पिछले 5 सालों में दिल्ली नगर निगम के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या में इजाफा हुआ है. इस साल दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के प्राथमिक विद्यालय में 93,696, उत्तरी एमसीडी में 84,120 और पूर्वी दिल्ली नगर निगम के स्कूलों में 40,000 से ज्यादा बच्चों ने एडमिशन लिया.
दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के मेयर मुकेश सूर्यन के मुताबिक एमसीडी के स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था में किए गए बड़े बदलाव से लोगों का रुझान नगर निगम के स्कूलों की ओर हो रहा है. निगम के स्कूलों में शिक्षा के स्तर में लगातार सुधार हो रहा है, इसलिए लोग इन स्कूलों में अपने बच्चों का दाखिला करा रहे हैं. मेयर मुकेश सूर्यन के मुताबिक निगम के प्राथमिक विद्यालयों में कई तरह की योजनाएं और पाठ्यक्रम गतिविधियां चलाई जा रही हैं, जिससे अभिभावक अपने बच्चों का दाखिला एमसीडी के स्कूलों में करवा रहे हैं.
नगर निगम के स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ने का एक बड़ा कारण यह है कि पिछले दो सालों में कोरोना संक्रमण के चलते आवासीय कॉलोनियों में खोले गए छोटे नर्सिंग होम और प्ले स्कूल बंद कर दिए गए हैं. वहीं निजी स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाने वाले अभिभावकों की आय भी प्रभावित हुई है, जिसकी वजह से वो अपने बच्चे का दाखिला नगर निगम के स्कूलों में करा रहे हैं.
6,084 बच्चों ने प्राइमरी क्लास में एडमिशन लिया
उत्तरी दिल्ली नगर निगम में इस साल लगभग 76,084 बच्चों ने प्राइमरी क्लास में एडमिशन लिया है और लगभग 8034 बच्चों ने प्री-प्राइमरी में प्रवेश लिया है. वहीं पूर्वी दिल्ली नगर निगम में लगभग 33,000 बच्चों ने प्राथमिक कक्षा में और 7000 बच्चों ने प्री-प्राइमरी कक्षा में एडमिशन लिया है. इसके अलावा दक्षिणी दिल्ली नगर निगम की प्री-प्राइमरी कक्षाओं में करीब 12,000 बच्चों ने एडमिशन लिया है, जबकि 78000 बच्चों ने प्राथमिक कक्षा में प्रवेश लिया है.
कोरोना के चलते पेरेंट्स की आय घटने का असर
दिल्ली नगर निगम के स्कूलों में अपने बच्चों का एडमिशन करा रहे अभिभावकों ने बताया कि कोरोना काल से स्कूल पिछले 2 सेशन से बंद हैं. प्राथमिक विद्यालयों में उन्हें 5 से 10 हजार रुपये हर महीने की फीस देनी पड़ती है और पढ़ाई ऑनलाइन ही हो रही है. ऐसे में अगर बच्चों की ऑनलाइन क्लासेज करनी ही हैं तो क्यों न बच्चों को म्युनिसिपल स्कूलों में ही ऑनलाइन क्लासेज दी जाएं. इसके अलावा कई अभिभावकों का कहना है कि कोरोना के कारण अब उनकी आय इतनी नहीं है कि वे अपने बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ा सकें, इसलिए वे अपने बच्चों का दाखिला निगम के स्कूल में करा रहे हैं.
(Ram Kinkar Singh की रिपोर्ट)