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Delhi Artificial Rain: दिल्ली सरकार वायु प्रदूषण कम करने के लिए कराएगी कृत्रिम बारिश, IIT Kanpur करेगा सहयोग, यहां जानिए कैसे 

Delhi में कृत्रिम बारिश को लेकर दिल्ली सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है. मई में कृत्रिम बारिश कराई जा सकती है. पहले ट्रायल के तौर पर इसे शुरू किया जाएगा. पहला ट्रायल IIT कानपुर की अगुवाई में किया जाएगा.

Cloud Seeding (Photo: Meta AI) Cloud Seeding (Photo: Meta AI)
हाइलाइट्स
  • मई में कराई जा सकती है कृत्रिम बारिश 

  • आईआईटी कानपुर ने दिल्ली सरकार को प्रदूषण से निबटने के लिए दिया प्रेजेंटेशन

Cloud Seeding: दिल्ली सरकार ने वायु प्रदूषण कम करने के लिए आर्टिफिशियल रेन कराने की तैयारी में है. आईआईटी कानपुर के सहयोग से क्लाउड सीडिंग के जरिए कृत्रिम बारिश कराई जाएगी.

गुरुवार को दिल्ली सचिवालय में पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई. इसमें केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी), गृह मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत ट्रॉपिकल मौसम विज्ञान संस्थान, पर्यावरण मंत्रालय, आईआईटी कानपुर, नागरिक उड्डयन महानिदेशालय, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण सहित विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों ने क्लाउड सीडिंग के माध्यम से आर्टिफिशियल रेन की संभावनाओं पर चर्चा की.

आईआईटी कानपुर की टीम ने कराया अवगत
बैठक के दौरान, आईआईटी कानपुर की टीम ने अवगत कराया कि क्लाउड सीडिंग एक वैज्ञानिक तकनीक है, जो बादलों में विशिष्ट रासायनिक पदार्थ फैलाकर वर्षा को बढ़ावा देती है. ये पदार्थ क्लाउड कंडेंसशन न्यूक्लियाई के रूप में कार्य करते हैं. इससे पानी की बूंदें बनने और बढ़ने लगती हैं, जिससे पानी की बूंदें बनकर आकार लेने लगती हैं और बारिश के रूप में धरती पर गिरती हैं.

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इस प्रक्रिया में एयरक्राफ्ट या ग्राउंड-बेस्ड जनरेटर का उपयोग किया जाता है. अधिकारियों ने जानकारी दी कि यह प्रक्रिया आमतौर पर सैकड़ों किलोमीटर के क्षेत्र को कवर कर सकती है और इसे दुनिया के कई हिस्सों में सूखा नियंत्रण और वायु प्रदूषण को कम करने के प्रभावी समाधान के रूप में सफलतापूर्वक लागू किया गया है.

क्लाउड सीडिंग में पाई है सफलता 
आईआईटी कानपुर ने पहले भी क्लाउड सीडिंग में सफलता प्राप्त की है और बारिश कराने की इस तकनीक के पिछले सात में से छह प्रयोग सफल रहे हैं. मंत्री सिरसा ने इस परियोजना की संभावनाओं और प्रभाव को ध्यान से परखा और संबंधित विभागों से इसके लिए जरूरी अनुमति में सहयोग करने को कहा.

इस बैठक में इस पहल को लागू करने के लिए जरूरी नियमों और अनुमतियों पर चर्चा हुई. अधिकारियों ने नियामक मंजूरी, उड़ान स्वीकृतियों और विभागों के बीच तालमेल पर विचार किया ताकि यह योजना आसानी से लागू हो सके.

वायु प्रदूषण कम करने पर जोर
मनजिंदर सिंह सिरसा ने दिल्ली में वायु प्रदूषण से लड़ने की सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा, हम दिल्ली में वायु प्रदूषण के खिलाफ एक निर्णायक जंग लड़ रहे हैं और इसे खत्म करने के लिए हर संभव कदम उठाने के लिए संकल्पबद्ध हैं. यह सिर्फ एक प्रयास नहीं, बल्कि हमारी आने वाली पीढ़ियों को स्वच्छ और सुरक्षित वातावरण देने का हमारा कर्तव्य है.

दिल्ली सरकार वायु प्रदूषण को कम करने के लिए लगातार आधुनिक तकनीकों को अपना रही है. रियल-टाइम एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग, स्मॉग टावर और पराली प्रबंधन के लिए बायो-डीकंपोजर जैसी पहल इसकी भविष्य की रणनीति का अहम हिस्सा हैं, जो स्वच्छ और स्वस्थ पर्यावरण सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. दिल्ली में वायु प्रदूषण कम करने के लिए प्राकृतिक आयनाइजेशन तकनीक का उपयोग करके एक स्थिर आर्टिफीसियल रेन सिस्टम स्थापित करने के प्रस्ताव पर भी एक अलग प्रेजेंटेशन की समीक्षा की.

ऑनलाइन पोर्टल के बारे में दी जानकारी
इसके अलावा, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के साथ हुई एक अन्य बैठक में अधिकारियों ने माननीय मंत्री को एक ऑनलाइन पोर्टल के बारे में जानकारी दी, जो निर्माण गतिविधियों से होने वाले डस्ट पॉल्यूशन को रोकने और 14-सूत्रीय कार्य योजना के प्रभावी क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने में मदद करेगा.

इसके अलावा, निगरानी को मजबूत करने के लिए  निर्माण स्थलों पर सेल्फ-ऑडिट और सेल्फ-असेसमेंट को बढ़ावा देने, पीटीजेड (PTZ) कैमरों के साथ वीडियो फेंसिंग लगाने और पीएम 2.5 स्तर की निगरानी के लिए सेंसर तैनात करने पर जोर दिया गया. आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस का उपयोग करके नियमों का उल्लंघन करने पर पेनाल्टी और चालान जारी किया जाएगा. साथ ही, 500 वर्ग गज से बड़े सभी निर्माण स्थलों पर अपनी डीपीसीसी का क्लीयरेंस स्टेटस स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करना अनिवार्य होगा.