असम के एक उद्यमी प्लास्टिक को रिसाइकिल करके निर्माण सामग्री बनाकर महिलाओं को सशक्त बनाने के मिशन पर है. 64 वर्षीय उद्यमी, दिलीप दास, शैटरिंग शीट्स बनाते हैं, जोकि प्लास्टिक कचरे को रिसाइकिल करके घरों के निर्माण में काम आने वाली एक आवश्यक सामग्री है.
दिलीप वेस्ट प्लास्टिक जैसे पॉलीथीन बैग, प्रोडक्ट पैकेजिंग मैटेरियल और अन्य घरेलू निपटान वाले प्लास्टिक को इकट्ठा करते हैं. इसके बाद उत्पादों को अलग किया जाता है और रिसाइक्लिंग की प्रक्रिया के जरिए शैटरिंग शीट्स बनाई जाती हैं. इस प्रोसेस में केवल लोड और शहरी प्लास्टिक और मॉलिक्यूलर प्लास्टिक का उपयोग किया जाता है. दिलीप ने आठ महिलाओं को नियमित आधार पर और छह अन्य को आकस्मिक तरीके से रोजगार प्राप्त करने में मदद की. उनकी निर्माण इकाई के माध्यम से कई कूड़ा बीनने वाले भी गलियों से प्लास्टिक इकट्ठा कर अपनी आजीविका चलाने में सक्षम हैं.
ज्यादातर हैं वंचित महिलाएं
दिलीप ने कहा, “यहां काम करने वाली महिलाएं वे हैं जिनके पास शिक्षा नहीं है, वो तलाकशुदा और वंचित महिलाएं हैं. यहां काम करने वाली ज्यादातर महिलाएं ऐसी ही पृष्ठभूमि से हैं.' “प्लास्टिक का उत्पादन कैसे रुकेगा? प्लास्टिक एक पेट्रोल रासायनिक पदार्थ है. हम हमेशा कहते हैं कि प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए, लेकिन जब तक हमें पेट्रोल नहीं मिल जाता, तब तक प्लास्टिक का उपयोग और उत्पादन बंद नहीं किया जा सकता है.
मिल चुका है सम्मान
दास ने आगे कहा, “हमारे टूथपेस्ट से लेकर चश्में तक, प्लास्टिक हमारे जीवन में समाया हुआ है. हम इसे कैसे नियंत्रित कर सकते हैं? लेकिन अगर हम प्लास्टिक का सही तरीके से निस्तारण करें और उसे इस तरह से एकत्र किया जाए कि उसकी रिसाइक्लिंग की जा सके तो प्लास्टिक की समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है. वर्ष 2021 में दिलीप ने यूके स्थित एक एनजीओ जीरो वेस्ट द्वारा आयोजित प्रतियोगिता में उन्होंने दूसरा पुरस्कार जीता है. इसका नाम “जीरो वेस्ट सिटी” था. यूके स्थित इस एनजीओ की स्थापना 2013 में हुई थी. यह एनजीओ समुदायों को संसाधनों के साथ अपने संबंधों पर पुनर्विचार करने के लिए सशक्त बनाते हैं.
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव डॉ शांतनु कुमार दत्ता ने कहा, आज, प्लास्टिक प्रदूषण से उत्पन्न पर्यावरण के लिए खतरे की भयावहता को दुनिया को यह विश्वास दिलाने के लिए अतिशयोक्ति की आवश्यकता नहीं है कि इस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है. प्लास्टिक अभी भी एक अनिवार्य वस्तु है और यह हमारे साथ रहेगा.
कैसे पाएं नियंत्रण
शांतनु ने आगे कहा, “प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने के लिए हमारे पास दो विकल्प हैं.खासकर प्लास्टिक कचरा प्रबंधन (संशोधन) नियम, 2021 के आने के बाद प्लास्टिक कचरा प्रबंधन नियम तैयार किए गए हैं."
1) एसयूपी और प्लास्टिक पैकेजिंग जैसी अनावश्यक प्लास्टिक वस्तुओं के उपयोग से बचें या कम करें
2) एक बहुत मजबूत और टिकाऊ प्लास्टिक अपशिष्ट रीसाइक्लिंग/निपटान प्रणाली विकसित करें.
असम स्थित एक एनजीओ मिडवे जर्नी के अनुसार, असम की राजधानी गुवाहाटी में 600 टन कचरा उत्पन्न होता है. लगभग 10 से 15% प्लास्टिक सामग्री हैं और प्रतिदिन लगभग 5000 किलोग्राम प्लास्टिक उत्पन्न होता है. मिडवे जर्नी,एनजीओ के चंद्रशेखर दास,“असम में रीसाइक्लिंग के लिए कोई औपचारिक प्रणाली नहीं है. जमीनी कार्यकर्ता एक अनौपचारिक प्रणाली का पालन करते हैं जिसका उपयोग कचरे को अलग करने के लिए किया जाता है. गुवाहाटी में प्रतिदिन लगभग 10-15% कचरे का पुनर्चक्रण किया जाता है, जो लगभग 1000 किलोग्राम तक होता है.
(सारस्वत कश्यप की रिपोर्ट)