scorecardresearch

दिल्ली हाई कोर्ट ने Amazon को दिया अपने प्लेटफॉर्म से Rooh Afza हटाने का आदेश! जानें क्या है पूरा मामला 

भारत और पाकिस्तान दोनों देशों में रूह अफज़ा को शरबत के रूप में खूब पसंद किया जाता है. हमदर्द नेशनल फाउंडेशन जहां भारत में रूह अफजा का निर्माण करता है, वहीं हमदर्द लेबोरेटरीज (वक्फ) का पाकिस्तान में रूह अफज़ा पर अधिकार है. अमेजन प्लेटफॉर्म पर कई फेक कंपनियां भी रूह अफज़ा बेच रही हैं. इन्हीं को रोकने के लिए हाई कोर्ट ने अमेजन से कहा है कि बाकी की कंपनियों द्वारा बेचे जा रहे रूह अफज़ा को हटाया जाए.

Rooh Afza Rooh Afza
हाइलाइट्स
  • हमदर्द के अलावा भी कई कंपनियों बेच रही हैं

  • अक्टूबर में होगी अगली सुनवाई रूह अफज़ा

दिल्ली हाई कोर्ट ने अमेजन प्लेटफॉर्म (Amazon Platform) से “रूह अफज़ा" हटाने का आदेश दिया है. ये आदेश उनके लिए है जो इसकी मूल कंपनी हमदर्द से संबंधित नहीं है. हाई कोर्ट का ये ऑर्डर तब आया है जब इस प्रोडक्ट के भारतीय निर्माता हमदर्द नेशनल फाउंडेशन (Hamdard National Foundation) ने कहा कि भारत में ई-कॉमर्स साइट पर लिस्टेड कुछ "रूह अफजा" (Rooh Afza) हमारे देश की हमदर्द लैब में नहीं बने हैं. बल्कि ये पाकिस्तानी कंपनी द्वारा निर्मित हैं. इसका विवरण पैकेजिंग पर नहीं दिया गया है. बता दें, अमेजन पर कई कंपनियां अपना रूह अफज़ा बनाकर बेच रही हैं. इन्हीं को रोकने के लिए हाई कोर्ट ने ये आदेश दिया है.

चलिए जनाते हैं कि आखिर रूह अफज़ा कहां बनता है और दिल्ली हाई कोर्ट ने ये ऑर्डर क्यों दिया-

रूह अफजा क्या है?

बताते चलें कि रूह अफज़ा एक शरबत है. जो जड़ी-बूटियों और फलों के मिश्रण से बनता है. भारतीय घरों में पिछले कई साल से इसे पिया जा रहा है. यह भारत और पाकिस्तान के 1947 के विभाजन के बाद से ही दोनों फला-फूला है. इतना ही नहीं बल्कि उत्तर भारत में तो रूह अफज़ा गर्मियों के दौरान ज्यादातर लोगों की पहली पसंद रहता है. जबकि पाकिस्तान में, रूह अफज़ा रमजान के पवित्र महीने में एक विशेष पसंदीदा है. इसे इफ्तार दावत के साथ परोसा जाता है.

सबसे पहले कब बेचा गया था रूह अफज़ा?

इसकी शुरूआत की बात करें तो रूह अफज़ा को पहली बार 1907 में पुरानी दिल्ली में, हकीम हाफिज अब्दुल मजीद, जो पेशे से एक हीलिंग प्रैक्टिशनर ने बेचा था. वहीं हमदर्द की वेबसाइट के मुताबिक, हमदर्द पाकिस्तान की स्थापना कराची में 1948 में तिब्ब-ए-यूनानी के दो किराये के कमरे के क्लिनिक में हकीम मोहम्मद सईद द्वारा की गई थी. विशेष रूप से रूह अफज़ा सिरप और प्रभावी हर्बल दवा है.”

दरअसल, 1947 में, विभाजन के समय हकीम हाफिज अब्दुल के दो बेटों के साथ रूह अफज़ा दोनों देशों में बंट गया. उन्होंने कई देशों में इसके कारखाने स्थापित किए. दो फर्म, हमदर्द इंडिया और हमदर्द पाकिस्तान को स्थापित किया गया. इस प्रकार हमदर्द नेशनल फाउंडेशन भारत में रूह अफजा का निर्माण करता है जबकि हमदर्द लेबोरेटरीज (वक्फ) का पाकिस्तान में रूह अफज़ा पर अधिकार है.

न्यूज एजेंसी एएफपी के हवाले से रूह अफज़ा के संस्थापक के परपोते हामिद अहमद बताते हैं कि बहुत कम लोगों को इसे बनाने का तरीका पता है. हामिद कहते हैं, “पिछले 115 वर्षों में इसे बनाने का तरीका नहीं बदला है. यह एक बड़ा रहस्य है. यहां तक ​​कि कारखाने के लोग भी इसे नहीं जान पाएंगे. मुझे लगता है, तीन लोग होंगे जो इसे जानते होंगे.” 

दिल्ली HC ने ये आदेश क्यों दिया? 

अब अगर दिल्ली हाई कोर्ट की बात करें, तो कोर्ट ने हमदर्द नेशनल फाउंडेशन और हमदर्द लेबोरेटरीज इंडिया की एक याचिका पर ये आदेश पारित किया है. इसमें कहा गया है कि अलग-अलग ब्रांड अमेजन पर रूह अफजा को अवैध रूप से बेच रहे हैं. 

कंपनी ने कहा कि कुछ विक्रेताओं ने कानूनी नोटिस दिए जाने के बाद ऐसा करना बंद कर दिया. लेकिन हाल ही में पाकिस्तान में निर्मित रूह अफजा की बोतलें बेचने वाले एक विक्रेता को देखा गया है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, निर्माताओं में से एक जिसका उत्पाद अमेजन पर बेचा जा रहा था, वह था हमदर्द लैब (वक्फ), पाकिस्तान का था.

हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “रूह अफज़ा एक ऐसा प्रोडक्ट है जिसका भारतीय जनता अब एक सदी से ज्यादा समय से उपभोग कर रही है, और इसके क्वालिटी स्ट्रैंडर्ड को फूड सेफ्टी एक्ट के नियमों का पालन करना होगा. जब कोई 'विजिट द हमदर्द स्टोर' लिंक पर क्लिक करता है, तो उपभोक्ता को हमदर्द लेबोरेटरी के वेबपेज पर ले जाया जाता है.”

अक्टूबर में होगी अगली सुनवाई 

कोर्ट ने आगे कहा कि जब तक उपभोक्ता को असली में प्रोडक्ट नहीं मिल जाता तबतक उसके पास यह जानने का कोई तरीका नहीं है कि बेचा जा रहा उत्पाद पाकिस्तान का है या भारत का. चूंकि अमेजन के मुताबिक, अमेजन को चार हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा गया है. मामले की अगली सुनवाई 31 अक्टूबर को होगी.