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मैरिटल रेप पर दिल्ली हाईकोर्ट के जज नहीं हुए एकमत, अब SC करेगा फैसला...जानिए क्या है इसको लेकर प्रावधान

दिल्ली हाईकोर्ट ने आज वैवाहिक बलात्कार यानी मैरिटल रेप को अपराध के दायरे में लाने की मांग करने वाली याचिकाओं हाईकोर्ट के जज एकमत नहीं थे. अब इस मामले को तीन जजों की बेंच को सौंप दिया गया है. इसके साथ ही अब मैरिटल रेप का ये मामला सुप्रीम कोर्ट में भी जाएगा.

 मैरिटल रेप मैरिटल रेप
हाइलाइट्स
  • धारा 375 में है बड़ा अपवाद है मैरिटल रेप

  • मैरिटल रेप के अपराध ना होने के है कई दुष्परिणाम

दिल्ली हाईकोर्ट ने आज वैवाहिक बलात्कार यानी मैरिटल रेप को अपराध के दायरे में लाने की मांग करने वाली याचिकाओं पर अहम फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट के जज इसे अपराध मानने पर एकमत नहीं थे. जिस कारण अब इस मामले को तीन जजों की बेंच को सौंप दिया गया है. इसके साथ ही अब मैरिटल रेप का ये मामला सुप्रीम कोर्ट में भी जाएगा.

मैरिटल रेप मामले पर सुनवाई कर रहे जस्टिस राजीव शकधर और जस्टिस हरिशंकर के विचारों में कानून के प्रावधानों को हटाने को लेकर मतभेद था. जिस कारण इसे बड़ी बेंच को सौंपा गया है. वहीं पीठ ने याचिकाकर्ता को अपील करने की छूट दी है. मैरिटल रेप को लेकर पहले केंद्र सरकार ने मौजूदा कानून की तरफदारी की थी, लेकिन बाद में इसमें बदलाव करने की वकालत भी की है. दिल्ली हाईकोर्ट ने 21 फरवरी को सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था.  तो चलिए आपको बताते हैं कि ये मैरिटल रेप आखिर क्या है, और इसको लेकर क्या कानून हैं.

क्या होता है मैरिटल रेप?
दरअसल जब कोई पति अपनी पत्नी की सहमति के बिना या जबरदस्ती यौन संबंध बनाता है, तो उसे मैरिटल रेप कहा जाता है. हालांकि भारतीय दंड संहिता में दुष्कर्म की परिभाषा को तय की गई है लेकिन मैरिटल रेप का कोई जिक्र नहीं है. ऐसे में शादी के बाद कोई पति अगर अपनी पत्नी से जबरन यौन संबंध बनाता है तो उसके लिए रेप केस में कानूनी मदद का प्रावधान नहीं है. 

IPC में क्या है दुष्कर्म की परिभाषा?
भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के तहत अगर कोई व्यक्ति किसी महिला से उसकी इच्छा और सहमति के बिना, जान से मारने की धमकी या किसी दूसरे तरीके से सहमति लेकर, शादी का झांसा देकर, महिला की खराब मानसिक स्थिति में या नशीला पदार्थ खिलाकर सहमति लेकर यौन संबंध बनाता है तो वो दुष्कर्म की श्रेणी में आता है. वहीं 16 साल से कम उम्र की किशोरी से उसकी सहमति या जबरन बनाया गया यौन संबंध भी दुष्कर्म माना जाता है.

धारा 375 में है बड़ा अपवाद?
IPC की धारा 375 में एक बड़ा अपवाद रह गया है. जिस कारण ही मैरिटल रेप को अपराध नहीं माना जाता है. धारा 375 के मुताबिक अगर पत्नी की उम्र 15 साल से कम भी है तो पति का उसके साथ बनाया गया यौन संबंध दुष्कर्म नहीं माना जाएगा, फिर चाहे पति ने यौन संबंध जबरदस्ती बनाया हो या पत्नी की सहमति से बनाया हो. अब इस धारा में यही अपवाद विवाद का कारण बना हुआ है.

मैरिटल रेप के अपराध ना होने क्या है दुष्परिणाम?
देश में मैरिटल रेप के अपराध की श्रेणी में ना होने की वजह से कई महिलाएं अपने घर में इसका सामना कर रही हैं. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (NFHS-5) के मुताबिक, देश में अब भी 29 प्रतिशत से अधिक महिलाएं अपने पति की शारीरिक या यौन हिंसा झेल रही हैं. गांव और शहरों में अंतर और भी ज्यादा है. ग्रामीण इलाकों में 32 प्रतिशत महिलाएं इसकी शिकार हैं, वहीं शहरों में 24 प्रतिशत महिलाएं इसकी शिकार हैं.