरे से विकसित लेदर शीटकी कीमत सिंथेटिक और जानवरों के लेदर से आधी होती है. साथ ही, नए उत्पाद में कम कार्बन फुटप्रिंट है. इस लेदर की शेल्फ लाइफ तीन वर्ष से अधिक है. यह इको-फ्रेंडली है और इस कारण यह सिंथेटिक से बेहतर है. लेदर का बाजार 2020 तक 30 30 बिलियन डॉलर का था और इस दशक के अंत तक 40 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की संभावना है. 

कमर्शियल हुई तकनीक 
NIIST ने वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के महानिदेशक डॉ. एन कलैसेल्वी और सीएसआईआर-एनआईआईएसटी अनुसंधान परिषद के अध्यक्ष प्रोफेसर जावेद इकबाल और सीएसआईआर-एनआईआईएसटी के निदेशक डॉ. सी. आनंदरामकृष्णन की मौजुदगी में इस तकनीक को कमर्शियल करके प्राइवेट इंडस्ट्री के साथ MoU साइन किया. स्त्रीकाया सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए.