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Delhi Weather: दिल्ली में आखिर क्यों हो गई है हर तरफ धुंध? क्या है इसके पीछे का कारण 

Delhi Weather: कोहरे के लिए ठंड में भी एक खास किस्म का तापमान और पैटर्न जरूरी होता है. जिस इलाके में तापमान एक खास रेंज में रहता है, वहीं पर कोहरा बनने के लिए सबसे ज्यादा अनुकूल परिस्थितियां होती हैं.

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हाइलाइट्स
  • कोहरे के पीछे के कई कारण हैं

  • दिल्ली और आसपास के इलाकों में धुंध यानि कोहरे का पहरा

दिल्ली और आसपास के इलाकों में धुंध यानि कोहरे का पहरा है. कहानी सिर्फ किसी एक इलाके की नहीं बल्कि इन दिनों पूरे उत्तर भारत की है. जम्मू कश्मीर से लेकर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश से लेकर मध्य प्रदेश तक कोहरे की चादर बिछी हुई है. आलम ये है कि सिर्फ सुबह ही नहीं बल्कि शाम ढलते ही धुंध छानी शुरू हो जाती है. अमृतसर से लेकर लाहौर में तो मंगलवार को शाम 6 बजे ही विजिबिलिटी जीरो हो गई. कोहरे का असर दिल्ली में दोपहर तक दिखा और आने वाले तीन दिनों तक इसमें बहुत ज्यादा सुधार की गुंजाइश भी नहीं दिखाई दे रही है. लेकिन सवाल ये कि आखिरकार इतने बड़े इलाके में कोहरा अचानक इतना गहरा क्यों हो गया, ऐसी कौन सी वजह है जो इस मौसम में घना कोहरा छा जाता है जो पूरी तरह से जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर देता है.

आखिरकार कैसा मौसम होता है कोहरे के लिए अनुकूल?

कोहरे के लिए ठंड में भी एक खास किस्म का तापमान और पैटर्न जरूरी होता है. जिस इलाके में तापमान एक खास रेंज में रहता है, वहीं पर कोहरा बनने के लिए सबसे ज्यादा अनुकूल परिस्थितियां होती हैं. मौसम विभाग के सीनियर वैज्ञानिक आर के जेनामनी कहते हैं, "9 डिग्री सेल्सियस से लेकर 13 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान कोहरा बनने के लिए सबसे ज्यादा सही है और इन दिनों पूरे उत्तर भारत में रात और सुबह का तापमान इतना ही बना हुआ है. हवा भी नहीं है और वातावरण में भी किसी तरह की हलचल नहीं हो रही है. वर्टिकल यानी ऊपर दिशा की ओर चलने वाली हवा की रफ्तार भी 500 मीटर प्रति घंटा की रफ्तार से कम है." तो इन सब वजहों से जब एक बार कोहरा बन जाए तो छंटने में देरी होती है और एक बड़े इलाके में इसका असर दिखाई पड़ता है.

टेंपरेचर इंवर्जन क्या है? 

दरअसल मौसम का एक खास चरित्र आमतौर पर सर्दियों में देखने को मिलता है जिसे वैज्ञानिक टेंपरेचर इंवर्जन कहते हैं. आम तौर पर ऊंचाई बढ़ने पर तापमान कम होता है, लेकिन जिस समय कोहरा बनता है उस समय इसका ठीक उलट हो जाता है. इस समय एंटी साइक्लोनिक सिस्टम सक्रिय होता है जिसकी वजह से जमीन के पास तापमान कम और ऊपर जाने पर तापमान बढ़ने लगता है. आमतौर पर अगर ज़मीन पर तापमान 10 से 15 डिग्री तक होता है तो ऊपरी वायुमंडल में तापमान 20 डिग्री के आसपास दर्ज किया जाता है. इससे नमी से भरी हवाएं ऊपर की ओर उठ ही नहीं पाती हैं. उत्तरी भारत में कई सारी नदियां हैं और साथ ही इस समय गेहूं की फसल की सिंचाई भी की जाती है जिससे बड़े इलाके में नमी का असर काफी ज्यादा होता है. यही वजह है कि पंजाब, जहां नदियों की संख्या ज्यादा है, वहां सबसे ज्यादा कोहरे का असर दिखाई देता है.

कब तक छँटेगा कोहरा?

कोहरा छँटने के आसार फिलहाल 29 दिसंबर तक नजर नहीं आ रहे हैं. मौसम विभाग का कहना है कि जिस तरह कोहरे के पीछे कई सारी मौसम से जुड़ी गतिविधियां जिम्मेदार होती हैं, उसी तरीके से कई सारे फैक्टर कोहरा के छटने की वजह भी बनते हैं. सबसे पहले अगर तापमान के बढ़ने की वजह से हवा की रफ्तार बढ़ जाए तो कोहरा छटने लगता है या उसका असर कम हो जाता है. इसके अलावा अगर सूरज की किरणें इतनी तेज हो जाएं कि कोहरे में मौजूद पानी के कण भाप में बदल जाए या फिर गर्मी का वजह से जमीन की सतह पर पिघल के पहुंच जाए तो कोहरा छटने की संभावना बनती है. इसके अलावा शहरी इलाकों में कोहरा थोड़ा जल्दी छँटता है क्योंकि गाड़ियों और कारखानों के चलते यहां पर जमीन के आसपास तापमान बढ़ने की संभावना ज्यादा होती है. साथ ही कई बार पश्चिमी विक्षोभ यानी वेस्टर्न डिस्टरबेंस भी हवा की रफ्तार में बढ़ोत्तरी करता है और कोहरा एक बड़े इलाके से हट जाता है. उत्तरी भारत में एक ऐसा ही वेस्टर्न डिस्टरबेंस 29 दिसंबर को सक्रिय होगा, ऐसे में  तब तक कोहरे से निजात नहीं मिलने वाला.  

(कुमार कुणाल की रिपोर्ट)