scorecardresearch

Types of Ministers: कैबिनेट मंत्री और राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार में क्या अंतर होता है ? एक क्लिक में जान लीजिए कितने तरह के होते हैं मंत्री

नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने हैं. उन्होंने 9 जून को पद और गोपनियता की शपथ ली. उनके साथ 30 कैबिनेट मंत्री, 5 स्वतंत्र प्रभार और 36 राज्य मंत्रियों ने भी शपथ ली.

Types of Ministers Types of Ministers

मोदी सरकार 3.0 का शपथ ग्रहण समारोह 9 जून को हुआ. नरेंद्र मोदी ने लगातार तीसरी बार पीएम पद और गोपनीयता की शपथ ली. उनके साथ 30 कैबिनेट मंत्री, 5 स्वतंत्र प्रभार और 36 राज्य मंत्रियों ने भी शपथ ली. ऐसे में आपके मन में सवाल होगा कि आखिर मंत्री कितने प्रकार के होते हैं और इन सबों में अंतर क्या होता है. चलिए आपको विस्तार से सब कुछ बताते हैं. 

मंत्री कितने प्रकार के होते हैं ?

केंद्रीय मंत्रिमंडल में 3 प्रकार के मंत्री होते हैं. कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री और राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार. इसमें सबसे पावरफुल कैबिनेट मंत्री होते हैं. उसके बाद दूसरे नंबर पर राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार जिन्हें जूनियर मंत्री भी कहा जाता है और तीसरे नंबर पर राज्य मंत्री होते हैं.  आखिर इन अलग-अलग मंत्रियों का काम क्या होता है और ये किसे रिपोर्ट करते हैं चलिए जानते हैं.

सम्बंधित ख़बरें

कैबिनेट मंत्री-

कैबिनेट मंत्री सबसे अनुभवी और पावरफुल होते हैं. वे डायरेक्ट प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करते हैं. उन्हें एक या इससे अधिक मंत्रालय दिए जा सकते हैं और सभी मंत्रालय बड़े होते हैं. सरकार के हर फैसले में वे शामिल होते हैं. नया कानून, कानून संशोधन या कोई अध्यादेश लाना हो ये सब फैसले कैबिनेट की बैठक में ही तय किए जाते हैं. बैठक में सभी मंत्रियों को शामिल होना होता है. 

राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)-

कैबिनेट की तुलना में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के पास छोटे मंत्रालय होते हैं. और उन्हें जो मंत्रालय आवंटित किया जाता है उसकी पूरी जवाबदेही होती है. बता दें कि ये कैबिनेट मिनिस्टर के प्रति उत्तरदायी नहीं होते हैं और डायरेक्ट प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करते हैं. वैसे तो ये कैबिनेट की बैठक में हिस्सा नहीं लेते लेकिन कैबिनेट चाहे तो संबंधित विभागों पर चर्चा के लिए बुला सकता है.

राज्यमंत्री-

राज्यमंत्री, कैबिनेट मिनिस्टर के अंडर काम करते हैं और उन्हें ही रिपोर्ट करते हैं. एक कैबिनेट मंत्री के अंडर एक या उससे ज्यादा राज्य मंत्री होते हैं. अगर किसी कारणवश कैबिनेट मंत्री अनुपस्थित हैं तो राज्यमंत्री ही मंत्रालय का काम देखते हैं. अगर कैबिनेट मिनिस्टर हैं तो उनके नेतृत्व में काम करते हैं. एक तरह से देखें तो राज्यमंत्री, कैबिनेट मिनिस्टर के सहयोग के लिए बनाए जाते हैं.