दिवाली और सर्दियों के आने में करीब 2 महीने का वक्त है. सर्दी की आहट के साथ दिल्ली को गर्मी से निजात मिल जाएगी. लेकिन ये वो वक्त होगा. जब करीब 2 करोड़ की आबादी को अभी की तुलना में ज्यादा वायु प्रदूषण की समस्या से जूझना पड़ेगा. पिछले 10 साल से दिल्ली की यही हकीकत है. दिल्ली सरकार इसी हकीकत को बदलने में जुटी है. सर्दियों में दिल्ली की आबोहवा और न बिगड़े इसके लिए पिछले कुछ साल से दिल्ली में दिवाली के मौके पर पटाखों को बैन किया जाता रहा है.
इस साल वायु प्रदूषण से निपटने के लिए GRAP यानी ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान की भी व्यवस्था होगी. जो इस बार 15 अक्टूबर के बजाय 1 अक्टूबर से लागू हो जाएगा. दिल्ली-एनसीआर की आबोहवा बनाए रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ही पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने GRAP की व्यवस्था की थी.
एक्शन प्लान से सुधरेगा दिल्ली का AQI
ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान के तहत हवा की गुणवत्ता को औसत से खराब, बहुत खराब और गंभीर श्रेणियों में बांटा गया था. GRAP की व्यवस्था हर साल 15 अक्टूबर से लागू हो जाती है. पहले EPCA यानी एनवायरमेंट पॉल्यूशन कंट्रोल अथॉरिटी. ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान को लागू करती थी. अब ये जिम्मेदारी CAQM यानी कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट की होती है. ये आयोग दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए सरकारी प्रयासों की निगरानी करता है.
ये कमीशन नए तरीके से लागू करेगी प्लान
कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट इस बार ग्रैप को नए तरीके से लागू करने जा रहा है. जिस तरह से मौसम का अनुमान पहले से लगाया जाता है. उसी तरह से वायु गुणवत्ता का पता लगाया जाएगा. उसी आधार पर एयर क्वालिटी एक खास स्तर पर पहुंचने से तीन दिन पहले से ही ग्रैप के तहत पाबंदियां लग जाएंगी. जबकि अभी तक बंदिशें तभी अस्तित्व में आती थी. जब हवा में मौजूद कण एक खास स्तर तक पहुंच जाते थे. सितंबर महीने में ही दिल्ली में प्रदूषण के लेवल में बढ़ोतरी शुरू हो गई है. ऐसे में ग्रैप के तहत लगने वाली बंदिशों में ज्यादा वक्त नहीं बचा है. ग्रैप को चार भागों में बांटा गया है.
कैसे लगेगी पाबंदियां?
जैसे जैसे एयर क्वालिटी बिगड़ेगी, पाबंदियां लगनी शुरू हो जाएंगी. अगर AQI 201 से 300 के बीच पहुंच जाएगा. तो वायु गुणवत्ता के लिहाज से इसे खराब माना जाएगा. ऐसे में बड़े निर्माण स्थलों पर रोक लग जाएगी. धूल उड़ने की निगरानी की जाएगी.
वहीं 301 से 400 के एयर क्वालिटी इंडेक्स पहुंचने पर हालात को बेहद खराब माना जाएगा. सड़कों पर मशीन से मैकेनिकल स्वीपिंग पर जोर दिया जाएगा. होटल और ढाबों में तंदूरों में कोयले या लकड़ी के इस्तेमाल पर रोक लाएगी. डीजल जनरेटर के उपयोग पर भी बंदिशें लग जाएगी.
AQI अगर 401 से 450 के बीच पहुंच जाएगा तो हालात को गंभीर करार देते हुए. निजी गाड़ियों के बजाय सार्वजनिक परिवहनों को बढ़ावा दिया जाएगा. दिल्ली-एनसीआर में जरूरी परियोजनाओं को छोड़कर निर्माण और ध्वस्तीकरण के काम पर रोक लग जाएगा.
जबकि 450 से ज्यादा एयर क्वालिटी इंडेक्स होने पर ट्रकों के प्रवेश पर रोक लग जाएगी. सीएनजी और बिजली से चलने वाले वाहनों को ही दिल्ली सड़कों पर निकलने की छूट मिलेगी. यानी इन दो ईंधनों से ही चलने वाले वाहन ही सड़कों पर दिख पाएंगे.
ठंड आते ही बिगड़ जाता है हाल
दिवाली से पहले और उसके बाद ठंड के दिनों में वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए दिल्ली के करीब तीन दर्जन महकमे तालमेल बैठा रहा है. जिससे दिल्ली में रहने वाले लोगों को वायु प्रदूषण से समस्या न हो. ऐसे तो सामान्य दिनों में भी दिल्ली की वायु गुणवत्ता बहुत अधिक अच्छी नहीं रहती है. डीजल गाड़ियों और हमेशा ही चलने वाले निर्माण के काम से होने वाले प्रदूषण की वजह से दिल्ली का हाल हमेशा ही बुरा रहता है. लेकिन जब सर्दियों का सीजन आता है तो हाल और बुरा हो जाता है. आलम ये हो जाता है कि हर साल दिवाली के समय से ही खासकर. नवंबर से लेकर फरवरी तक एयर क्वालिटी इंडेक्स खराब, बेहद खराब या गंभीर श्रेणी में पहुंच ही जाता है. लेकिन उम्मीद की जानी चाहिए कि ग्रैप सिस्टम के साथ प्रदूषण कंट्रोल किया जा सकेगा.