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Baby Ellie: मिलिए एशिया की पहली रोबोट बेबी एलिफेंट एली से जो बोल सकती है, जानिए क्या है इसको बनाने का मकसद

मुंबई में एशिया की पहली रोबोटिक बेबी एलिफेंट को लॉन्च किया गया था जो पलक झपकाती है और सूंड़ भी हिलाती है. इसे अलग-अलग स्कूलों में ले जाया जा रहा है ताकि ये बच्चों को जानवरों के प्रति बुरे व्यवहार के प्रति जागरूक कर सके. इसी मुहिम केे तहत ये दिल्ली आई है.

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Peta Asia ने एशिया की पहली बोलने वाली रोबोटिक बेबी एलिफेंट बनाई है. इसका नाम है Elly है और उम्र 12 साल है. एली बोल भी सकती है. साथ ही अपनी सूंड कान और आंखे भी झपका सकती है. Elly को सिलिकॉन और ईको फ्रेंडली प्रोडक्ट से बनाया गया है. इस रोबोट एलिफेंट का वजन 35Kg है और हाइट 6 फुट है. Elly को आवाज़ दी है एक्टर दिया मिर्जा ने.

क्या है मकसद
एली को बच्चे देखकर काफी पसंद कर रहे हैं क्योंकि एली बच्चों से बात कर रही है. यह कहानी भी सुनाती है. अली को बनाने का मकसद है कि वह बच्चों से बातचीत करके अपनी कहानी के माध्यम से उन्हें एनिमल क्रुएलिटी यानी जानवरों के साथ होने वाले उत्पीड़न के बारे में बता सके और एजुकेट कर सके. ये बेबी एलीफेंट अपनी आंखें झपका सकती है और अपनी सूंड हिला सकती है. बच्चे इसे देखकर काफी आकर्षित हो रहे हैं. पहली नजर में देखने में कोई नहीं बता सकता कि यह असली बेबी एलिफेंट नहीं है बल्कि एक रोबोट है. 

Elly को बनाने का मकसद है की जानवरो को सर्कस या जू से हटा कर इसे असली जानवर जैसे दिखने वाले रोबोट से बदला जा सके. पूरी दुनिया में सर्कस और जू में जंगलों से पकड़ के जानवरों को रखा जाता है. यहां उन्हें बांधकर रखा जाता है और उनसे करतब कराए जाते हैं. मां-बाप अपने बच्चों को ऐसी जगह घूमाने और जानवर दिखाने के लिए ले जाते हैं. मगर इन जानवरों को इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है. जानवरों को जू से निकाल के नेशनल पार्क या किसी सेंचुरी में वापस भेजा जाए और ऐसे असली जानवर जैसे दिखने वाले रोबोट जानवर उनकी जगह रखे जाएं, एली इसी कोशिश की शुरुआत है.

दिल्ली के बच्चो से मिलने एली आई है
पेटा इंडिया एशिया की पहली बोलने वाली रोबोट बेबी एलिफेंट एली को राजधानी दिल्ली के अलग-अलग स्कूलों में ले जाया जा रहा है ताकि इस बोलने वाली बेबी एलिफेंट से बच्चे मिल सकें. ये रोबोट बेबी एलीफेंट बच्चों को कहानी के माध्यम से एजुकेट करेगा. टाटा एशिया ने कोरोना काल में इस रोबोट बेबी एलिफेंट को बनाना शुरू किया था. 1 साल के अंतराल में इस एलीफेंट को पूरा बना लिया गया. इसे बनाने के लिए सिलिकॉन और इको फ्रेंडली प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल किया गया है. साथ ही इसे बनाने में कुछ लाख का खर्चा आया है. पेटा का कहना है कि वह आने वाले समय में अलग-अलग जानवरों के भी रोबोट बनाएंगे ताकि सर्कस और जू में असली जानवर को हटाकर उन्हें उनके घर जंगल में वापस भेजा जा सके.