22 मई को दिल्ली के तीनों नगर निगम एक हो जाएंगे. इसके साथ ही MCD अपने पुराने अस्तित्व में आ जाएगा. 18 अप्रैल 2022 को दिल्ली नगर निगम को एक करने संबंधी विधेयक पास किया था. 22 मई को एकीकृत निगम की कमान सौंपने के लिए विशेष अधिकारी के साथ ही निगमायुक्त के नाम की भी घोषणा की जा सकती है.
कब अस्तित्व में आया दिल्ली नगर निगम
1958 में संसद में कानून के माध्यम से बीएमसी की तर्ज पर की स्थापना की गई थी. पुरानी दिल्ली के टाउन हॉल में इसका मुख्यालय बनाया गया, जिसे इंस्टीट्यूट बिल्डिंग कहा जाता था. दिल्ली की पहली महापौर अरुणा आसफ अली थीं. तब इसके 12 प्रशासनिक जोन थे, जो 8 से 9 जिलों में फैले हुए थे. दिल्ली में अब 11 जिले हैं. उस समय नगर निगम के पास पानी, सीवरेज, बिजली बोर्ड और सड़क परिवहन की जिम्मेदारी थी. लेकिन समय के साथ लगातार इसकी जिम्मेदारियों का दायरा भी सिकुड़ता गया है.
क्यों हुआ दिल्ली नगर निगम का विभाजन
साल 2011 में नगरीय निकाय तो तीन भागों में विभाजित कर दिया गया था. कांग्रेस की शीला दीक्षित सरकार में इनका बंटवारा हुआ था. उस वक्त यह तर्क दिया गया था कि ऐसा करने से नगर निगम के कामकाज में सुधार लाया जा सकता है. हालांकि इसके विभाजन से कामकाज में कोई खास सुधार तो नहीं हुआ, बल्कि निगम वित्तीय संकट में इस कदर फंस गए कि कर्मचारियों को वेतन देना मुश्किल हो गया. 2012 से पहले संयुक्त एमसीडी में 272 सीटें होती थी.
160000 कर्मचारियों वाला दिल्ली नगर निगम विश्व के सबसे बड़े नगर निकायों में से एक है. दिल्ली के पहले नगर आयुक्त पीआर नायक थे. अभी दिल्ली में तीन-तीन महापौर हैं, तीन-तीन आयुक्त हैं. लेकिन एकीकृत दिल्ली नगर निगम में कुल 250 वार्ड होंगे और एक महापौर के जिम्मे पूरी दिल्ली होगी.