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दुनिया के सबसे बड़े इग्लू कैफे में लें चाय-नाश्ते का मजा, गुलमर्ग में मिलेगा 'जन्नत' का नजारा

इस कैफे की कुर्सियां और मेज समेत सभी चीजें बर्फ से ही तैयार की गई हैं. कुर्सियों पर भेड़ की खाल बिछाई गई है, ताकि किसी को बैठने में दिक्कत न हो. अंदर से कश्मीर की झलक लोगों को मिल सके इसलिए कश्मीरी दस्तकारी का सामान, तांबे से बना समावार भी सजाया गया है.

Igloo (Photo: PTI) Igloo (Photo: PTI)
हाइलाइट्स
  • ऊंचाई 33.8 फीट और डायमीटर 42.4 फीट है

  • बनने में लगा दो महीने का समय

जम्मू कश्मीर के गुलमर्ग में दुनिया का सबसे बड़ा इग्‍लू कैफे (Igloo Cafe) तैयार किया गया है. पिछला वर्ल्ड रिकॉर्ड 2016 में स्विट्जरलैंड के नाम था, लेकिन इसबार ये इग्लू सबसे बड़ा है. बता दें, इसकी ऊंचाई 37.5 फीट है, वहीं इसका डायमीटर 44.5 फीट है. निर्माताओं का दावा है कि यह दुनिया का अपनी तरह का सबसे बड़ा इग्‍लू कैफे है. इसे कोल्हाई ग्रुप ऑफ होटल्स एंड रिसोर्ट ने बनाया है. ये एकदम जन्नत के जैसा नजर आता है, जिसमें एक साथ करीब तीन दर्जन लोग आराम से बैठकर चाय और नाश्ते का आनंद ले सकते हैं. 

स्विट्ज़रलैंड से मिला ये कॉन्सेप्ट 

37.5 फीट की ऊंचाई और 44.5 फीट के डायमीटर के साथ, इग्लू के निर्माता सैयद वसीम शाह ने दावा किया कि यह दुनिया का अपनी तरह का सबसे बड़ा कैफे है. उन्होंने कहा, “मैंने कुछ साल पहले स्विट्जरलैंड में इस तरह के कॉन्सेप्ट को देखा था. वहां उनके पास ऐसे होटल हैं, जो सोने की सुविधाएं देते हैं. मुझे लगा कि गुलमर्ग में बहुत बर्फ है और क्यों न इस तरह के कॉन्सेप्ट को यहीं शुरू किया जाए।"

दुनिया का सबसे बड़ा इग्लू कैफे 

शाह बताते हैं कि पिछले साल भी उन्होंने एक ऐसा ही इग्लू कैफे बनाया था. जिसे उन्होंने एशिया का सबसे बड़ा कैफ़े होने का दावा किया है. वे कहते हैं, "इस साल, मैंने दुनिया का सबसे ऊंचाई वाला कैफ़े बनाया है. इसकी ऊंचाई 37.5 फीट है और इसका डायमीटर 44.5 फीट है."

उन्होंने आगे कहा कि गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के अनुसार सबसे बड़ा इग्लू कैफे स्विट्जरलैंड में है, और इसकी ऊंचाई 33.8 फीट और डायमीटर 42.4 फीट है. यह उससे बड़ा है. 

अंदर मिलेगी कश्मीर की झलक 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस कैफे की कुर्सियां और मेज समेत सभी चीजें बर्फ से ही तैयार की गई हैं. कुर्सियों पर भेड़ की खाल बिछाई गई है, ताकि किसी को बैठने में दिक्कत न हो. अंदर से कश्मीर की झलक लोगों को मिल सके इसलिए कश्मीरी दस्तकारी का सामान, तांबे से बना समावार भी सजाया गया है. 

बनने में लगा दो महीने का समय  

उन्होंने कहा कि पिछले साल के कैफे में चार टेबल थे, और एक बार में 16 लोग खा सकते थे, लेकिन इस साल उन्होंने 10 टेबल रखे हैं. हमने इसे दो फेज में एक सीढ़ी के साथ बनाया है. इसबार एक बार में चालीस लोग इसमें खा सकते हैं.

शाह ने बताया कि इसे पूरा करने में 64 दिन लगे और 25 लोगों ने दिन रात काम किया है. इसे यह 15 मार्च तक चलाया जाएगा, जिसके बाद इसे जनता के लिए बंद कर दिया जाएगा. कैफे स्थानीय लोगों के साथ-साथ पर्यटकों की भीड़ के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है