दिल्ली में इन दिनों बढ़ते वायु प्रदूषण से लोग परेशान हैं. इस समस्या से निदान के लिए सरकार की तरफ से कई कार्य किए जा रहे हैं. राष्ट्रीय राजधानी में बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए एमसीडी भी अब अलर्ट मोड में है. दिल्ली में खुले में कूड़े को न जलाया जाए, इसकी रोकथाम की तैयारी भी की गई है. राजधानी में ओपन बर्निंग की निगरानी में करीब 300 टीमें तैनात कर दी गई हैं.
विंटर एक्शन प्लान किया लागू
दिल्ली सरकार की तर्ज पर एमसीडी ने विंटर एक्शन प्लान लागू कर दिया है. ओपन बर्निंग की दिन में निगरानी के लिए 175 से ज्यादा टीमों और रात में निगरानी के लिए 124 टीमों का गठन किया गया है. ये टीमें दिल्ली के कोने-कोने में जाकर यह जांच कर रही हैं कि कहीं ओपन बर्निंग न हो.
ये हैं प्रदूषण के बड़े स्रोत
निर्माण गतिविधियां और खुले में कूड़ा जलाना प्रदूषण के बड़े स्रोत हैं. कंस्ट्रक्शन वर्क से जगह-जगह धूल उड़ती है, जिससे प्रदूषण ज्यादा फैलता है. प्रदूषण का दूसरा बड़ा कारण सॉलिड वेस्ट है. कूड़े को खुले में जलाने से काफी प्रदूषण होता है, इसे ध्यान में रखते हुए एमसीडी ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं.
निगरानी टीमें मुस्तैद
निगरानी में तैनात टीमें ओपन बर्निंग को रोकने के लिए दिन-रात गश्त कर रही हैं. दिन में निगरानी करने वाली टीमों के सदस्य दिल्ली के विभिन्न इलाकों में जाकर इंस्पेक्शन कर रहे हैं ताकि ओपन बर्निंग को रोका जा सके. रात में निगरानी करने वाली टीमें भी रात के समय दिल्ली में बड़ी व छोटी सड़कों पर पर जाकर निगरानी कर रही हैं.
ग्रैप 4 है लागू
दिल्ली की मेयर शैली ओबरॉय ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बहुत ज्यादा था और एयर क्वालिटी इंडेक्स भी काफी खराब था. इसके चलते हमें ग्रैप 4 की गाइडलाइंस को लागू करना पड़ा. एमसीडी ने भी अपना एक विंटर एक्शन प्लान लागू किया है.
तीन-चार दिनों में एयर क्वालिटी इंडेक्स में आई है गिरावट
दिल्ली नगर निगम की ओर से सर्विलांस टीम बनाई गईं हैं. 1 अक्टूबर से लेकर 31 अक्टूबर तक ओपन बर्निंग को लेकर कोई चालान नहीं काटा. पिछले तीन-चार दिनों में एयर क्वालिटी इंडेक्स में गिरावट आई है. फिलहाल दिल्ली में GRAP 4 की गाइडलाइंस लागू हैं. इसके तहत ओपन बर्निंग और कंस्ट्रक्शन एक्टिविटी पर बैन लगाया है. इसी के साथ खुले में कूड़ा भी नहीं जला सकते.
पटाखे न जलाएं
मेयर डॉ शैली ओबरॉय ने कहा कि यह त्योहारों का समय है. आप पटाखे न जलाएं, कूड़े को तय स्थल पर ही डालें, ताकि हम उसे अलग कर लैंडफिल पर ले जाएं. कूड़ा जो लैंडफिल पर नहीं जाएगा, उसे वेस्ट टू एनर्जी ले जाया जाएगा. उसे रिसाइकल करके हम अन्य प्रोडक्ट बना सकेंगे.
(राम किंकर सिंह की रिपोर्ट)