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मतदाताओं की संख्या में वृद्धि को देखते हुए आयोग ने लिया ये फैसला, बढ़ाई चुनाव खर्च की सीमा

आयोग ने 2020 में रिटायर्ड आईआरएस अधिकारी हरीश कुमार, आयोग के सेक्रेटरी जनरल उमेश सिन्हा और वरिष्ठ उप आयुक्त चंद्र भूषण कुमार की समिति बनाई थी. समिति ने सभी राजनीतिक दलों, राज्यों में मुख्य निर्वाचन अधिकारी और ऑब्जर्वर्स सहित अन्य हितधारकों से बात की.

निर्वाचन आयोग ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव खर्च की सीमा बढ़ा दी है. निर्वाचन आयोग ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव खर्च की सीमा बढ़ा दी है.
हाइलाइट्स
  • फैसले से पहले मांगी गई जनता की राय 

  • सात सालों में मतदाताओं की संख्या में 12.23 फीसदी का इजाफा

पिछले 5-6 सालों में मतदाताओं की संख्या में बढ़ोतरी हुई है और इसका सीधा-सीधा प्रभाव चुनाव प्रचार के खर्च पर पड़ता है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए निर्वाचन आयोग ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव खर्च की सीमा बढ़ा दी है. अब विधायकी के उम्मीदवार चुनाव प्रचार में 28 लाख रुपए तक खर्च कर सकेंगे. पहले ये सीमा बीस लाख रुपए थी. शहरी इलाकों और बड़े चुनाव क्षेत्रों में 28 लाख रुपए की अधिकतम खर्च सीमा को बढ़ाकर 40 लाख रुपए कर दिया गया है.

फैसले से पहले मांगी गई जनता की राय 

संसदीय चुनाव के लिए 2014 में तय की गई शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 70 लाख और 54 लाख रुपए की खर्च सीमा को अब 95 लाख और 75 लाख तक बढ़ा दिया गया है. आयोग ने 2020 में रिटायर्ड आईआरएस अधिकारी हरीश कुमार, आयोग के सेक्रेटरी जनरल उमेश सिन्हा और वरिष्ठ उप आयुक्त चंद्र भूषण कुमार की समिति बनाई थी. समिति ने सभी राजनीतिक दलों, राज्यों में मुख्य निर्वाचन अधिकारी और ऑब्जर्वर्स सहित अन्य हितधारकों से बात की. इस बारे में जनता की राय भी मंगाई गई.

सात सालों में मतदाताओं की संख्या में 12.23 फीसदी का इजाफा

इन सब कवायद से पता चला कि 2014 से 21 के बीच सात सालों में मतदाताओं की संख्या भी 834 मिलियन से बढ़कर 936 मिलियन हो गई है. इसका मतलब है कि मतदाताओं की संख्या में 12.23 फीसदी का इजाफा हुआ है.
महंगाई का ग्राफ यानी कॉस्ट इंफ्लेशन इंडेक्स भी 240 से 317 हो गया है. यानी इसमें भी 32.08 फीसदी का इजाफा हुआ. इन्हीं सब आंकड़ों को देखते हुए चुनाव आयोग ने ये निर्णय लिया है.