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शारीरिक नहीं तो मानसिक रूप से ही सही… पति की दूसरी महिला से बढ़ रही नजदीकियां बनी तलाक की वजह, कोर्ट ने कहा- मानसिक हिंसा!

कोर्ट ने पति की उस दलील को भी खारिज कर दिया जिसमें उसने कहा कि कोई ठोस सबूत नहीं है. कोर्ट ने कहा कि पति का खुद का स्वीकार करना और दस्तावेजी सबूत यह साबित करते हैं कि इस विवाह को तोड़ने की जिम्मेदारी उसी की थी.

Mental cruelty in marriage (Representative Image) Mental cruelty in marriage (Representative Image)

विवाह, भारतीय समाज में सिर्फ दो लोगों के बीच का संबंध नहीं है, यह दो परिवारों का, दो संस्कृतियों का, और सबसे अहम- विश्वास का गठबंधन होता है. लेकिन जब इस रिश्ते में कोई तीसरा प्रवेश करता है बिना किसी सफाई या स्पष्टीकरण के तो यह ना सिर्फ उस रिश्ते को तोड़ता है, बल्कि गहरे मानसिक आघात का कारण भी बनता है. ऐसा ही एक बेहद दिलचस्प और सामाजिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मामला हाल ही में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में सामने आया. 

मामला क्या था?
इस केस में पति खुद तलाक मांग रहा था, यह कहते हुए कि पत्नी ने उस पर झूठे और बेबुनियाद आरोप लगाए हैं कि उसका एक दूसरी महिला से अवैध संबंध है. पति का दावा था कि इस आरोप से उसकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची और मानसिक शांति भंग हुई.

लेकिन कहानी में ट्विस्ट तब आया जब अदालत ने गहराई से इस दावे की जांच की और जो सामने आया, उसने रिश्ते की परतें उधेड़ दीं.

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कोर्ट में क्या निकला सामने?
मामला जस्टिस सुधीर सिंह और जस्टिस सुखविंदर कौर की बेंच के सामने आया. दोनों जजों ने स्पष्ट कहा कि अगर कोई पति शादी के बाद संबंध रखता है-चाहे शारीरिक नहीं तो मानसिक रूप से ही सही-और वह भी बिना किसी स्पष्ट स्पष्टीकरण के, तो यह पत्नी के लिए ‘मानसिक क्रूरता’ की श्रेणी में आता है.

कोर्ट के अनुसार, पति ने खुद स्वीकार किया कि उसकी उस महिला से कई बार मुलाकात हुई, वे दोनों हवाई यात्रा और ट्रेन से साथ सफर कर चुके हैं, और यहां तक कि गोवा की यात्रा भी साथ की गई थी.

सबूत क्या थे?
फैमिली कोर्ट की जांच में यह भी पाया गया कि एक कॉम्पैक्ट डिस्क (CD) में पति एक फ्लैट से एक महिला के साथ बाहर निकलते हुए दिखाई दे रहा है. इसके अलावा, एक और चौकाने वाली बात यह थी कि पति ने उसी महिला के साथ मिलकर एक कंपनी भी रजिस्टर्ड की थी. यह तथ्य अपने आप में बहुत कुछ कह जाता है.

कोर्ट का फैसला
हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि, “बिना किसी स्पष्टीकरण के किसी महिला से नजदीकियां, जो वैवाहिक बंधन से बाहर है, क्रूरता की श्रेणी में आती है और यह वैवाहिक रिश्ते में दरार का कारण बनती है.”

कोर्ट ने पति की उस दलील को भी खारिज कर दिया जिसमें उसने कहा कि कोई ठोस सबूत नहीं है. कोर्ट ने कहा कि पति का खुद स्वीकार करना और दस्तावेजी सबूत यह साबित करते हैं कि इस विवाह को तोड़ने की जिम्मेदारी उसी की थी.

गौरतलब है कि यह दंपत्ति 2011 में विवाह बंधन में बंधे थे और उनका एक बच्चा भी है. वे 2018 से अलग रह रहे हैं.