दिल्ली वालों के लिए लंबे वक्त से सस्ती बिजली को लेकर लड़ाई लड़ रहे पावर एक्सपर्ट बिजली कंपनियों की होने वाली ऑडिट से काफी खुश हैं. दिल्ली सरकार ने साल 2016 से 2022 तक हुए बिजली सब्सिडी वितरण के संबंध में वितरण कंपनियों का विशेष लेखा परीक्षण करने का निर्देश जारी किया. यानी अब राजधानी में बिजली वितरण कंपनियों को मिली सब्सिडी का विशेष ‘ऑडिट’ होगा. जिसके यह पता चलेगा कि दिल्ली सरकार जो दिल्ली वालों को सब्सिडी देती है और वह सब्सिडी का पैसा जो बिजली कंपनियों के खातों में जाता है क्या उसमें किसी प्रकार की कोई गड़बड़ी तो नहीं है.
कितने उपभोक्ताओं को मिलता है फायदा?
दरअसल, दिल्ली सरकार अक्सर यह दावा करती है कि दिल्ली में लगभग 25 लाख उपभोक्ताओं को मुफ्त बिजली का फायदा मिलता है. लेकिन न तो सरकार के पास और ना ही बिजली कंपनियों के पास कोई स्पेसिफिक डाटा है, जिससे ये पता चले कि सब्सिडी लेने वाले आखिरकार कितने उपभोक्ता है और किन-किन को ये सब्सिडी मिल रही है.
क्या कहना है पावर एक्सपर्ट का ऑडिट पर ?
पावर एक्सपर्ट सौरभ गांधी के मुताबिक पिछले लंबे वक्त से हम बिजली का मुख्य खातों की सीएजी से ऑडिट कराने की मांग कर रहे हैं. यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है. लेकिन अब उपराज्यपाल ने जो ऑडिट की सिफारिश की है उससे दिल्लीवालों को फायदा मिलेगा. अब एक्चुअल डाटा यह मिल पाएगा कि आखिरकार दिल्ली में सब्सिडी लेने वाले कितने उपभोक्ता हैं.
वहीं पावर एक्सपर्ट अनिल सूद के मुताबिक सिर्फ बिजली कंपनियों का ऑडिट नहीं होना चाहिए बल्कि डीआरसी का भी ऑडिट होना चाहिए क्योंकि डीआरसी भी पावर कंपनीज के इशारों पर काम कर रही है. इससे दिल्लीवालों को नुकसान होता है.
क्या है दिल्ली बिजली सब्सिडी योजना?
दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार हर महीने दो सौ यूनिट निशुल्क और 201 से चार सौ यूनिट बिजली पर 50 प्रतिशत की सब्सिडी देती है. सामान्य घरेलू उपभोक्ताओं के अलावा 1984 के दंगा पीड़ित परिवारों, वकीलों और किसानों को भी बिजली सब्सिडी मिलती है. यह सब्सिडी दिल्ली सरकार किसी को भी दे सकती है और इस सब्सिडी का जो घाटा सरकार को लगता है दरअसल वो कंपनियों के पास जाता है. 2016 से लेकर 2022 तक लगभग बिजली कंपनियों को 20 करोड रुपए सब्सिडी के रूप में दिए जाने हैं. ऐसे में बीजेपी का आरोप है कि लगभग 11000 करोड रुपए दिल्ली सरकार बिजली कंपनियों को दे चुकी है. दिल्ली विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता रामवीर सिंह बिधूड़ी के मुताबिक सरकार के पास डाटा नहीं है कि कितने उपभोक्ताओं को सब्सिडी दी जा रही है और बिजली कंपनियों के कहने पर करोड़ों रुपये सब्सिडी के नाम पर उनको लूटा रही है जिसमें करोड़ों रुपए का घोटाला हो रहा है.
(सुशांत मेहरा की रिपोर्ट)