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दिल्ली विधानसभा में मिला अंग्रेजों के जमाने का 'फांसी घर', इससे पहले मिल चुकी है सुरंग

मंगलवार को दिल्ली विधानसभा स्पीकर ने आजतक को बताया कि जहां फांसी घर मिला है वो इमारत दो मंजिला है और जिस दीवार को तोड़कर फांसी घर नजर आया है वहां पहुंचने के लिए काफी पुरानी लकड़ी की सीढ़ियों का इस्तेमाल करना होता है. आपको बता दें, इससे पहले दिल्ली विधानसभा में सुरंग भी मिल चुकी है.

फांसी घर फांसी घर
हाइलाइट्स
  • फांसी घर की जांच के लिए स्पीकर द्वारा भारतीय पुरातत्व विभाग को भी पत्र लिखा गया है

  • लंबे समय से बंद था ये दरवाजा

  • दिल्ली विधानसभा के स्पीकर राम निवास गोयल ने किया है दावा

दिल्ली विधानसभा के स्पीकर राम निवास गोयल ने दावा किया है कि विधानसभा परिसर में एक फांसी घर मिला है. उनका दावा है कि विधानसभा में दीवार तोड़ने के बाद एक ऐसी जगह नजर आई है जहां अंग्रेजों के जमाने में क्रांतिकारियों को फांसी के फंदे पर लटकाया जाता था. फिलहाल फांसी घर की जांच के लिए स्पीकर द्वारा भारतीय पुरातत्व विभाग को भी पत्र लिखा गया है.

मंगलवार को दिल्ली विधानसभा स्पीकर ने आजतक को बताया कि जहां फांसी घर मिला है वो इमारत दो मंजिला है और जिस दीवार को तोड़कर फांसी घर नजर आया है वहां पहुंचने के लिए काफी पुरानी लकड़ी की सीढ़ियों का इस्तेमाल करना होता है. आपको बता दें, इससे पहले दिल्ली विधानसभा में सुरंग भी मिल चुकी है.

Fansi Ghar
Fansi Ghar

लंबे समय से बंद था ये दरवाजा

विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल के मुताबिक विधानसभा परिसर में एक दरवाजा लंबे समय से बंद था. तीन साल पहले इसे खुलवाया गया. जहां फांसी घर मिला है उसके नीचे जमीन पर फिलहाल बाथरूम बना हुआ है जिसे अब बंद किया जाएगा. फिलहाल दिल्ली विधानसभा के फांसी घर को पर्यटकों के लिए शुरू करने पर विचार चल रहा है. 

फांसी घर
फांसी घर

विधानसभा स्पीकर ने बताया कि आर पार दिखने वाले कांच के साथ एक लिफ्ट लगाई जाएगी ताकि आम लोग फांसी घर देख सकें. स्पीकर के मुताबिक फांसी घर को ढूंढने के लिए पिछले कई महीनों से कोशिश चल रही थी हालांकि कोरोना की वजह से देरी भी हुई है.

क्या है इसका इतिहास?

रामनिवास गोयल ने इसके इतिहास के बारे में बताया. वे कहते हैं कि 1912 में जब कोलकाता के बाद दिल्ली राजधानी बनाई गई थी तब दिल्ली विधानसभा लोकसभा हुआ करती थी. 1926 में जब लोकसभा यहां से चली गई, तो उसके बाद अंग्रेजों ने इस जगह को कोर्ट में बदल दिया था. तब लाल किले से क्रांतिकारियों को सुरंग के जरिए यहां लाकर कोर्ट में पेश किया जाता और सजा दी जाती थी.
 
 (पंकज जैन की रिपोर्ट)