वाराणसी के काशी विश्वनाथ बाबा के दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं को टिकट, पास आदि का प्रबंध पहले से करना पड़ता था लेकिन अब नए इंतजाम के बाद से श्रद्धालुओं के लिए यह सेवा और सुगम हो जाएगी. पेपर टिकट, दैनिक दर्शन और व्यापारियों के लिए आरती देखने के लिए ऑनलाइन और मैन्युअल रूप से बनाए गए पास, सुगम दर्शन आदि जल्द ही अतीत की बात हो जाएंगी. जून में होने वाले जी -20 कार्यक्रम के बाद, मंदिर प्रशासन रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन कार्ड्स (RFID) जारी करना शुरू कर देगा.
इस कार्ड में कार्डधारक के अन्य सभी डिटेल्स के अलावा, आरएफआईडी कार्ड इसकी वैधता और समाप्ति का समय लिखा होगा. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इससे उपयोग किए गए टिकटों और अनधिकृत प्रवेश के साथ जालसाजी की संभावना खत्म हो जाएगी और सुरक्षा सुनिश्चित होगी.
टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए, डिवीजनल कमिश्नर कौशल राज शर्मा ने कहा कि वाराणसी में अगले जी -20 कार्यक्रम के 13 जून को समाप्त होने के बाद, आरएफआईडी कार्ड पेश किए जाएंगे. उन्होंने कहा, “शुरुआत में, विभिन्न आरती, अनुष्ठान और सुगम दर्शन के लिए टिकट आरएफआईडी कार्ड पर जारी किए जाएंगे और बाद में काशी विश्वनाथ मंदिर में रोजाना आने वाले श्रद्धालुओं, विभिन्न सुरक्षा क्षेत्रों में दुकानदारों और केवी धाम के गेस्ट हाउस में ठहरने वाले मेहमानों को भी आरएफआईडी कार्ड जारी किए जाएंगे.”
लोग कर रहे गलत इस्तेमाल
वर्तमान में, सभी टिकट और पास क्यूआर कोड के साथ और मंदिर प्रशासन की मुहर के साथ कागज पर छपते हैं. चूंकि इन पासों को लौटाना अनिवार्य नहीं है, इसलिए इनके दुरूपयोग की घटनाएं सामने आईं. पुराने टिकट को स्कैन कर सुगम दर्शन का डुप्लीकेट टिकट तैयार करने वाले आउटसोर्स कर्मचारियों के खिलाफ मंदिर प्रशासन ने हाल ही में प्राथमिकी दर्ज कराई थी. पिछले सप्ताह काशी विश्वनाथ और ज्ञानवापी की सुरक्षा पर स्थायी समिति की बैठक में भी इस मुद्दे पर चर्चा हुई थी.
क्यों उठाया यह कदम
कमिश्नर कौशल राज शर्मा ने कहा कि स्थायी समिति की बैठक के दौरान अधिकारियों ने आरएफआईडी टिकट शुरू करने के फैसले की घोषणा की थी. अधिकारियों ने कहा कि आरएफआईडी स्कैनर वाले व्यक्तियों को सभी जांच बिंदुओं पर रखा जाएगा, आरएफआईडी कार्ड पर टिकट धारक के पूर्ण व्यक्तिगत विवरण और ठिकाने के साथ जारी किए जाएंगे, जबकि इसकी वैधता और समाप्ति का भी उल्लेख किया जाएगा. आरएफआईडी कार्डधारक को इसे मंदिर कार्यालय को लौटाना होगा. आयुक्त ने कहा कि यदि कार्ड वापस नहीं किया जाता है, तो इसके दुरुपयोग की कोई संभावना नहीं होगी क्योंकि यह समाप्त हो जाएगा और इसका पुन: उपयोग नहीं किया जा सकेगा.