दिल्ली में अक्टूबर और नवंबर के महीने में बढ़ा हुआ वायु प्रदूषण एक आम समस्या है. इसके निपटारे को लेकर कई सारे प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन अभी तक कोई प्रॉपर सॉल्यूशन नहीं मिल पाया है. हाल ही में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने पड़ोसी राज्य हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए केंद्र द्वारा उठाए गए कदमों पर जोर दिया. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि समय के साथ पराली एक समस्या नहीं रह जाएगी क्योंकि इसका मूल्य बढ़ जाएगा, जिससे पराली के लिए एक मजबूत बाजार का निर्माण होगा. इसी को समझाते हुए नितिन गडकरी ने मंगलवार को कहा कि इन राज्यों में पराली से बिटुमेन, बायो-सीएनजी, एलएनजी बनाई जा रही है और पराली के लिए एक अच्छा बाजार बनाने का प्रयास किया जा रहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने जताई थी नाराजगी
पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में पराली जलाने या फसल अवशेष जलाने से निकलने वाला धुआं दिल्ली में वायु प्रदूषण के प्रमुख कारकों में से एक है. मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इन राज्यों के किसानों और राज्य सरकारों को तुरंत पराली जलाना बंद करने का निर्देश दिया था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नितिन गडकरी ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, ''पराली से बिटुमेन, बायो सीएनजी, एलएनजी बनाई जा रही है. सीएनजी, एलएनजी बनाने के लिए पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश में 185 परियोजनाएं शुरू हो गई हैं. पानीपत में इथेनॉल, बायो बिटुमेन और पराली से विमानन ईंधन बनाया जा रहा है और सरकार इसे गति देने के लिए काम कर रही है.”
बनानी चाहिए नीति - गडकरी
गडकरी ने आगे कहा, "सरकार पराली के काम को गति देने की कोशिश कर रही है. धीरे-धीरे पराली मिलेगी नहीं, पराली के भाव बढ़ेंगे और पराली का बहुत अच्छा बाजार होगा. पराली न जलने से प्रदूषण की समस्या सुलझाई जाएगी. पंजाब को सुझाव दिया था कि पराली को किसानों के फायदे से जोड़ों तो असर दिखेगा." बता दें कि पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं ज्यादा कम नहीं हो रही हैं. इस पर सुप्रीम कोर्ट भी नाराजगी जता चुका है. उन्होंने कहा, "जब मैं पंजाब में था, तो मैंने उन्हें सुझाव दिया कि एक नीति बनाई जानी चाहिए और इसे (पराली को) कचरे से संपदा में बदलने के लिए किसानों को इसमें शामिल किया जाना चाहिए." उनका मानना था कि ऐसी नीति समस्या से प्रभावी ढंग से निपटने में फायदेमंद साबित होगी.
क्या है बायो-बिटुमेन?
बिटुमेन काले रंग का तरल पदार्थ होता है, जिसका उपयोग सड़क और छत बनाने के लिए करते हैं. अगर हम पराली से बायो-बिटुमेन बनाते हैं तो इससे प्रदूषण का स्तर भी कम होगा और किसानों को भी फायदा पहुंचेगा. पानीपत में अभी इंडियन ऑयल का संयंत्र पराली से एक लाख लीटर इथेनॉल और 150 टन बायो-बिटुमेन बनाता हैं. इसके अलावा एविएशन फ्यूल की तरह पराली से बने बायो-एविएशन फ्यूल से हवाई जहाज, लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर उड़ सकेंगे.
इससे पहले नवंबर में, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन समिति ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के समक्ष दायर अपनी रिपोर्ट में कहा था कि पंजाब राज्य सरकार और उसके अधीन विभिन्न प्रशासनिक एजेंसियों को इसे सख्ती से और पराली जलाने के मामलों में भारी कमी लाने के लिए कार्य योजना के अलग-अलग कंपोनेंट्स को प्रभावी ढंग से लागू करने की आवश्यकता है.