दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दो दिन में इस्तीफ़ा देने वाले हैं. जेल से जमानत मिलने और रिहा होने के महज दो दिन बाद एक पार्टी बैठक में उन्होंने अपने इस्तीफे की घोषणा की है. केजरीवाल अगले दो दिनों में आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायकों की एक बैठक भी बुलाने वाले हैं, जिसमें नए मुख्यमंत्री का नाम चुना जाएगा. इसके अलावा, केजरीवाल ने दिल्ली के नगरपालिका चुनावों को, जो पहले फरवरी के लिए निर्धारित थे, नवंबर तक आगे बढ़ाने की मांग की है ताकि यह महाराष्ट्र के चुनावों के साथ मेल खा सके.
हालांकि, इस घटना ने केवल दिल्ली ही नहीं बल्कि पूरे भारत की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है.
क्या विधानसभा भंग होगी?
हालांकि, केजरीवाल के इस्तीफे के बाद AAP के भीतर एक बड़ा बदलाव होगा. लेकिन दिल्ली विधानसभा भंग नहीं होगी. आम आदमी पार्टी की दिल्ली विधानसभा में लगभग 70 में से 60 सीटों पर मजबूती है. इसकी वजह से AAP के लिए ये एक आंतरिक मामला है. इसका मतलब है कि केजरीवाल के इस्तीफे के बावजूद दिल्ली विधानसभा भंग नहीं होगी.
मुख्यमंत्री के इस्तीफे के लिए एक आधिकारिक पत्र तैयार करना जरूरी होगा, जैसा दूसरा किसी भी राज्य में होता है. इस पत्र में इस्तीफे की तारीख, कारण और दूसरी जरूरी जानकारी शामिल होंगी.
अपने इस्तीफे के बाद, केजरीवाल दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) को अपने उत्तराधिकारी का नाम प्रस्तावित करेंगे. चूंकि दिल्ली एक संघ शासित क्षेत्र है, यह सिफारिश भारत के राष्ट्रपति को गृह मंत्रालय के माध्यम से भेजी जाएगी. राष्ट्रपति को नए मुख्यमंत्री की नियुक्ति को मंजूरी देनी होगी. जैसे ही यह मंजूरी मिलेगी, नए नेता को शपथ दिलाई जाएगी, जिससे प्रशासन सुचारू रूप से चलेगा.
राष्ट्रपति शासन लागू होगा?
दिल्ली विधानसभा को भंग करने का कोई प्रस्ताव अभी वर्तमान में नहीं है. इसका मतलब है कि राष्ट्रपति शासन लागू होने की संभावना कम है. इसके अलावा, महाराष्ट्र और झारखंड के आगामी चुनावों के साथ नवंबर में, चुनाव आयोग के लिए एक ही समय में दिल्ली में जल्दी चुनाव करवाना काफी चुनौतीपूर्ण होगा. इसलिए, दिल्ली के चुनाव जनवरी-फरवरी अगले साल के अनुसार आयोजित होने की उम्मीद है.
लेकिन अगर राष्ट्रपति शासन लागू होता है, तो चुनावों में और देरी हो सकती है. हालांकि, वर्तमान में इस स्थिति की संभावना कम मानी जा रही है.
कौन होता है मुख्यमंत्री?
आपको बता दें, एक मुख्यमंत्री (CM) भारत के एक राज्य या संघ शासित प्रदेश का कार्यकारी प्रमुख होता है. दिल्ली के मुख्यमंत्री के पास कार्यकारी शक्ति होती है, हालांकि औपचारिक प्रमुख उप-राज्यपाल यानि लेफ्टिनेंट गवर्नर होते हैं. भारतीय संविधान के अनुसार, असली कार्यकारी अधिकार मुख्यमंत्री के पास होता है, जो राज्य सरकार का नेतृत्व करता है और राज्य से जुड़े निर्णय लेता है.