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Election Commission of India: राजनीतिक दलों को सोशल मीडिया पर पोस्ट के लिए ठहराया जाएगा जिम्मेदार, पॉलिसी में बदलाव पर विचार कर रहा चुनाव आयोग

राजनीतिक दलों को सोशल मीडिया पर पोस्ट के लिए जिम्मेदार ठहराने के लिए चुनाव आयोग पॉलिसी में बदलाव पर विचार कर रहा है. इस बदलाव के जरिए चुनाव आयोग सियासी दलों और नेताओं को सोशल मीडिया पर उनके पोस्ट के लिए जिम्मेदार ठहराएगा.

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इस चुनावी सीजन में चुनाव आयोग ने सोशल मीडिया पर आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने वाले पोस्ट के लिए आम आदमी पार्टी और बीजेपी जैसे राजनीतिक दलों को कुछ नोटिस भेजे थे. हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक उन नोटिसों पर कार्रवाई इसलिए नहीं हुई. क्योंकि ECI का मानना है कि राजनीतिक दलों को सोशल मीडिया गतिविधियों के लिए जिम्मेदार ठहराने के लिए वर्तमान पॉलिसी में कुछ कमी है. इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया अब राजनीतिक दलों और नेताओं को जिम्मेदार ठहराने के लिए पॉलिसी में बदलाव करने पर विचार कर रहा है.

क्या बदलने की तैयारी में है आयोग-
चुनाव आयोग सोशल मीडिया पर राजनीतिक दलों को जवाबदेह बनाने के लिए पॉलिसी में बदलाव पर विचार कर रहा है. इसमें दूसरे दलों के नेताओं का मजाक उड़ाने या उपहास करने के लिए राजनीतिक दलों को नोटिस भेजने में सक्षम बनाना शामिल है. इसके अलावा इसमें ये भी समीक्षा करना शामिल हो सकता है कि राजनीतिक दल अपने कैंपेन मैसेज को प्रचारित करने के लिए मिस्ड कॉल का इस्तेमाल कैसे कर सकती हैं. एचटी की रिपोर्ट के मुताबिक चुनाव आयोग उन विज्ञापनों से निपटने के लिए पीपुल्स रिप्रेजेंटेशन एक्ट की कमियों को दूर करने पर विचार कर रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक मामले की जानकारी रखने वाले एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि किसी भी आइडिया पर फ्री डिबेट पर रोक लगाए बिना एमसीसी मामलों में मोरल सेंसर सुनिश्चित करने के चुनाव आयोग के विश्वास को ध्यान रखते हुए यह सब किया जाएगा.
 
क्या था पूरा मामला-
विधानसभा चुनावों के आखिरी चरण में चुनाव आयोग ने दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को उनके व्यक्तिगत हैंडल से पोस्ट के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया था. इसके अलावा आयोग ने बीजेपी और AAP को उनके आधिकारिक फेसबुक और ट्विटर पोस्ट के लिए भी कारण बताओ नोटिस जारी किया था. उन पोस्टों में संबंधित पार्टी ने दूसरी पार्टी के स्टार प्रचारकों जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल का मजाक उड़ाया गया था. 
उन सभी मामलों में चुनाव आयोग को लगा कि व्यंग्य और मानहानि के बीच एक महीन रेखा है. लेकिन आयोग ने पॉलिसी बाधाओं के चलते एक्शन नहीं लिया. अब आयोग इन कमियों को दूर करने की योजना बना रहा है.

राजस्थान में भी आयोग ने भेजा था नोटिस-
एक दूसरे मामले में चुनाव आयोग ने कांग्रेस के राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के एक विज्ञापन पर कारण बताओ नोटिस जारी किया. जिसमें कुछ गारंटी के रजिस्ट्रेशन के लिए वोटर्स से एक विशेष नंबर पर कॉल करने को कहा गया था. अधिकारी ने बताया कि ऐसा इसलिए किया गया, क्योंकि कांग्रेस ने अखबारों और सोशल मीडिया पर विज्ञापन दिया था कि एक विशेष नंबर पर कॉल करने से एक रजिस्ट्रेशन नंबर जनरेट होगा. जिससे एक धारण बनेगी कि किसी विशेष उम्मीदवार या पार्टी को वोट देने से सिर्फ कॉल करने वालों को फायदा होगा.

चुनाव आयोग ने विज्ञापन में प्रथम दृष्टया एमसीसी का उल्लंघन पाया. आयोग ने क हा कि ऐसा प्रतीत होता है कि विज्ञापन का मकसद व्यक्तिगत वोटर्स को भविष्य में लाभ के बदले एक विशेष तरीके से मतदान करने के लिए लुभाना है.

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