8 अगस्त को लोकसभा ने ऊर्जा संरक्षण कानून (ECA) में संशोधनों को हरी झंडी दे दी है. इसमें कम से कम 100 केवी के कनेक्शन वाली इमारत के लिए नवीकरणीय स्रोत से ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने का प्रावधान किया गया है. अभी तक भारत में रिहायशी इमारतों में ऊर्जा संरक्षण के लिए कोई भी नियम नहीं है. यह संशोधन विधेयक है. केंद्रीय विद्युत, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने इसे संसद में पेश करते हुए कहा कि यह विधेयक देश को आत्मनिर्भर बनाएगा. अगर हम पेट्रोलियम उत्पादों की जगह वैकल्पिक ऊर्जा का उपयोग करेंगे तो विदेशों पर हमारी निर्भरता कम होगी.
क्या कहता है ऊर्जा संरक्षण कानून
इस विधेयक में बड़ी आवासीय इमारतों को अधिक ऊर्जा सक्षम एवं वहनीय बनाने का प्रावधान किया गया है. इन इमारतों को क्लीन एनर्जी के इस्तेमाल से जुड़े नियम अनिवार्य तौर पर मानने होंगे. केंद्र सरकार या किसी अन्य अधिकृत एजेंसी को किसी पंजीकृत संस्था को ‘कार्बन क्रेडिट सर्टिफिकेट’ देने का अधिकार होगा. बिल के जरिए केंद्र सरकार ने ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी (बीईई) की स्थापना की है. ये बिल सरकार को ऊर्जा बचत प्रमाण पत्र जारी करने और अधिक ऊर्जा का उपयोग करने वाले उपभोक्ताओं को दंडित करने का भी अधिकार देता है. ऊर्जा संरक्षण कानून 2001 में बना था. 2010 में इसमें संशोधन किए गए थे. अब एक बार फिर इसमें संशोधन कर लोकसभा में पेश किया गया है.
जलवायु परिवर्तन के लक्ष्यों को हासिल करने में मिलेगी मदद
कानून में संशोधन के बाद हर वो इमारत जिसका इलेक्ट्रिसिटी लोड 100 किलोवॉट या इससे ज्यादा है वह ऊर्जा संरक्षण कानून EAC के दायरे में होगी. राज्य सरकारें इसमें बदलाव भी कर सकेंगे क्योंकि संविधान के तहत ऊर्जा समवर्ती सूची में है. सरकार का दावा है कि यह बिल जलवायु परिवर्तन संबंधी अपने लक्ष्यों को हासिल करने में भारत की मदद करेगा. इस बिल में वाहन और जहाज जैसे अन्य उत्पादों को भी ऊर्जा दक्षता मानक के भीतर लाने का प्रस्ताव है.
क्यों लाया गया यह बिल
पर्यावरण सम्मेलन COP26 में लिए गए संकल्पों को देखते हुए इस बिल में संशोधन किए जा रहे हैं. सरकार का उद्देश्य एनर्जी ट्रांजिशन पर नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा पर जोर देना और नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को बढ़ावा देना है. इसका उद्देश्य कार्बन उत्सर्जन को धीरे-धीरे कम करना है. इस समय में भारत अमेरिका और चीन के बाद तीसरा सबसे बड़ा कार्बन उत्सर्जक देश है. ये बिल ईंधन के स्रोतों के रूप में ग्रीन हाइड्रोजन और बायोमास इथेनॉल सहित गैर-जीवाश्म ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करने की अनुमति देगा. ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) विधेयक 2022 का मुख्य उद्देश्य देश में जीवाश्म ईंधन बिजली की खपत को कम करना है.