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ईश्वर का करिश्मा! चार कार्डियक अरेस्ट के बाद भी डॉक्टरों ने बिना किसी वेंटिलेटर सपोर्ट के बचाई महिला की जान

पिछले साल अक्टूबर में इस महिला को सांस लेने में गंभीर तकलीफ और पूरे शरीर में सूजन की शिकायत होने पर  फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल की इमरजेंसी वार्ड में ले जाया गया था. प्रारंभिक जांच में पता चला है कि हृदय के चारों ओर तरल पदार्थ जमा हो गया है, जिससे उसकी पंप करने की क्षमता प्रभावित हुई है और रक्तचाप में गिरावट आई है.

उन्हें एंटी-ट्यूबरकुलर थेरेपी दी गई, जिससे पुष्टि हुई कि वह टीबी से पीड़ित हैं. उन्हें एंटी-ट्यूबरकुलर थेरेपी दी गई, जिससे पुष्टि हुई कि वह टीबी से पीड़ित हैं.
हाइलाइट्स
  • सांस लेने में तकलीफ होने पर अस्पताल में हुई भर्ती 

  • एक सप्ताह के अंदर आए चार कार्डियक अरेस्ट

  • भारत में सबसे ज्यादा टीबी के मामले 

वो कहते हैं न - “जाको राखे साईंया, मार सके न कोय.” इसका मतलब है कि जिसकी रक्षा ईश्वर करते हैं उसे बड़ी से बड़ी विपदा भी नहीं मार सकती. लेकिन इस बार रक्षक की भूमिका धरती पर भगवान कहे जाने वाले डॉक्टरों ने निभाई है. दरअसल टीबी से पीड़ित एक 51 वर्षीय महिला को एक हफ्ते में चार कार्डियक अरेस्ट हो चुके थे और उसे शहर के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था. अचंभे की बात ये रही कि चार कार्डियक अरेस्ट होने के बावजूद इस महिला की जान  बिना किसी वेंटिलेटर सपोर्ट के बचा ली गई.

सांस लेने में तकलीफ होने पर अस्पताल में हुई भर्ती 

पिछले साल अक्टूबर में इस महिला को सांस लेने में गंभीर तकलीफ और पूरे शरीर में सूजन की शिकायत होने पर  फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल की इमरजेंसी वार्ड में ले जाया गया था. प्रारंभिक जांच में पता चला है कि हृदय के चारों ओर तरल पदार्थ जमा हो गया है, जिससे उसकी पंप करने की क्षमता प्रभावित हुई है और रक्तचाप में गिरावट आई है. बढ़ते रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए उन्हें दवाएं दी गई. साथ ही उनके दिल की पंप करने की क्षमता में सुधार करने के लिए, उन्हें एंटी-ट्यूबरकुलर थेरेपी दी गई, जिससे पुष्टि हुई कि वह टीबी से पीड़ित हैं.

एक सप्ताह के अंदर आए चार कार्डियक अरेस्ट

एंटी-ट्यूबरकुलर थेरेपी के दौरान, डॉक्टरों को एक और चुनौती का सामना करना पड़ा जब रोगी की हृदय गति लगातार तेज होने लगी. उसे पहले ही सप्ताह के अंदर-अंदर चार कार्डियक अरेस्ट हो चुके थे. रिश्तेदारों के साथ चर्चा के बाद आईसीडी नाम का एक विशेष प्रकार का पेसमेकर जो तेज हृदय गति में झटका देता है, मरीज के शरीर में  प्रत्यारोपित किया गया. "यह एक बहुत ही जोखिम और चुनौती भरा मामला था. हमारे डॉक्टरों ने मरीज की जान बचाने के लिए अपना 100 प्रतिशत दिया," उन्होंने कहा.

भारत में सबसे ज्यादा टीबी के मामले 

फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट के इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी के सलाहकार, डॉ विवध प्रताप सिंह ने कहा, “टीबी को ज्यादातर बुखार से जुड़ी बीमारी के रूप में ही एकमात्र लक्षण माना जाता है. भारत में, जहां यह अभी भी प्रचलित है, दिल पर इसके प्रभाव का ज्यादातर पता नहीं चलता है. समय पर निदान और उपचार की सही लाइन टीबी का इलाज कर सकती है." डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, हर साल दुनिया में जितने टीबी के मरीज सामने आते हैं, उनमें से सबसे ज्यादा मामले भारत में होते हैं.