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Explainer: क्या है ग्लोबल साउथ, जिसके बारे में सभी वर्ल्ड लीडर्स कर रहे हैं बात…

अमेरिका से लेकर वर्ल्ड बैंक तक हर कोई इन दिनों ग्लोबल साउथ के बारे में बात कर रहा है.अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी G20 में कहा है कि भारत "ग्लोबल साउथ की आवाज बन रहा है".

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हाइलाइट्स
  • पहली बार ये शब्द 1960 के दशक में सामने आया

  • सभी वर्ल्ड लीडर्स इसको लेकर कर रहे हैं बात…

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि भारत "ग्लोबल साउथ की आवाज बन रहा है". वहीं ब्रिक्स देशों - ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका- के अगस्त शिखर सम्मेलन में वर्तमान अध्यक्ष दक्षिण अफ्रीका ने घोषणा की थी कि उसका लक्ष्य "ग्लोबल साउथ के एजेंडे को आगे बढ़ाना" है. वहीं हिरोशिमा में हुए 7 देशों के मई शिखर सम्मेलन से पहले, जापानी प्रधान मंत्री फूमियो किशिदा ने भी जोर देकर कहा था कि जिन अतिथि देशों को उन्होंने आमंत्रित किया था, वे ग्लोबल साउथ के महत्व को दर्शाते हैं. इसके अलावा, अमेरिका से लेकर वर्ल्ड बैंक तक हर कोई इन दिनों ग्लोबल साउथ के बारे में बात कर रहा है. लेकिन असल में यह क्या है?

क्या है ये शब्द?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह वास्तव में एक भौगोलिक शब्द नहीं है. ग्लोबल साउथ में शामिल कई देश उत्तरी गोलार्ध में हैं, जैसे भारत, चीन और अफ्रीका के उत्तरी आधे हिस्से में स्थित सभी देश. ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड, दोनों दक्षिणी गोलार्ध में हैं, ग्लोबल साउथ में नहीं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, नई दिल्ली स्थित काउंसिल फॉर स्ट्रैटेजिक एंड डिफेंस रिसर्च के संस्थापक हैप्पीमन जैकब कहते हैं, "ग्लोबल साउथ एक भौगोलिक, भूराजनीतिक, ऐतिहासिक और विकासात्मक अवधारणा है." इसकी परिभाषा काफी मुश्किल है और अक्सर ये इस पर निर्भर करता है कि वाक्य में इसका उपयोग कौन कर रहा है.

चीन को लेकर क्या है बहस?

आमतौर पर यह शब्द संयुक्त राष्ट्र में 77 के समूह से संबंधित देशों को दर्शाता है, जो आज वास्तव में 134 देशों का एक गठबंधन बन चुका है. इन्हें मुख्य रूप से विकासशील देश माना जाता है. लेकिन, इसमें चीन भी शामिल है - जिसके बारे में कुछ बहस है - और कई अमीर खाड़ी देश भी शामिल हैं,
हालांकि, G77 संयुक्त राष्ट्र में एक समूह है. लेकिन एक्सपर्ट्स के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र खुद इसे अपनी परिभाषा के रूप में उपयोग नहीं करता है.  संयुक्त राष्ट्र के लिए, ग्लोबल साउथ सामान्य तौर पर विकासशील देशों को संदर्भित करने का एक शॉर्टकट है. 

भारत की इसमें भूमिका

भारत अपने आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव दोनों के लिहाज से ग्लोबल साउथ में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. आर्थिक विकास की अगर बात करें, तो भारत दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है. इसके आर्थिक विकास के मॉडल दूसरे देशों के लिए प्रेरणा के स्रोत के रूप में काम करते हैं. भारत की आर्थिक सफलता से दूसरे ग्लोबल साउथ देशों के साथ व्यापार और इन्वेस्टमेंट कोपरेशन बढ़ा है.

 इसके अलावा, भारत ने ऐतिहासिक रूप से गुटनिरपेक्ष आंदोलन (Non-Aligned Movement) और 77 के ग्रुप (G77) जैसे मंचों पर नेतृत्व की भूमिका निभाई है, जो ग्लोबल साउथ  के देशों को अपने हितों की वकालत करने के लिए एक साथ लाते हैं. वैश्विक मंच पर भी भारत की आवाज ग्लोबल साउथ की प्राथमिकताओं और स्थितियों को आकार देने में मदद करती है. 

सबसे पहले ये शब्द कब आया सामने?

दरअसल, ग्लोबल साउथ शब्द पहली बार 1960 के दशक में सामने आया, लेकिन इसे पॉपुलर होने में काफी समय लगा.  शीत युद्ध (Cold War) जब खत्म हुआ उसके बाद फर्स्ट वर्ल्ड, सेकंड वर्ल्ड और थर्ड वर्ल्ड प्रचलन से बाहर होने लगेा. इसका एक कारण ये था कि सोवियत संघ के पतन के साथ सेकंड वर्ल्ड का अस्तित्व खत्म हो गया था और इसलिए भी क्योंकि थर्ड वर्ल्ड का प्रयोग शुरू होने लगा था.