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Diwali 2022: सामान्य पटाखे नहीं बल्कि ग्रीन पटाखों से मनाई जाएगी Diwali, जानें कैसे होते हैं एक दूसरे से अलग, क्या है इनमें खास  

Green Crackers: प्रदूषण को कम करने के लिए ग्रीन पटाखों की अनुमति दी गई है. Green पटाखें अन्य सामान्य पटाखों से काफी अलग होते हैं. ये कम प्रदूषण फैलाते हैं.

ग्रीन पटाखों से मनाई जाएगी दिवाली ग्रीन पटाखों से मनाई जाएगी दिवाली
हाइलाइट्स
  • नॉर्मल पटाखों से होते हैं अलग

  • फैलाते हैं कम प्रदूषण

पंजाब सरकार ने दिवाली और गुरुपुरब के अवसर पर पटाखों को फोड़ने के लिए दो घंटे का समय देने की घोषणा की है. जहां सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में पटाखे जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है, वहीं पंजाब ने प्रदूषण के मुद्दों के कारण त्योहार के दौरान हरे पटाखे या ग्रीन क्रैकर (Green Cracker) फोड़ने की अनुमति दी है. यह निर्देश राज्य के पर्यावरण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने जारी किया है. ग्रीन क्रैकर्स या हरे पटाखे कम प्रदूषण फैलाते हैं. इन पटाखों में ऐसे कच्चे माल का उपयोग होता है जो प्रदूषण कम फैलाने में मदद करते हैं. 

क्या है ग्रीन पटाखे?

इंडियन काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (CSIR) द्वारा ग्रीन पटाखों को बनाने में फ्लावर पॉट्स, पेंसिल, स्पार्कल्स और चक्कर का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें कोई संदेह नहीं है कि ग्रीन पटाखे पर्यावरण के अनुकूल होते हैं और वायु प्रदूषण को कम करने के लिए बनाए जाते हैं. बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए ही इनका निर्माण किया जाता है. 

नॉर्मल पटाखों और ग्रीन पटाखों में क्या फर्क है?

नॉर्मल पटाखों में बारूद और अन्य ज्वलनशील रसायन होते हैं जो जलाने पर फट जाते हैं और भारी मात्रा में प्रदूषण फैलाते हैं. वहीं ग्रीन पटाखों में हानिकारक केमिकल नहीं होते हैं और वायु प्रदूषण कम होता है. वे पर्यावरण के अनुकूल होते हैं. यानी पारंपरिक पटाखों की तुलना में ग्रीन पटाखे कम हानिकारक होते हैं और वायु प्रदूषण को कम करते हैं.

ग्रीन पटाखों में, आमतौर पर इस्तेमाल होने वाले प्रदूषणकारी केमिकल जैसे एल्यूमीनियम, बेरियम, पोटेशियम नाइट्रेट और कार्बन को या तो हटा दिया गया है या उत्सर्जन को 15 से 30% तक कम कर दिया जाता है. 

कैसे बनाए गए ग्रीन पटाखे?

ग्रीन पटाखों को बनाने के लिए टीम ने 3-4 फॉर्मूलेशन तैयार किए और 30-40% एक्टिव सामग्रियों पर फोकस किया. इसके अलावा, सीएसआईआर-सीईसीआरआई ने पर्यावरण के अनुकूल फूलों के बर्तन विकसित किए हैं जो पार्टिकुलेट मटर को 40% तक कम कर सकते हैं. सीएसआईआर-नीरी ने बिजली पटाखों के नाम से जाने जाने वाले पटाखों की प्रभावशीलता का परीक्षण किया. उन्होंने राख के उपयोग को desiccants के रूप में समाप्त कर दिया है. पटाखों को सेफ वाटर रिलीजर (एसडब्ल्यूएएस), सेफ थर्माइट क्रैकर (स्टार) और सेफ मिनिमल एल्युमीनियम (सफल) नाम दिया गया है.