देशभर में पिछले कई दिनों से मध्य बंगाल की खाड़ी में उठने वाले चक्रवात तूफान को लेकर अलर्ट जारी है. भारतीय मौसम विभाग का कहना है कि यह चक्रवात चार दिसंबर को ओडिशा और आंध्र प्रदेश के तटीय क्षेत्रों से टकराएगा. इसलिए राष्ट्रीय आपदा मोचन बल और राज्य आपदा मोचन बल अलर्ट पर है.
मौसम विभाग का कहना है कि चक्रवात के प्रभाव से पश्चिम बंगाल के कई इलाकों में भारी बारिश की संभावना है. मई में ‘यास’ और सितंबर में ‘गुलाब’ के बाद पूर्वी तटीय क्षेत्रों की तरफ बढ़ने वाला यह तीसरा चक्रवात तूफान है, जिसे जवाद तूफान के नाम से जाना जाएगा.
पूरी है तैयारी:
प्रधानमंत्री ने चक्रवात के संबंध में राज्यों, संबंधित मंत्रालयों और संगठनों के साथ एक समीक्षा बैठक की. इस उच्च स्तरीय बैठक में अधिकारियों को नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पहुंचाने, उनके लिए बिजली, दूरसंचार, स्वास्थ्य और पेयजल आदि की समुचित व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं.
बताया जा रहा है कि गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को एसडीआरएफ की पहली किस्त पहले से ही जारी कर दी है. एनडीआरएफ की भी पूरी तैयारी है. संगठन की 29 टीम पहले से तैनात हैं और इसके अलावा 30 से ज्यादा टीम को तैयार रखा गया ताकि जरूरत पड़ने पर वे तुरंत पहुंच सकें.
साथ ही सावधानी बरतते हुए भारतीय तटरक्षक बल और नौसेना ने राहत, खोज और बचाव कार्यों के लिए जहाज और हेलीकॉप्टर भी तैनात किए हैं. वहीं वायु सेना और थल सेना की इंजीनियर टास्क फोर्स इकाइयां, नावों और बचाव उपकरणों के साथ तैयार हैं.
सऊदी अरब के सुझाव पर पड़ा नाम ‘जवाद’
इस चक्रवात को ‘जवाद तूफान’ कहा जायेगा. जवाद का अर्थ होता है उदार. और इस नाम का सुझाव सऊदी अरब ने दिया है. क्योंकि बताया जा रहा है कि पहले आए तूफानों के मुकाबले में यह तूफान बहुत ज्यादा खतरनाक नहीं है. अब तक मिली जानकारी के आधार पर यही कहा जा रहा है कि इस तूफान से जानमाल का ज्यादा नुकसान नहीं होगा.
लेकिन तूफान से प्रभावित होने वाले राज्यों ने पहले से ही अपनी तैयारी शुरू कर दी है. क्योंकि मौसम विभाग ने अलर्ट जारी किया है कि तूफान के प्रभाव से आंध्र प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में भारी बारिश की आशंका है.
कैसे रखा जाता है चक्रवातों का नाम:
यदि किसी चक्रवात की गति 34 समुद्री मील प्रति घंटे से अधिक हो तो उसे एक विशेष नाम देना आवश्यक हो जाता है. यदि तूफान की गति 74 मील प्रति घंटे तक पहुँच जाती है या उसे पार कर जाती है, तो इसे अलग-अलग केटेगरी- हरीकेन, सायक्लोन व टीफून में वर्गीकृत किया जाता है.
दुनिया भर में किसी भी महासागरीय बेसिन में बनने वाले चक्रवातों का नाम क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्र (आरएसएमसी) और उष्णकटिबंधीय चक्रवात चेतावनी केंद्र (टीसीडब्ल्यूसी) द्वारा रखा जाता है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) सहित दुनिया में कुल छह आरएसएमसी हैं.
एशिया प्रशांत के लिए विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्लूएमओ) और संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग (ईएससीएपी) साल 2000 से चक्रवाती तूफानों का नामकरण कर रहे हैं. भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) उत्तर हिंद महासागर सहित बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में विकसित होने वाले चक्रवातों का नाम रखता है.
अलग-अलग देश देते हैं सुझाव:
साल 2000 में, WMO/ESCAP नामक राष्ट्रों का समूह बनाया गया. जिसमें बांग्लादेश, भारत, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका और थाईलैंड शामिल था और इस समूह ने इस क्षेत्र में चक्रवातों का नाम रखने का फैसला किया.
2018 में, पांच और देशों को जोड़ा गया- ईरान, कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और यमन. इन देशों द्वारा सुझाव भेजे जाने के बाद, उष्णकटिबंधीय चक्रवातों पर WMO/ESCAP पैनल सूची को अंतिम रूप देते हैं.
चक्रवातों का नाम इसलिए रखा जाता है ताकि लोगों के लिए इन्हें पहचानना और जानना आसान रहे. क्योंकि हर कोई साइंटिफिक टर्म्स याद नहीं रख सकता है. इस तरह एक नाम होने से न सिर्फ लोगों के लिए बल्कि मीडिया, मौसम विभाग और प्रशासन, सभी के लिए इस पर जागरूकता फैलाना आसान हो जाता है.
चक्रवात का नामकरण करने के दिशा-निर्देश:
जैसे नवंबर 2017 में आए चक्रवात ‘ओखी’ का नाम बांग्लादेश ने रखा था, जिसका बंगाली भाषा में अर्थ ‘आंख’ होता है. 13 जून 2019 को चक्रवात ‘वायु’ गुजरात तट से टकराया था. इसे भारत द्वारा नामित किया गया था और यह नाम संस्कृत और हिंदी भाषा से लिया गया था जिसका अर्थ है ‘हवा.’