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डायनासोर के अंडे या है चट्टान! मध्य प्रदेश के जंगल से निकला रहस्य

पुरातत्व विभाग के कहे अनुसार किए गए एक जमीनी सर्वेक्षण के दौरान पुरातत्व और वन अधिकारियों की टीम ने कुछ दिनों पहले एक जंगल में अंडे के आकार की ये बड़ी वस्तुएं पाई थी.

डायनासोर के अंडे या है चट्टान! मध्य प्रदेश के जंगल से निकला रहस्य डायनासोर के अंडे या है चट्टान! मध्य प्रदेश के जंगल से निकला रहस्य
हाइलाइट्स
  • बेसाल्टिक चट्टानें होने का अनुमान

  • अंडे के आकार की वस्तुएं

  • 30 जनवरी से हो रहा है सर्वेक्षण

मध्य प्रदेश में ज्यादातर जंगल हैं. ऐसे में वहां आए दिन कुछ ना कुछ चीजें मिलती रहती हैं. उस बार पुरातत्वविदों ने मध्य प्रदेश के सेंधवा जिले में क्रेटेशियस काल के 145-66 मिलियन साल पुराने डायनासोर के 10 अंडों की खोज की है. मध्य प्रदेश में आए दिन इस तरह की खोज सुनने को मिलती रहती है. हर बार इसे डायनासोर के अंडे के रूप में ही पहचाना जाता है, लेकिन इस बार वैज्ञानिकों ने कुछ और ही चीजें खोज निकाली है.

बेसाल्टिक चट्टानें होने का अनुमान
भूविज्ञान विशेषज्ञों की मानें तो ये जीवाश्म अंडे नहीं हो सकते हैं, बल्कि कई बार पुरानी बेसाल्टिक चट्टानें कभी-कभी लाखों वर्षों में ऐसा आकार ले सकती हैं. बता दें कि इससे पहले हुए शोधों में इसे जीवाश्म शाकाहारी डायनासोर का बताया गया था. 

अंडे के आकार की वस्तुएं
पुरातत्व विभाग के कहे अनुसार किए गए एक जमीनी सर्वेक्षण के दौरान पुरातत्व और वन अधिकारियों की टीम ने कुछ दिनों पहले एक जंगल में अंडे के आकार की ये बड़ी वस्तुएं पाई थी. पुरातत्व विभाग के अधिकारी डॉ डीपी पांडे ने टीओआई के हवाले से बताया कि, "सबसे बड़े अंडे का वजन लगभग 40 किलो होता है और 25 किलो के कई सारे होते हैं. मैं तीन अंडे इंदौर लाया हूं." अब पुरातत्व विभाग इसे इंदौर के संग्रहालय में प्रदर्शित कर सकता है. 

30 जनवरी से हो रहा है सर्वेक्षण
पांडे ने कहा कि वह और छह वन रेंजर 30 जनवरी से सेंधवा के एक क्षेत्र का सर्वेक्षण कर रहे हैं. भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के पूर्व उप महानिदेशक, पैलियोन्टोलॉजिस्ट डॉ धनंजय मोहबे ने कहा कि वस्तुएं 67-64 मिलियन वर्ष पुरानी लगती हैं, लेकिन वे डेक्कन ज्वालामुखी की बेसाल्टिक चट्टानों की तरह दिखती हैं. 2007 में, धार में सॉरोपॉड डायनासोर के 25 घोंसले मिले थे, जिसमें बड़ी संख्या में जीवाश्म अंडे भी मिले थे. मध्य प्रदेश में अक्सर प्रागैतिहासिक जीवाश्म पाए जाते हैं. अब उनके लिए संग्रहालय बनाने की योजना बनाई जा रही है.