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Success Story: 8 साल की उम्र में बेचा अखबार, चिड़ियों के बैठने के लिए दीवार पर नहीं लगने दी कांच, ऐसा था मिसाइल मैन का सफर

APJ Abdul Kalam Success Story: पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम एक महान वैज्ञानिक, प्रेरणादायक नेता तो थे ही,एक व्यक्ति के तौर पर भी लोग उन्हें काफी पसंद करते थे. मिसाइल मैन के नाम से जाने जाने वाले कलाम साहब का पूरी जीवन ही ऐसा रहा जिससे हर कोई प्रेरणा ले सकता है. उनका जीवन खुद में ही एक पाठशाला है, जिसने भी उसका अनुकरण किया वह जरूर सफल होगा. उनके जीवन से हमें ईमानदारी, संयम और परिश्रम की सीख मिलती है.

Dr. APJ Abdul Kalam Dr. APJ Abdul Kalam
हाइलाइट्स
  • पक्षियों से खास लगाव

  • बचपन में अखबार बेचते थे कलाम

Dr. APJ Abdul Kalam Success Story: पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम (APJ Abdul Kalam) एक महान वैज्ञानिक, प्रेरणादायक नेता तो थे ही,एक व्यक्ति के तौर पर भी लोग उन्हें काफी पसंद करते थे. मिसाइल मैन के नाम से जाने जाने वाले कलाम साहब का पूरी जीवन ही ऐसा रहा जिससे हर कोई प्रेरणा ले सकता है. उनका जीवन खुद में ही एक पाठशाला है, जिसने भी उसका अनुकरण किया वह जरूर सफल होगा. उनके जीवन से हमें ईमानदारी, संयम और परिश्रम की सीख मिलती है. उन्होंने जिसके साथ भी काम किया उनके दिल को जीत लिया. दूसरे के लिए इतने प्रेरणादायी कलाम का खुद का जीवन बहुत ही कठिनाई में बीता.

बचपन में बेचा अखबार
APJ Abdul Kalam का जन्म तमिलनाडु के रामेश्वरम शहर के एक छोटे से गांव धनुषकोड़ी में एक बहुत ही गरीब परिवार में हुआ था. उनके पिता एक छोटी सी नाव चलाया करते थे, जिससे उनके परिवार का गुजर बसर हो सके. उनके घर में कोई भी पड़ा-लिखा नहीं था, लेकिन उन्हें बचपन से ही पढ़ाई-लिखाई का बहुत शौक था. गरीब होने के बावजूद उनका परिवार उन्हें काफी सपोर्ट करता था. जब वे आठ साल के थे तब अपने पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए अखबार बेचा करते थे. पढ़ने का शौक ऐसा था कि इन अखबारों को वे खुद भी पढ़ा करते थे. 

वैज्ञानिक बनने के पीछे की घटना
कलाम के एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी में आने के पीछे उनके पांचवी क्लास के टीचर सुब्रह्मण्यम अय्यर हैं. एक बार कलाम से उनकी टीचर ने पूछा कि चिड़िया कैसे उड़ती है? क्लास का कोई छात्र इसका उत्तर नहीं दे पाया. टीचर अगले दिन सभी बच्चों को समुद्र के किनारे ले गए जहां कई पक्षी उड़ रहे थे. कुछ समुद्र में उतर रहे थे तो कुछ बैठे थे. वहां कलाम की टीचर ने उन्हें पक्षी के उड़ने के पीछे के कारण को समझाया साथ ही पक्षियों के शरीर की बनावट को भी विस्तार पूर्वक बताया जो उड़ने में उनकी मदद करता है. टीचर के द्वारा समझाई गई ये बात कलाम के अंदर इस कदर समा गई कि उन्होंने तय कर लिया कि वो उड़ान की दिशा में अपना करियर बनाएंगे. मुझे हमेशा महसूस होने लगा कि मैं रामेश्वरम् के समुद्र तट पर हूं और उस दिन की घटना ने मुझे जिंदगी का लक्ष्य निर्धारित करने की प्रेरणा दी. बाद में मैंने तय किया कि उड़ान की दिशा में ही अपना करियर बनाऊंगा.

कैसे पहुंचे इसरो
कलाम जी की शुरुआती पढ़ाई रामेश्वरम एलीमेंट्री स्कूल में हुई थी. उसके बाद उन्होंने बीएससी की फिर साल 1955 में मद्रास इन्स्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी MIT से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. कॉलेज खत्म होने के बाद जब APJ Abdul Kalam जी ने इंडियन आर्म्ड फोर्स्ड में फाइटर पाइलट की पोस्ट के लिए अप्लाई किया, उस समय वहां सिर्फ आठ सीट खाली थीं. यहां उनका 9वां नंबर आया और वह आर्म्ड फोर्सेस के लिए सेलेक्ट नहीं हो पाए. उसके बाद से उन्होंने DRDO जॉइन की, लेकिन वह DRDO में वह अपनी जॉब से खुश नहीं थे, क्योंकि उन्हें वहां कुछ नया सीखने नहीं मिलता था. तभी उनकी मुलाकात ISRO के फाउंडर विक्रम साराभाई जी से हुई. उनको APJ Abdul Kalam जी की मेहनत और हर वक्त कुछ नया सीखने की चाह बहुत पसंद आयी. उसके बाद कलाम का ट्रांसफर DRDO से ISRO में हुआ.

पक्षियों से खास लगाव
एक बार डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) में उनकी टीम बिल्डिंग की सुरक्षा को लेकर चर्चा कर रही थी. टीम ने सुझाव दिया कि बिल्डिंग की दीवार पर कांच के टुकड़े लगा देने चाहिए. लेकिन डॉ कलाम ने टीम के इस सुझाव को ठुकरा दिया और कहा कि अगर हम ऐसा करेंगे तो इस दीवार पर पक्षी नहीं बैठें सकेंगे.

कलाम के सम्मान
देश और समाज के लिए किए गए कार्यों के लिए डॉ कलाम को अनेक पुरस्कार से सम्मानित किया गया. लगभग 40 विश्वविद्यालयों ने उन्हें मानद डॉक्टरेट की उपाधि दी और भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण, पद्म विभूषण और भारत के सबसे बड़े नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया. 

27 जुलाई, 2015 की शाम अब्दुल कलाम भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) शिलोंग में लेक्चर दे रहे थे, तब उन्हें दिल का दौरा पड़ा और वे बेहोश होकर गिर पड़े जहां उनकी मृत्यु हो गई.