
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, चक्रवात बिपारजॉय की लैंडफॉल प्रक्रिया गुरुवार शाम राज्य के कच्छ जिले में जखाऊ बंदरगाह के पास शुरू हुई और आधी रात तक जारी रही. चक्रवात ने गुरुवार देर रात मांडवी (गुजरात) और कराची (पाकिस्तान) के बीच सौराष्ट्र और कच्छ और पाकिस्तान के निकटवर्ती तटों को पार किया.
क्या मतलब है सायक्लोन के 'लैंडफॉल' से
सीधे शब्दों में कहें तो लैंडफॉल, पानी के ऊपर होने के बाद एक ट्रॉपिकल सायक्लोन के जमीन पर आने की घटना है. आईएमडी के अनुसार, एक ट्रॉपिकल सायक्लोन के बारे में कहा जाता है कि जब तूफ़ान का केंद्र - या उसकी आंख - तट के ऊपर से गुज़रता है, तो वह ज़मीन पर आ जाता है.
क्या होता है Eye of Storm और Eye Wall
सायक्लोन के सेंटर को उसकी आई या आंख कहते हैं, यह सबसे शांत इलाका होता है. वहीं बात, आई वॉल की करें तो यह चक्रवात का सबसे घातक हिस्सा होता है.
डायरेक्ट हिट से क्या है मतलब
लैंडफॉल और 'डायरेक्ट हिट' दो अलग-अलग घटनाएं हैं. डायरेक्ट हिट एक ऐसी स्थिति को संदर्भित करता है ट्रॉपिकल सायक्लोन किसी एक निश्चित जगह के पास जाता है. ट्रॉपिकल चक्रवात के ट्रैक (गति की दिशा में देखते हुए) के बाईं ओर के स्थानों के लिए, एक डायरेक्ट हिट तब होता है जब चक्रवात, इसकी अधिकतम हवा की रेडियस के बराबर दूरी के भीतर से गुजरता है.
वहीं, ट्रैक के दायीं ओर के स्थानों के लिए, एक डायरेक्ट तब होता है जब चक्रवात अधिकतम हवा के दोगुने रेडियस के बराबर दूरी के भीतर से गुजरता है.
चक्रवात, टाइफून, हरिकेन और टॉरनेडो
वातावरण में एक तरह के डिस्टर्बेंस, जिसमें तेज हवाएं चलती हैं और उसके साथ बारिश, बर्फ या ओले पड़ते हैं, को स्ट्रॉर्म या तूफान कहते है. जब ये तूफान धरती पर होते हैं तो सामान्य तूफान होते हैं लेकिन अगर ये तूफान समुद्र से उठें तो इन्हें चक्रवात कहा जाता है जो सामान्य तूफान से ज्यादा तेज और खतरनाक होते हैं.
बात अगर, हरिकेन, और टाइफून की करें तो ये सब एक ही हैं और इन्हें ट्रॉपिकल सायक्लोन भी कहा जाता है. बस दुनिया भर में इन्हें अलग-अलग नाम दिए गए हैं.
समुद्रों के लिहाज से देखें तो अटलांटिक और उत्तर पश्चिम महासागरों में हरिकेन आता है. उत्तर पश्चिम प्रशांत महासागर में टाइफून और दक्षिण प्रशांत महासागर और हिंद महासागर में उठने वाले तूफान ट्रॉपिकल सायक्लोन कहलाते हैं.
कितनी तरह के होते हैं सायक्लोन
सायक्लोन चार तरह के होते हैं- ट्रॉपिकल सायक्लोन, पोलर सायक्लोन, मेसोसायक्लोन और एक्स्ट्राट्ऱॉपिकल सायक्लोन
ट्रॉपिकल सायक्लोन, ऐसे सायक्लोन होते हैं जो मकर और कर्क रेखा के बीच बनते हैं और ये सबसे ज्यादा खतरनाक तूफान होते हैं. ये चक्रवात दक्षिण पश्चिम हिंद महासागर, पूर्वी प्रशांत, उत्तरी अटलांटिक (कैरिबियन सहित), उत्तर हिंद महासागर और दक्षिणी प्रशांत, अन्य स्थानों में पाए जा सकते हैं.
उत्तरी गोलार्ध में, पोलर सायक्लोन्स को कभी-कभी "आर्कटिक हरिकेन" के रूप में जाना जाता है. उनके ऊर्जा स्रोतों के कारण ऐसा होता है. ध्रुवीय चक्रवातों का अनुमान लगाना मुश्किल है क्योंकि वे तेजी से उत्पन्न होते हैं और 24 घंटे से कम समय तक चलते हैं. वे आर्कटिक और अंटार्कटिक के पानी में विकसित होते हैं.
मेसोसायक्लोनेस कुछ सबसे शक्तिशाली बवंडर या टॉरनेडो हैं. मेसोसायक्लोनेस संवहन तूफान और जमीन के बीच फंसी हवा का एक भंवर है. ये बवंडर अक्सर चक्रवाती होते हैं और सुपरसेल्स में अपड्राफ्ट के साथ होते हैं. मेसोसाइक्लोन 'वॉल क्लाउड' बनाता है जिससे फनल क्लाउड बनता है और जब फनल क्लाउड पृथ्वी से टकराता है, तो यह बवंडर में बदल जाता है. हर साल हजारों मेसोसायक्लोन होते हैं, लेकिन उनमें से केवल आधे चक्रवात में बदलते हैं.
एक्स्ट्राट्रॉपिकल सायक्लोन, ऐसे चक्रवाती तूफान हैं जो मध्य अक्षांशों या लैटीट्यूड में सामने की सीमाओं के पास होते हैं. ये चक्रवात तब बनते हैं जब कनेक्टिंग एयर मास के बीच तापमान अंतर गंभीर होता है. हल्की हवाएं होने के बावजूद ये चक्रवात आमतौर पर हरिकेन से बड़े होते हैं. इस चक्रवात का एक प्रमुख उदाहरण 'नॉर' ईस्टर्स' है जो अक्सर सर्दियों में अमेरिकी पूर्वी तट पर होता है.