दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण चरम पर है. आज दिल्ली में AQI 431 तो नोएडा में 529 दर्ज किया गया है. ऐसे में एम्स के पूर्व निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया इसको लेकर चिंता जताई है. एम्स के पूर्व निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में जिस हिसाब से प्रदूषण फैल रहा है, ये तंबाकू के धुएं से भी ज्यादा लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है.
धूम्रपान से ज्यादा खतरनाक है प्रदूषण
डॉ रणदीप गुलेरिया ने आगे कहा कि, "यह तंबाकू के धुएं से भी अधिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहा है. हम धूम्रपान के बारे में तो बहुत बातें करते हैं, लेकिन तंबाकू के सेवन के बारे में नहीं. लेकिन अब प्रदूषण उन सबसे कहीं ज्यादा बड़ी समस्या है. यहां तक की अगर धूम्रपान से इसकी तुलना की जाए, तो इस प्रदूषण में सांस लेना उससे भी ज्यादा खतरनाक है.
प्रदूषण है बीमारी का सबसे बड़ा कारण
डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा, "दुर्भाग्य से एक्यूआई गंभीर सीमा पर है और हमने हर साल ऐसा देखा है. कई बार ऐसा भी हुआ है जब पिछले कुछ वर्षों में यह 900 तक पहुंच गया हो. बेशक चिंता की बात यह है कि इसका स्वास्थ्य पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है. 2017 में प्रकाशित एक पेपर ने सुझाव दिया कि भारत में हर साल वायु प्रदूषण के कारण 1.24 मिलियन से अधिक लोग मारे जाते हैं. ये एक बड़ा आंकड़ा है, और ये लोगों में बीमारी की एक बड़ी वजह है."
दिल्ली में बिगड़ रहे हैं हालात
दिल्ली में शुक्रवार को धुंध की एक मोटी परत जम गई, क्योंकि शहर की वायु गुणवत्ता लगातार दूसरे दिन "गंभीर" कैटेगरी में रही. शाम 4 बजे, दिल्ली का 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 447 था. फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने वाले महीन पार्टिकुलेट पर मैटर, 2.5 PM रहा, 470 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ऊपर, सुरक्षित सीमा से लगभग आठ गुना अधिक था. कई जगहों में 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर.