प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को नई दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे (डीएमई) - सोहना (हरियाणा) -दौसा (राजस्थान) खंड के पहले चरण का उद्घाटन करेंगे. उम्मीद है कि दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे के इस हिस्से से दिल्ली और जयपुर के बीच यात्रा का समय लगभग दो घंटे कम हो जाएगी. फिलहाल यह 8-लेन का एक्सप्रेसवे है, जिसे 12 लेन तक बढ़ाया जा सकता है.
क्या है दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट
साल 2018 में शुरू हुए इस प्रोजेक्ट के तहत, राष्ट्रीय राजधानी और वित्तीय राजधानी के बीच यात्रा के समय को लगभग 24 घंटे से घटाकर 12 घंटे करने और उनके बीच की दूरी को 130 किमी कम करने के लिए आठ-लेन का एक्सप्रेसवे बनाया जा रहा है. इस योजना पर ₹98,000 करोड़ की लागत होगी. यह प्रोजेक्ट 1,380 किमी लंबा होगा और दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात राज्यों को कवर करेगा.
इस परियोजना से जयपुर, उदयपुर, इंदौर, वडोदरा आदि सहित कई शहरों को भी आर्थिक रूप से लाभ होने की उम्मीद है. एक्सप्रेसवे के निर्माण से 320 मिलियन लीटर से अधिक की वार्षिक ईंधन बचत और CO2 उत्सर्जन में 850 मिलियन किलोग्राम की कमी होने की उम्मीद है.
बनाया जाएगा एनिमल ओवरपास
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार, यह परियोजना एशिया में पहली और दुनिया में केवल दूसरी है जिसमें एनिमल ओवरपास हैं. ओवरपास 7 किमी लंबे होंगे ताकि जानवरों के आवागमन में कोई परेशानी न हो. परियोजना में पर्यावरण के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों के लिए दो 8-लेन सुरंगें भी शामिल होंगी, जो 4 किमी लंबी होंगी.
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे के निर्माण में 12 लाख टन स्टील की खपत होगी, जो '50 हावड़ा ब्रिज' के निर्माण के बराबर है. इसका निर्माण 'भारतमाला परियोजना' के पहले चरण का एक हिस्सा है और इसके मार्च 2023 तक पूरा होने की संभावना है.
सुधरेगी कनेक्टिविटी
मुंबई-दिल्ली एक्सप्रेसवे को ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रीडर की सुविधा दी जाएगी, जिससे FasTag के माध्यम से वाहनों से टोल टैक्स की कटौती होगी. इसके अलावा, यह दिल्ली, मुंबई, जयपुर, किशनगढ़, अजमेर, कोटा, चित्तौड़गढ़, उदयपुर, भोपाल, उज्जैन, इंदौर, अहमदाबाद, वडोदरा और सूरत जैसे आर्थिक केंद्रों से कनेक्टिविटी में सुधार करेगा, जिससे लाखों लोगों को आर्थिक समृद्धि मिलेगी.