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Ellis Bridge Renovation: अंग्रेजों के बनवाए गए पुल की मरम्मत करवाएगी गुजरात सरकार, आएगा 32 करोड़ से ज्यादा का खर्च

Ellis Bridge: यह पुल 1892 में ब्रिटिश राज के दौरान बनकर तैयार हुआ था. खास बात यह है कि ब्रिटेन के इंजीनियरों ने लकड़ी से यह पुल बनाने की कोशिश की थी. इस कोशिश में वे असफल रहे थे. बाद में एक भारतीय इंजीनियर की अगुवाई में स्टील का एलिस ब्रिज बनाया गया था.

Ellis Bridge (Photo/Atul Tiwari) Ellis Bridge (Photo/Atul Tiwari)
हाइलाइट्स
  • शहरी विकास योजना के तहत होगी मरम्मत

  • नगर निगम ने पेश किया था प्रस्ताव

अहमदाबाद में ब्रिटिश शासन काल में बने एलिस ब्रिज की सूरत जल्द ही बदलने वाली है. इस ब्रिज की मरम्मत को राज्य सरकार ने मंजूरी दे दी है. गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने शहर की विरासत का हिस्सा रहे इस ब्रिज की मरम्मत के लिए 32 करोड़ 40 लाख 50 हजार रुपये आवंटित करने का निर्णय लिया है. 

पटेल ने स्वर्णिम जयंती मुख्यमंत्री शहरी विकास योजना के पुल घटक से यह राशि आवंटित की है. सरकार की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि राज्य सरकार ने अपनी 'विरासत को महफूज करने' और उन्नत तकनीक के साथ समय पर मरम्मत कार्य करने के लिए हेरिटेज ब्रिज को मजबूत करने का निर्णय लिया है. 

पिछले 10 साल से बंद था ब्रिज
एलिस ब्रिज अहमदाबाद शहर में साबरमती नदी पर 1892 में ब्रिटिश शासन के दौरान बनाया गया था. शहर के इतिहास की एक अहम कड़ी होने के कारण इस पुल को 'हेरिटेज ब्रिज' (Heritage Bridge) की श्रेणी में रखा गया है. 433.41 मीटर की लंबाई और 6.25 मीटर की चौड़ाई वाले इस ऐतिहासिक पुल की स्टील मौसम के प्रभाव के कारण जर्जर और खतरनाक हो गई है. पिछले 10 सालों से यह पुल इसी कारण बंद था. 

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ब्रिज में क्या-क्या काम होगा?
राज्य सरकार ने अपने बयान में कहा कि मौसम के प्रभाव के कारण पुल की स्टील संरचना जीर्ण-शीर्ण और खतरनाक हो गई है. इसलिए मुख्य ट्रस, निचली कड़ियां, निचले तार के जोड़ों की मरम्मत की जाएगी. निचले जोड़ों को बदला भी जाएगा. इसके अलावा पुल में नए बियरिंग लगाए जाएंगे. कंपोज़िट पीयर स्ट्रक्चर के बीच लेसिंग और ब्रेसिंग को बदला जाएगा. 

राज्य सरकार ने इस हेरिटेज पुल की विरासत को संरक्षित करने के उद्देश्य से पुल के नवीनीकरण का फैसला लिया है. काम पूरा होने के बाद पैदल यात्री साबरमती नदी के किनारे मौजूद विक्टोरिया गार्डन के पास आयोजित होने वाले पारंपरिक रविवार बाजार तक आने-जाने के लिए फिर से पुल का इस्तेमाल कर सकेंगे. 

इसके अलावा, मौजूदा घाट को जंग से बचाने के लिए जंग-रोधी उपचार किया जाएगा. जीर्ण-शीर्ण निचले डेक स्लैब को हटाया जाएगा और मौजूदा घाटों का नवीनीकरण किया जाएगा. सरकार ने यह फैसला हाल ही में अहमदाबाद नगर निगम द्वारा राज्य शहरी विकास विभाग को सौंपे गए प्रस्ताव के बाद लिया है. 

क्या है एलिस ब्रिज का इतिहास?
एलिस ब्रिज अहमदाबाद का सबसे पुराना ब्रिज है.  सन् 1892 में बनकर तैयार हुए इस पुल को साबरमती के पूर्वी तट पर स्थित चारदीवारी वाले शहर को नदी के पश्चिम में गति पकड़ रहे नए विकास से जोड़ने के लिए बनाया गया था. वर्तमान में यह पुल अहमदाबाद की विरासत के प्रतीकों में से एक है. 

साबरमती पर एक पुल की जरूरत 1870-71 में महसूस की गई थी. हालांकि, ब्रिटिश इंजीनियरों ने जो पहला पुल बनाया वह बाढ़ से नष्ट हो गया था. लकड़ी के पुल के स्थान पर 1892 में इंजीनियर हिम्मतलाल धीरजराम भचेच की अगुवाई में स्टील के पुल का निर्माण किया गया. एलिस ब्रिज के लिए स्टील बर्मिंघम से आयात किया गया था. यह पुल ब्रिटिश सरकार, स्थानीय निकायों और निजी ग्राहकों द्वारा वहन की गई 4,07,000 रुपये की लागत से पूरा हुआ था.