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आखिर क्यों Zakir Hussain को मां ने दूध पिलाने से किया इंकार.. लोगों ने जाकिर हुसैन को बताया मनहूस बच्चा.. कैसे पड़ा नाम जाकिर 'हुसैन'

जाकिर हुसैन को बचपने में मां ने दूध पिलाने से किया था इंकार. पैदा होने के बाद से घर में बिगड़ने लगे थे हालात, तो लोगों ने करार दिया मनहूस बच्चा. कैसे जाकिर हुसैन से जरिए ठीक हुई पिता की तबियत.

सोमवार को मशहूर तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन ने अमेरिका के एक अस्पताल में अपनी आखिरी सांस ली. वह 73 साल की उम्र में बीमारी से लड़ने हुए जीवन की लड़ाई को हार गए. ऐसे में उनसे जुड़े कई किस्से-कहानी लोगों के जहन में आती है. लेकिन कुछ किस्से ऐसे भी है जो केवल लोगों की जुबान पर नहीं बल्कि किताबों के पन्नों में छप चुके हैं और लोगों के लिए हमेशा मौजूद रहेंगे.

'जकिर हुसैन: एक संगीतमय जीवन' किताब में वह अपने पिता के प्रति अपने लगाव के बारे में जिक्र करते हैं. वह बताते हैं कि किस तरह उन्हें अपने पिता से लगाव था. उनका लगाव किसी अन्य बच्चे की तरह ही था जो अपने पिता के घर लौटने से पहले सोता तक नहीं है. वह अपनी आंखे दरवाजे पर टिकाए केवल अपने पिता के लौटने का इंतजार करता है. ठीक वैसे ही जाकिर हुसैन भी अपने पिता के लौटने से पहले नहीं सोते थे. वह उनके इंतजार में जागते रहते थे.

घर की मनहूसियत
वह बताते हैं कि उनके पिता को दिल से जुड़ी कोई समस्या हो गई थी. साथ ही जाकिर हुसैन की पैदाइश के साथ ही घर पर काले बादल मंढराने लगे थे. उनके घर की स्थिति ठीक नहीं रहती थी. उनके पिता की हालत भी इतनी बिगड़ चुकी थी लोगों को लगने लगा कि शायद अब उनके पास ज्यादा समय नहीं है. ऐसे में कई बड़ी हस्तियां उनसे मिलने के लिए जाकिर हुसैन के घर पहुंचीं. इस सब के बीच ही जाकिर हुसैन की पैदाइश की हुई थी. तो किसी ने जाकिर हुसैन के पैदा होने को घर के 'मनहूस बच्चे' से जोड़ दिया.

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मिली सरोगेट मदर
जाकिर हुसैन उस किताब में बताते हैं कि जब किसी ने उन्हें मनहूस बच्चा बता दिया तो यह बात उनकी मां को काफी हद तक खटक गई. यहां तक की उन्होंने जाकिर हुसैन को अपना दूध तक नहीं पिलाया. ऐसे में एक छोटे बच्चे के लिए जरूरी होता है कि कोई उसकी देखभाल करता रहे. तो इस देखभाल के लिए उनके परिवार का एक मित्र आगे आया. और उनके परिवार से उनको एक तरह से सरोगेट मदर मिली.

कैसे पड़ा नाम जाकिर 'हुसैन'
दरअसल जाकिर हुसैन की पैदाइश के बाद उनके घर के बाहर कोई ज्ञानी फकीर आया. साथ ही उन्होंने जाकिर हुसैन की मां को उनके नाम से पुकारा. अब यह हैरत की बात थी कि उन्हें उनका नाम कैसे पता चला. क्योंकि वह दोनों एक-दूसरे से कभी नहीं मिले थे.फकीर ने उनकी मां से कहा कि अपने बेटे का अच्छे से 4 साल तक अच्छे से ध्यान रखना. यह तुम्हारे पति को बचाएगा.

इसके अलावा इसका नाम 'हुसैन' पर रखना. जाकिर हुसैन कहते हैं कि उनके अब्बा कुरैशी हैं तो उनका नाम कुरैशी पर पड़ता. लेकिन फकीर की बात मानकर उनका नाम हुसैन पर रखा गया.

हुसैन और उनके पिता की तबीयत के बीच का रिश्ता
जाकिर हुसैन बताते हैं कि उन्होंने गल्ती से मिट्टी का तेल पी लिया था जिससे उन्हें शरीर पर रिएक्शन हो गया. इसके अलावा भी कई बार उनकी तबियत बिगड़ी. लेकिन यहां हैरत की बात है कि अगर जाकिर हुसैन की तबियत बिगड़ती तो उनके पिता की तबियत में सुधार देखने को मिल जाता. यह एक अनोखी बात थी. चार साल ठीक से बीत जाने के बाद जाकिर हुसैन की तबियत भी ठीक रहने लगी और उनके अब्बा की सेहत में भी सुधार हो गया.