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अफगानिस्तान पर चर्चा के लिए 7 देशों के सुरक्षा सलाहकार पहुंचे भारत, चीन-पाकिस्तान ने किया किनारा

बैठक में शामिल हो रहे आठ देशों के बीच अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद की सुरक्षा जटिलताओं पर चर्चा होगी और बातचीत मुख्यत: चुनौतियों से निपटने के लिए सहयोग करने पर केंद्रित रहेगी.

अजीत डोभाल (फाइल फोटो ) अजीत डोभाल (फाइल फोटो )
हाइलाइट्स
  • अफगानिस्तान में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की जाएगी.

  • चीन, पाकिस्तान नहीं होंगे शामिल.

अफगानिस्तान में बने हालात को लेकर भारत के बुलावे पर 7 देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) आज नई दिल्ली पहुंचेंगे. 10 नवंबर से शुरू हो रही इस मीटिंग में अफगानिस्तान पर सुरक्षा वार्ता के लिए रूस, ईरान और पांच मध्य एशियाई देशों के शीर्ष सुरक्षा अधिकारी भारत पहुंचेंगे. इससे पहले आज NSA अजित डोभाल उजबेकिस्तान और ताजिकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे. 

इस मीटिंग में ईरान, रूस, उज्बेकिस्तान, कजाखस्तान, तुर्कमेनिस्तान, ताजिकिस्तान और किर्गिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शामिल होंगे. जो अफगानिस्तान संकट के बाद आतंकवाद, कट्टरपंथ और मादक पदार्थों की तस्करी के बढ़ते खतरों से निपटने में व्यावहारिक सहयोग के लिए साझा सहयोग की रणनीति पर चर्चा करेंगे. सूत्रों के मुताबिक चीन को भी 'अफगानिस्तान पर दिल्ली क्षेत्रीय सुरक्षा वार्ता' के लिए आमंत्रित किया गया था, लेकिन उसने भारत को पहले ही सूचित कर दिया है कि वह कुछ कारणों से बैठक में शामिल नहीं हो पाएगा,वहीं पाकिस्तान ने भी किसी वजह से मीटिंग को छोड़ने का फैसला किया है. 

बैठक में शामिल हो रहे आठ देश

भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की अध्यक्षता में होने वाली इस मीटिंग में कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के शीर्ष सुरक्षा अधिकारी भी शामिल होंगे. सूत्रों ने कहा कि बैठक में शामिल हो रहे आठ देशों के बीच अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद की सुरक्षा जटिलताओं पर चर्चा होगी और बातचीत मुख्यत: चुनौतियों से निपटने के लिए व्यावहारिक चीजों पर सहयोग करने पर केंद्रित रहेगी. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान से लोगों की सीमा पार आवाजाही के साथ-साथ वहां अमेरिकी बलों द्वारा छोड़े गए सैन्य उपकरणों और हथियारों से उत्पन्न खतरे पर भी सुरक्षा अधिकारियों द्वारा विचार-विमर्श किए जाने की उम्मीद है. 

अफगानिस्तान में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की जाएगी

विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, 'उच्चस्तरीय वार्ता में क्षेत्र में अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रम से उत्पन्न सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की जाएगी. इसमें सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के उपायों पर विचार किया जाएगा और शांति, सुरक्षा तथा स्थिरता को बढ़ावा देने में अफगानिस्तान के लोगों का समर्थन किया जाएगा. विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत के पारंपरिक रूप से अफगानिस्तान के लोगों के साथ घनिष्ठ और मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं. ऐसे में हमने अफगानिस्तान के समक्ष उत्पन्न सुरक्षा और मानवीय चुनौतियों का समाधान करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग जरूरी है. मंत्रालय ने कहा कि यह बैठक उस दिशा में एक कदम है. 

चीन, पाकिस्तान नहीं होंगे शामिल 

सूत्रों ने कहा कि वार्ता में शामिल हो रहे देशों में से किसी ने भी तालिबान को मान्यता नहीं दी है और अफगानिस्तान की स्थिति पर उन सभी की समान चिंताएं हैं. वार्ता में चीन के अनुपस्थित रहने के बारे में सूत्रों ने कहा कि चीन समय संबंधी कुछ जटिलतओं की वजह से सम्मेलन में शामिल नहीं हो रहा लेकिन उसने अफगानिस्तान के मुद्दे पर द्विपक्षीय और बहुपक्षीय माध्यमों से भारत के साथ संपर्क में रहने की बात कही है.  वहीं पाकिस्तान ने 2018 और 2019 में भी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के संवाद में भारत की भागीदारी के चलते शामिल होने से इनकार कर दिया था. 

सभी देशों के NSA प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात करेंगे

सभी देशों के NSA प्रधानमंत्री मोदी से भी मुलाकात करेंगे. सूत्रों ने कहा कि ईरान का प्रतिनिधित्व वहां की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिव रियर एडमिरल अली शामखानी करेंगे, जबकि रूस का प्रतिनिधित्व वहां की सुरक्षा परिषद के सचिव निकोलाई पी. करेंगे.  कजाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा समिति के अध्यक्ष करीम मासीमोव अपने देश का प्रतिनिधित्व करेंगे जबकि किर्गिस्तान अपनी सुरक्षा परिषद के सचिव मरात मुकानोविच इमांकुलोव को भेज रहा है.  ताजिकिस्तान की सुरक्षा परिषद के सचिव नसरुल्लो रहमतजोन महमूदज़ोदा और तुर्कमेनिस्तान के सुरक्षा मामलों के मंत्रिमंडल उपाध्यक्ष चार्मीरत काकलयेवविच अमावोव अपने-अपने देशों का प्रतिनिधित्व करेंगे. 

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