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इंडिया गेट पर लगने वाली 'नेताजी' की प्रतिमा को बना रहा है कौन? इस शिल्पकार को पीएम मोदी ने क्यों दिया काम, जानिए सबकुछ

अद्वैत गडनायक ने लंदन के स्लेड स्कूल ऑफ फाइन आर्ट्स में कला की पढ़ाई भी की है. उन्हें अपने काम के लिए कई पुरस्कार भी मिले हैं, जिनमें 1993 में मिला राष्ट्रीय ललित कला अकादमी पुरस्कार, 1999 में मिला ओडिशा ललित कला अकादमी पुरस्कार प्रमुख हैं.

सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा
हाइलाइट्स
  • प्रख्यात मूर्तिकार अद्वैत गडनायक इंडिया गेट पर लगने वाली नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा तराशेंगे.

  • सुभाष चंद्र बोस की इस प्रतिमा को ग्रेनाइट पत्थर से बनाया जाएगा.

इस साल 23 जनवरी को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती मनाई जा रही है. इस मौके पर केंद्र सरकार ने घोषणा की है कि दिल्ली में इंडिया गेट पर नेताजी की एक प्रतिमा स्थापित की जाएगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर इस बारे में जानकारी दी थी. प्रतिमा बनाने का काम राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय के महानिदेशक अद्वैत गडनायक को सौंपा गया है. आइए जानते हैं कौन हैं अद्वैत गडनायक और क्या हैं उनकी उपलब्धियां.  

नेताजी की 28 फीट ऊंची प्रतिमा बनाने का काम नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय के महानिदेशक अद्वैत गडनायक को सौंपा गया है. प्रतिमा का डिजाइन संस्कृति मंत्रालय ने तैयार किया है. सुभाष चंद्र बोस की इस प्रतिमा को ग्रेनाइट पत्थर से बनाया जाएगा जोकि जेड ब्लैक कलर में होगी.  प्रतिमा बनाने के लिए यह पत्थर तेलंगाना से लाया जाएगा. जब तक मूर्ति तैयार नहीं हो जाती, तब तक सुभाष चंद्र बोस का होलोग्राम इंडिया गेट पर लगाया जाएगा. 

लंदन से की कला की पढ़ाई

नई दिल्ली के राजघाट पर स्थापित दांडी मार्च मूर्तिकला बनाने के लिए प्रसिद्ध मूर्तिकार अद्वैत गडनायक नेताजी की प्रतिमा को बनाएंगे. ये प्रतिमा अमर जवान ज्योति की जगह लेगी, जिसे हाल ही में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक मशाल की शाश्वत लौ में मिला दिया गया था. ओडिशा के ढेंकनाल जिले के नेउलपोई गांव में जन्मे और पले-बढ़े, अद्वैत गडनायक ने भुवनेश्वर के बीके कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स से कला की शिक्षा प्राप्त की. जिसके बाद उन्होंने दिल्ली के कॉलेज ऑफ आर्ट से अपनी मास्टर्स डिग्री पूरी की. उनकी प्रमुख मूर्तियों में राजघाट पर राष्ट्रपिता की मूर्ति, महात्मा गांधी के नमक मार्च की काले संगमरमर की प्रतिकृति शामिल हैं. उनकी कलाकृतियों को लंदन में भी जगह मिली है. 

सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा
सुभाष चंद्र बोस की इस प्रतिमा

राष्ट्रीय ललित कला अकादमी पुरस्कार से हो चुके हैं सम्मानित 

 गडनायक ने लंदन के स्लेड स्कूल ऑफ फाइन आर्ट्स में कला की पढ़ाई भी की है. उन्हें अपने काम के लिए कई पुरस्कार भी मिले हैं, जिनमें 1993 में मिला राष्ट्रीय ललित कला अकादमी पुरस्कार, 1999 में मिला ओडिशा ललित कला अकादमी पुरस्कार प्रमुख हैं.  2016 में, अद्वैत गडनायक नेशनल गैलरी ऑफ़ मॉडर्न आर्ट के डायरेक्टर जनरल बने. इससे पहले वह भुवनेश्वर के केआईआईटी विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ स्कल्पचर का नेतृत्व कर रहे थे. विश्वविद्यालय परिसर में उन्होंने एक स्कल्पचर पार्क भी बनाया था. 

प्रतिमा बनाने का काम मिलने पर जताई खुशी 

नेताजी की प्रतिमा के बारे में बताते हुए अद्वैत गडनायक ने कहा, "नेताजी की प्रतिमा 28 फीट ऊंची होगी और जेट ब्लैक ग्रेनाइट में उकेरी जाएगी. हम तेलंगाना के खम्मम जिले से ग्रेनाइट पत्थर का ब्लॉक लाएंगे. यह वही स्थान है जहां से राष्ट्रीय पुलिस स्मारक के लिए पत्थर लाया गया था." उन्होंने कहा, “मुझे बहुत खुशी है कि प्रधानमंत्री ने मुझे यह काम सौंपा है. ऐसा लगता है कि इतने सालों बाद नेताजी को वो सम्मान मिलेगा जिसके वे हकदार हैं. मुझे बहुत गर्व है कि मैं ओडिशा से ताल्लुक रखता हूं जहां नेताजी का जन्म हुआ और उन्होंने अपना बचपन बिताया." 

ब्लैक ग्रेनाइट से बनेगी नेताजी की प्रतिमा

अद्वैत गडनायक ने आगे बताया, "चूंकि नेताजी एक बहुत मजबूत शख्सियत थे, इसलिए हमने उनकी मूर्ति को तराशने के लिए ग्रेनाइट को एक माध्यम के रूप में सोचा क्योंकि यह एक अत्यंत कठोर पत्थर है. इसके अलावा, हम काले रंग की ऊर्जा को देवी महाकाली और भगवान कृष्ण जैसे देवताओं से जोड़ते हैं. इसलिए जेट ब्लैक ग्रेनाइट नेताजी की प्रतिमा के लिए एक आदर्श विकल्प था और हमें खुशी है कि प्रधानमंत्री को यह पसंद आया." अद्वैत गडनायक इस प्रतिमा के लिए कर्नाटक के ग्रेनाइट कारीगरों के साथ काम करेंगे. नई दिल्ली में जल्द शुरू होने वाले इस काम के लिए संस्कृति मंत्रालय 25 से 30 मूर्तिकारों का चयन करेगा.