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डॉक्टरों ने बचाई 12 साल के बच्चे की जान, 65 दिनों से ECMO पर लड़ रहा जिंदगी और मौत की जंग

कोविड अगर गंभीर रूप ले लेता है तो उसके कारण कई समस्याएं हो सकती हैं. यहां तक कोविड के प्राथमिक इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं के कारण भी दिक्कतें हो सकती हैं. जैसे की मांसपेशियों में कमजोरी, रक्त प्रवाह में बार-बार संक्रमण, वायु मार्ग में संक्रमण और साथ ही निमोनिया भी हो सकता है.

ईसीएमओ आमतौर पर केवल कुछ घंटों या कुछ दिनों की अवधि के लिए होता है. ईसीएमओ आमतौर पर केवल कुछ घंटों या कुछ दिनों की अवधि के लिए होता है.
हाइलाइट्स
  • गंभीर रूप से शरीर को कोविड ने किया प्रभावित

  • दो महीने रखा गया लाइफ सपोर्ट पर

  • लखनऊ से हैदराबाद के अस्पताल में शिफ्ट किया गया बच्चा

कोरोना का कहर दोबारा से बढ़ने लगा है. इसका असर पूरे देश भर में देखने को मिल रहा है. KIMS अस्पताल हैदराबाद के रेस्पिरेटरी केयर चिकित्सकों ने लखनऊ उत्तर प्रदेश के एक 12 साल के बच्चे की जान बचाई है. दरअसल डॉक्टरों ने इस मरीज का इलाज ECMO थेरेपी की मदद से किया है.

65 दिनों से ECMO पर था बच्चा
कोविड-19 के कारण ये बच्चा कई अंगों के संक्रमण से पीड़ित था. बच्चे के मां-बाप ने कई डॉक्टरों को दिखाया पर आखिरकार इलाज जाकर मिला हैदराबाद के एक अस्पताल में. इस छोटे बच्चे को 65 दिनों तक ECMO पर रख कर उसका इलाज किया जा रहा था. ईसीएमओ में रखकर डॉक्टरों ने उसके ऑर्गन फंक्शन, उसके न्यूट्रिशन, साथ ही उसके फेफड़ों की रिकवरी की निगरानी कर रहे थे. 

गंभीर रूप से शरीर को कोविड ने किया प्रभावित
मामले पर KIMS अस्पताल के डॉक्टर संदीप अटावर का कहना है कि ''कोविड अगर गंभीर रूप ले लेता है तो उसके कारण कई समस्याएं हो सकती हैं. यहां तक कोविड के प्राथमिक इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं के कारण भी दिक्कतें हो सकती हैं. जैसे की मांसपेशियों में कमजोरी, रक्त प्रवाह में बार-बार संक्रमण, वायु मार्ग में संक्रमण और साथ ही निमोनिया भी हो सकता है. यह गंभीर कोविड निमोनिया के लिए एक बच्चे में ठीक होने के लिए ये अब तक का सबसे लंबा ईसीएमओ ब्रिज है. 

दो महीने रखा गया लाइफ सपोर्ट पर
उन्होंने बताया कि यह देश में अब तक एकमात्र केस है जिसमें बच्चे के दो महीने तक लाइफ सपोर्ट पर रखा गया हो, और उसके बाद वो ठीक पूरी तरह ठीक होकर वापस लौटा हो. बच्चे के घर वालों ने जब इसे डॉ संदीप और उनकी टीम को सौंपा था, उस वक्त इस बच्चे के फेफड़े पूरी तरह से कोरोना वायरस से प्रभावित हो चुके थे, और ठीक तरह से उसके शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति भी नहीं कर पा रहे थे. अस्पताल के ही डॉक्टर विजिल ने बताया कि, ''ईसीएमओ की मदद से उनके फेफड़े को आराम मिला और धीरे-धीरे वे अपने आप ठीक हो गए.'' 

लखनऊ से हैदराबाद के अस्पताल में शिफ्ट किया गया बच्चा
शौर्य नाम के इस बच्चे में जब कोविड निमोनिया का पता चला तो लखनऊ के मिडलैंड हेल्थ केयर एंड रिसर्च सेंटर से KIMS अस्पताल हैदराबाद में शिफ्ट किया गया. नम आंखों से शौर्य की मां ने कहा है कि, ''हम तनाव में थे क्योंकि हमारा बेटा पूरी तरह से ईसीएमओ सपोर्ट पर था. उसका फेफड़ा संक्रमित था. केवल 40 दिनों के बाद KIMS के डॉक्टरों ने उन्हें सूचित किया कि वह ठीक होने लगा है. हम उन्हें पर्याप्त धन्यवाद नहीं दे सकते. सिर्फ इन डॉक्टरों की वजह से हमारा बेटा जिंदा है." 

क्या है ECMO, क्यों होता है इसका उपयोग?
ईसीएमओ का उपयोग उन लोगों की सहायता के लिए किया जाता है जिनके अतिरिक्त ऑक्सीजन देने के बाद भी शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं दे पाते हैं, या फिर वेंटिलेटर का इस्तेमाल करने के बाद भी जिनके फेफड़े कार्बन डाइऑक्साइड से छुटकारा नहीं पा सकते हैं. जब हृदय शरीर में पर्याप्त रक्त पंप नहीं कर सकता तब इसका इस्तेमाल होता है. ईसीएमओ का इस्तेमाल दिल या फेफड़ों को सहारा देने के लिए भी किया जा सकता है.