अगर किसी का अदालत में कोई मुकदमा चल रहा है तो मुकदमे करने वालों को ज्यादातर कानूनी बारीकियों या प्रक्रिया संबंधी जरूरतों के बारे में ज्यादा पता नहीं होता है. हर तरह से वे वकील पर निर्भर होते हैं. ये हालात तब हैं जब दिल्ली में सबसे आधुनिक और सुलभ अदालत भवन हैं, चाहे वह साकेत, राउज़ एवेन्यू या उच्च न्यायालय हो. इस साल, न्यायपालिका ने लोगों के बीच असुविधा की भावना को कम करने और कंफ्यूज्ड लोगों को राहत देने के उद्देश्य से एक प्रोजेक्ट शुरू किया है.
ई-सेवा केंद्र (eSK), जो वकीलों, लिटिगैंट्स और राष्ट्रीय राजधानी की अदालतों के बीच 'डिजिटल विभाजन' को पाटने के लिए दिल्ली की सभी सात जिला अदालतों में शुरू किए गए थे. ये सभी तकनीकों पर बहुत अधिक निर्भर हैं. इन ईएसके की कल्पना और अवधारणा ई-कमेटी ने की थी, जिसे 2004 में भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश ने गठित किया था, ताकि लिटिगैंट, विशेषकर कम विशेषाधिकार प्राप्त वर्गों को अदालतों तक पहुंच की सुविधा मिल सके. ई-कोर्ट संबंधित इस पहल का उद्देश्य सभी के लिए न्याय तक पहुंच को मजबूत करना है.
क्यों स्थापित किए गए eSK
लिटिगैंट्स (मुकदमेबाजों) के लिए वन-स्टॉप सॉल्यूशन केंद्र बनने के लिए, eSK का उद्घाटन नवंबर 2023 और फरवरी 2024 के बीच दिल्ली HC के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और इंफर्मेशन टेक्नोलॉजी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कमिटी के अध्यक्ष, न्यायमूर्ति राजीव शकधर ने किया था. ज्यादातर आबादी के पास इंफर्मेशन टेक्नोलॉजी सर्विसेज तक पहुंचने के लिए या तो सीमित या कोई संसाधन नहीं हैं, जिसके कारण कई लोगों को बाधाओं का सामना करना पड़ता है. ऐसे में, विजिबिलिटी सुनिश्चित करने के लिए, सभी जिला अदालत परिसरों - साकेत, पटियाला हाउस, कड़कड़डूमा, राउज़ एवेन्यू, तीस हजारी, रोहिणी और द्वारका के सार्वजनिक प्रवेश द्वार पर ईएसके स्थापित किए गए है. विचार यह है कि आने वाले मुकदमेबाज को हर संभव सहायता प्रदान की जाए.
इन सुविधाओं में याचिकाओं की ई-फाइलिंग में मदद करना, उन्हें स्कैन करना, ई-सिग्नेचर जोड़ना, उन्हें सर्वर पर अपलोड करना और फाइलिंग नंबर तैयार करना, ई-स्टाम्प पेपर या ई-भुगतान की खरीद, आधार-आधारित डिजिटल हस्ताक्षर प्राप्त करना और ई-न्यायालयों के मोबाइल ऐप को डाउनलोड करने में मदद के साथ ही मदद करना शामिल है. ये केंद्र जेल में रिश्तेदारों से मिलने के लिए ई-मुलाकात अपॉइंटमेंट की बुकिंग, छुट्टी पर गए न्यायाधीशों या अदालत के स्थान के बारे में प्रश्नों को हल करने और जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण, उच्च न्यायालय कानूनी सेवा समिति और सुप्रीम कोर्ट कानूनी से मुफ्त कानूनी सेवाओं का लाभ उठाने के लिए लोगों का मार्गदर्शन करने की सुविधा भी देते हैं.
QR कोड स्कैन करके जुड़ें
इनके जरिए वर्चुअल कोर्ट में ट्रैफिक चालान के निपटान की सुविधा भी मिलती है. ईएसके वीडियो कॉन्फ्रेंस अदालत की सुनवाई की व्यवस्था करने के तरीकों की भी व्याख्या करते हैं और ईमेल, व्हाट्सएप और अन्य तरीकों से न्यायिक आदेशों और निर्णयों की सॉफ्ट कॉपी देते हैं. ये केंद्र वरिष्ठ नागरिकों और विकलांग व्यक्तियों को व्हीलचेयर की सुविधा भी प्रदान करते हैं. कोई भी व्यक्ति संबंधित जिले की वेबसाइट पर लिंक पर क्लिक करके या समर्पित हेल्पलाइन पर कॉल करके सेवाओं का लाभ उठा सकता है. लोग अदालत परिसरों में प्रदर्शित क्यूआर कोड को स्कैन करके ईएसके से जुड़ सकते हैं.
उचित बुनियादी ढांचे को सुनिश्चित करने के लिए, केंद्रों पर 1.75 लाख रुपये से 2.25 लाख रुपये की लागत से पोर्टा केबिन बनाए गए हैं. हर एक eSK की अनुमानित मासिक ऑपरेशनल कॉस्ट 17,000 रुपये से 32,000 रुपये के बीच है. कुछ महीनों के अंतराल में, बड़ी संख्या में लिटिगैंट्स और वकीलों ने ई-केंद्रों का उपयोग करना शुरू कर दिया है। अदालतों के आंकड़ों से पता चला है कि सबसे ज्यादा भीड़ तीस हजारी और साकेत अदालत परिसरों में दर्ज की गई, जहां 9,500 लोग विभिन्न सेवाओं को उपयोग कर चुके हैं.