इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि केंद्र जून के पहले सप्ताह में डिजिटल इंडिया बिल का पहला ड्राफ्ट जारी करेगा. यह बिल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म सहित डिजिटल सर्विसेज को रेगुलेट करेगा क्योंकि केंद्र भारत के दशकों पुराने इंटरनेट कानून, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 को बदलना चाहता है.
चंद्रशेखर मंगलवार को दूसरे 'प्री-ड्राफ्ट' कंसल्टेशन में बोल रहे थे और इसका पहला चरण मार्च में हुआ था. आपको बता दें कि डिजिटल इंडिया बिल केंद्र द्वारा बनाए जा रहे प्रौद्योगिकी नियमों के व्यापक ढांचे का एक प्रमुख स्तंभ है, जिसमें डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल, 2022, भारतीय दूरसंचार विधेयक, 2022 और गैर-व्यक्तिगत डेटा गवर्नेंस के लिए एक नीति भी शामिल है.
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर लागू हो सकती हैं शर्तें
चंद्रशेखर ने कहा कि सरकार इस बात पर विचार कर रही है कि क्या ऑनलाइन प्लेटफॉर्मों को प्रोटेक्शन मिलती रहनी चाहिए, जो वर्तमान में आईटी अधिनियम, 2000 के तहत उन्हें मिल रही है, या ऐसी सुरक्षा सशर्त होनी चाहिए. आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 79 के तहत, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे इंटरमीडियरीज को थर्ड पार्टी कंटेंट के खिलाफ कानूनी प्रतिरक्षा मिलती है, बशर्ते वे सरकार द्वारा निर्देशित सामग्री को हटाने सहित कुछ उचित सावधानी बरतते हैं.
हालांकि, 2021 के सूचना प्रौद्योगिकी नियमों और बाद में नियमों में संशोधन के बाद से, प्रतिरक्षा में अधिक शर्तें जोड़ी गई हैं.
हाल ही में, आईटी मंत्रालय ने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को सरकार से संबंधित कंटेंट को हटाना होगा. जिसमें विफल होने पर वे कंटेंट के लिए उत्तरदायी हो सकते हैं और कोर्ट तक ले लिए जा सकते हैं.
चैटजीपीटी जैसी तकनीकों के लिए नियम
चंद्रशेखर ने यह भी कहा कि आगामी कानून चैटजीपीटी जैसी उभरती तकनीकों को "उपयोगकर्ता के नुकसान के चश्मे" से नियंत्रित करेगा. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक सरकार जिन कुछ नुकसानों पर विचार कर रही थी, उनमें जानबूझकर गलत सूचना, साइबरबुलिंग, डॉक्सिंग और पहचान की चोरी शामिल हैं. डिजिटल इंडिया एक्ट के तहत, सरकार बिचौलियों के वर्गीकरण और उनके लिए अलग मानदंडों पर विचार कर रही थी और इसमें फैक्ट-चेकिंग प्लेटफॉर्म भी शामिल कर सकती थी.