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Ram Rahim: पैरोल और फरलो में क्या है अंतर, कौन करता है इसे मंजूर, डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम फिर किसके तहत जेल से आया बाहर, जान लें नियम

Difference Between Parole and Furlough: फरलो के लिए कैदी को कारण बताना जरूरी नहीं होता है. इसे कैदियों का अधिकार माना जाता है. जेल की रिपोर्ट के आधार पर सरकार इसे मंजूर या नामंजूर करती है. आइए जानते हैं पैरोल कैसे मिलता है? 

गुरमीत राम रहीम (फाइल फोटो) गुरमीत राम रहीम (फाइल फोटो)
हाइलाइट्स
  • राम रहीम को 21 दिनों का मिला फरलो 

  • इस साल तीसरी बार जेल से आया बाहर 

अपनी दो शिष्याओं से रेप और हत्या के केस में 20 साल कैद की सजा काट रहा डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह एक बार फिर जेल से बाहर आ गया है. हरियाणा सरकार ने उसका तीन सप्ताह का फरलो सोमवार को मंजूर किया था. राम रहीम ने अस्थायी रिहाई के लिए आवेदन किया था. आज हम आपको बता रहे हैं पैरौल और फरलो में क्या अंतर है, जिसके जरिए कैदी जेल से बाहर आ सकता है.

कैसे मिलता है पैरोल 
1. पैरोल देना राज्य का अधिकार होता है. इसको लेकर हर राज्य में अलग-अलग नियम हैं. पैरोल किसी भी कैदी, सजा पा चुके शख्स या विचारधीन को मिल सकता है. इसकी कुछ जरूरी शर्तें होती हैं. किसी भी कैदी को सजा का एक हिस्सा पूरा करने के बाद और उस दौरान उसके अच्छे व्यवहार को देखते हुए पैरोल दी जा सकती है.

2. कैदी की मानसिक स्थिति बिगड़ने पर, कैदी के परिवार में अनहोनी होने पर, नजदीकी परिवार में किसी की शादी होने पर पैरोल दी जा सकती है. कई बार कुछ जरूरी कामों को निपटाने के लिए कैदी को पैरोल पर निश्चित अवधि के लिए जेल से छोड़ा जाता है. विशेष हालात होने पर जेल अधिकारी ही सात दिन तक की पैरोल अर्जी को मंजूर कर सकते हैं.

किनको पैरोल नहीं दी जा सकती
कारागार अधिनियम 1894 के तहत पैरोल दी जाती है. हालांकि किसी कैदी को पैरोल से इनकार भी किया जा सकता है. पैरोल को मंजूरी देने वाला अधिकारी यह कहते हुए मना कर सकता है कि कैदी को रिहा करना समाज के हित में नहीं होगा. आमतौर पर पैरोल मौत की साज पाए दोषी, आतंकवाद के दोषी या फिर जेल से रिहा होने पर भागने की संभावना वाले कैदी को नहीं दी जाती है. अनलॉफुल एक्टिविटि प्रिवेंशन एक्ट के तहत सजा काट रहे अपारधियों को भी पैरोल नहीं दी जाती है.

पैरोल के दौरान किन शर्तों का करना होता है पालन 
कैदी पैरोल पर जब रिहा होता है तो उसे कुछ शर्तों का पालन करना जरूरी होता है. रिहाई के दौरान कैदी को नजदीकी थाने या बताए गए अधिकारी के समक्ष समय-समय पर हाजिरी भी देनी होती है. पैरोल दोने के दो मकसद हैं. पहला इससे कैदी को अपने परिवार और समाज से जुड़े कुछ जरूरी काम निपटाने का मौका मिलता है. दूसरा इसे अपराधियों में सुधार लाने की प्रक्रिया के लिए भी काफी अहम माना जाता है.

क्या होता है फरलो
1. फरलो का मतलब कैदी को जेल से मिलने वाली एक छूट है. फरलो के लिए कैदी को कारण बताना जरूरी नहीं होता है. इसे कैदियों का अधिकार माना जाता है. जेल की रिपोर्ट के आधार पर सरकार इसे मंजूर या नामंजूर करती है. 

2. एक साल में एक कैदी तीन बार फरलो ले सकता है. जेल राज्य का विषय है, इसलिए हर राज्य में फरलो को लेकर अलग-अलग नियम हैं. उत्तर प्रदेश में फरलो देने का प्रावधान नहीं है.

3. फरलो सिर्फ सजा पा चुके कैदी को ही मिलती है. फरलो आमतौर पर उस कैदी को मिलती है जिसे लंबे वक्त के लिए सजा मिली हो. फरलो देने का मकसद होता है कि कैदी अपने परिवार और समाज के लोगों से मिल सके. 

कब-कब जेल से बाहर आया है राम रहीम
1. 24 अक्टूबर 2020: रेप का दोषी डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम 24 घंटे के सीक्रेट पैरोल पर जेल से बाहर निकाला गया था. सुनारिया जेल में बंद राम रहीम को हरियाणा पुलिस की तीन कंपनियों की सुरक्षा में गोपनीय तरीके से जेल से बाहर गुरुग्राम में लाया गया था.
2.  21 मई 2021: इस बार राम रहीम को 48 घंटे की कस्टडी पैरोल मिली थी. सुनारिया जेल से सुबह सवा छह बजे गुरमीत परोल पर बाहर निकाला गया और राम रहीम बीमार मां से मिलने के लिए गुरुग्राम गया. 
3. 7 फरवरी 2022: राम रहीम को तब 21 दिनों की पैरोल दी गई थी. सुनारिया जेल से बाहर आने के बाद गुरमीत राम रहीम आने परिजनों के साथ गुरुग्राम आश्रम गया था.
4. जून 2022: राम रहीम को एक महीने की पैरोल दी गई थी. जेल से बाहर आने के बाद राम रहीम बागपत स्थित अपने आश्रम में गया था.
5. अक्टूबर 2022: राम रहीम को अक्टूबर 2022 में 40 दिनों की पैरोल दी गई थी. 
6. 21 जनवरी 2023: राम रहीम को तब हरियाणा सरकार ने 40 दिन की पैरोल मंजूर की थी. डेरा प्रमुख शाह सतनाम की जयंती में शामिल होने के लिए यह पैरोल दी गई. इससे पहले राज्य सरकार ने हाई कोर्ट में राम रहीम के हार्ड क्रिमिनल नहीं होने का हलफनामा दिया था.
7. 20 जुलाई 2023: 7वीं बार फिर डेरा प्रमुख को पैरोल मिली. ये 30 दिन की थी.