दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने शहर से प्रदूषण को कम करने के लिए अपने 12 निर्माण स्थलों पर 14 एंटी-स्मॉग गन (एएसजी) लगाई हैं.डीएमआरसी के कॉरपोरेट कम्युनिकेशंस के कार्यकारी निदेशक अनुज दयाल ने कहा, "एक ASG को 20,000 वर्ग मीटर तक के क्षेत्र को कवर करने के लिए पर्याप्त माना जाता है."
उन्होंने बताया, "सभी निर्माण सामग्रियों को तिरपाल से ढक दिया गया है. साइटों से निकलने वाले वाहनों के पहियों को भी ठीक से साफ किया जाता है ताकि वे धूल या कीचड़ न फैलाएं. उनके द्वारा ले जाए जाने वाली सामग्री भी सही तरीके से ढकी जाती है."
क्या है स्मॉग गन
डीएमआरसी ने कहा कि स्मॉग गन यह सुनिश्चित करता है कि छिड़काव के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला पानी कोलीफॉर्म, वायरस और बैक्टीरिया से मुक्त हो. उन्होंने बताया कि इसमें 10 से 50 माइक्रोमीटर के ड्रॉपलेट साइज वाले उच्च गुणवत्ता वाले नोजल का उपयोग अधिक प्रभाव के लिए किया जाता है. निर्माण कार्य के हो रहे धीरे-धीरे विस्तार के साथ आने वाले दिनों में ऐसे और एएसजी को साइटों पर लगाया जाएगा." दिल्ली सरकार ने वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए नवंबर में शहर में निर्माण और विध्वंस गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया था.
निर्माण कार्य ना होने पर भी करते रहेंगे काम
"वर्तमान में गैर प्रदूषणकारी निर्माण कार्यो के अलावा सभी निर्माण कार्यों को प्रासंगिक निर्देशों के अनुपालन में रोक दिया गया है. एक तरफ जहां डीएमआरसी प्रदूषण संबंधी सभी निर्देशों का पूर्ण अनुपालन सुनिश्चित कर रहा है वहीं इन स्मॉग गन के स्थायी उपाय से प्रदूषण से मुक्ति मिलने के आसार हैं. भविष्य में ऐसे और स्मॉग गन अलग-अलग साइटों पर लगाए जाएंगे. निर्माण कार्य ना होने पर भी यह मिस्ट गन्स निर्माण स्थलों पर जमा होने वाली ढीली मिट्टी / मिट्टी को हवा में उड़ने से रोकती हैं, जिससे वायु प्रदूषण कम होता है."
डीएमआरसी ने सबसे पहले किया एएसजी का प्रयोग
परंपरागत रूप से दुनिया भर में कोयला और सीमेंट निर्माण स्थलों पर एंटी-स्मॉग गन का इस्तेमाल किया जाता था. नवंबर, 2016 में डीएमआरसी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की ऐसी पहली निर्माण कंपनी बन गई, जिसने पायलट प्रोजेक्ट के रूप में अपनी साइटों पर एएसजी का उपयोग किया.साइटों पर एएसजी के प्रारंभिक उपयोग से प्राप्त फीडबैक के आधार पर डीएमआरसी के चौथे चरण के विस्तार में सिविल ठेकेदारों के लिए अनुबंध की शर्तों में उनका उपयोग अनिवार्य कर दिया गया था.
यहां तक कि दिल्ली सरकार ने भी प्रदूषण से निपटने के लिए राष्ट्रीय राजधानी में सभी निर्माण एजेंसियों के लिए एएसजी का उपयोग अनिवार्य कर दिया है. पूरा उत्तर भारत और विशेष रूप से दिल्ली-एनसीआर अक्टूबर से दिसंबर के महीनों के दौरान गंभीर प्रदूषण के खतरे से जूझता है.