MP Cyber Crime News: साइबर ठग आज के डिजिटल जमाने में तरह-तरह के तरकीब अपना कर आम लोगों को अपने जाल में फंसा कर उनसे पैसे ऐंठ ले रहे हैं. कभी वे खुद को सीबीआई अधिकारी तो कभी ईडी और आरबीआई अफसर बनकर देशभर में डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) करके ठगी के मामलों को अंजाम दे रहे हैं.
अब ऐसा ही एक मामला मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के इंदौर (Indore) में सामने आया है. साइबर ठगों ने इंदौर की क्राइम ब्रांच के एडिशनल डीसीपी (एडीसीपी) राजेश दंडोतिया को भी डिजिटल अरेस्ट करने का प्रयास किया. हालांकि वे अपने इस नापाक मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाए. आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला?
क्या है पूरा मामला
क्राइम ब्रांच के ADCP राजेश दंडोतिया (Rajesh Dandotiya) रविवार को इंदौर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे. इसी दौरान अचानक उनके मोबाइल पर एक अनजान नंबर से कॉल आया. एडिशनल डीसीपी ने जब फोन कॉल उठाया तो सामने वाले शख्स ने खुद को एक बैंक का कस्टमर केयर अधिकारी बताया. उस फर्जी बैंक अधिकारी ने राजेश दंडोतिया से कहा कि आपने जो मुंबई में क्रेडिट कार्ड बनवाया है, उसमें एक लाख रुपए से ज्यादा का पेमेंट पेंडिंग है. इतना ही नहीं इस कार्ड का मिसयूज भी किया गया है.
आपके खिलाफ आरबीआई ने एफआईआर दर्ज कराई है. आपके ऊपर 11 हजार 930 रुपए की पेनाल्टी भी लगाई है. इतना ही नहीं ठग ने यह भी कहा कि आपने क्रेडिट कार्ड के नाम से जो लोन लिया था, लोन लेने के बाद आपके अकाउंट में अलग-अलग देशों से पैसे आए हैं. इसलिए आपके खिलाफ मनी लॉड्रिंग सहित अलग-अलग तरह के प्रकरण दर्ज हो सकते हैं.
इस पर एडिशनल डीसीपी दंडोतिया ने कहा कि उन्होंने कभी भी इस तरह का कोई क्रेडिट कार्ड नहीं बनवाया है. इस पर फर्जी बैंक अधिकारी की ओर से उन्हें दबाव दिया कि वह अपना गुनाह स्वीकार करें नहीं तो यह कंप्लेंट मुंबई पुलिस को ट्रांसफर की जाएगी. मोबाइल नंबर देखकर और ठग की बात सुनते ही एडीसीपी समझ गए कि उन्हें डिजिटल अरेस्ट करने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने तुरंत मीडियाकर्मियों को इशारा कर ठग की बातचीत रिकॉर्ड करनी शुरू कर दी.
थाना में हाजिर होने का सुनाया फरमान
एडिशनल डीसीपी दंडोतिया ने पूछा कि यह केस कहां दर्ज किया गया है, तो साइबर ठग ने बताया कि पूरा मामला मुंबई के अंधेरी पश्चिम पुलिस थाने में दर्ज किया गया है. ठग ने केस के संबंध में बयान और स्पष्टीकरण के लिए 2 घंटे में अंधेरी ईस्ट थाना पुलिस के समक्ष पेश होने को कहा. इस पर दंडोतिया ने कहा कि वह इतने कम समय थाना नहीं पहुंच सकते हैं.
इस पर ठग ने कहा कि वह ऑनलाइन ही पुलिस स्टेशन के किसी अधिकारी से मिला देगा. वीडियो कॉल पर ही ठग ने दंडोतिया से इंतजार करने के लिए कहा. उसने कहा कि वह अपने वरिष्ठ अधिकारी से बात करेगा कि क्या उनका बयान वीडियो कॉल के जरिए दर्ज किया जा सकता है.
फर्जी वरिष्ठ पुलिस अधिकारी बन की बात
इसके बाद फर्जी वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने आनलाइन बयान दर्ज करने एडिशनल डीसीपी दंडोतिया को वीडियो कॉल किया. फर्जी वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने एडीसीपी को वर्दी में देखा. इसके बाद आसपास मीडियाकर्मियों की भीड़ देख कर पूछा कि ये लोग कौन खड़े हैं. इसपर एडीसीपी ने अपना परिचय दिया और कहा कि मैं स्वयं पुलिस अधिकारी हूं. मैंने तुम्हारी करतूत कैमरे में रिकार्ड कर ली है. इतना सुनते ही डर के मारे ठग ने तुरंत वीडियो कॉल कट कर दिया.
क्या है डिजिटल अरेस्ट
आपको मालूम हो कि साइबर ठग डिजिटल अरेस्ट में फोन कॉल, ई-मेल और मैसेज के जरिए लोगों को धमकी देते हैं. वे लोगों को गैरकानूनी गतिविधियों की जांच चलने, पहचान से जुड़े दस्तावेज चोरी होने या फिर मनी लॉन्ड्रिंग का डर दिखाते हैं. साइबर ठग गिरफ्तार करने या कानूनी नतीजे भुगतने की धमकी देकर लोगों को सोचने का मौका नहीं देते हैं. धोखेबाज केस से नाम हटाने या जांच में सहयोग करने की बात करते हैं और रिफंडेबल रकम जमा करने के नाम पर किसी विशेष खाते या यूपीआई आईडी में बड़ी रकम हस्तांतरित करवा लेते हैं.