scorecardresearch

Explainer: क्या है मार्शल लॉ, जिसे यूक्रेन ने लगाया है रूस हमले के बाद, जानिए भारत समेत कितने देश हो चुके हैं इससे प्रभावित

मार्शल लॉ (Martial law) लग जाने के बाद किसी भी देश या क्षेत्र की शासन व्यवस्था का पूरा अधिकार सेना के हाथ में हो जाता है. इसे सैनिक कानून या फिर आर्मी एक्ट भी कहा जाता है. इस दौरान उस देश से जनता का शासन यानि नागरिक कानून हटकर सेना का नियंत्रण शुरू हो जाता है.

यूक्रेन में लगाया गया मार्शल लॉ यूक्रेन में लगाया गया मार्शल लॉ
हाइलाइट्स
  • मार्शल लॉ में सेना के पास होते हैं सारे अधिकार

  • यूक्रेन के राष्ट्रपति ने अपने देश में Martial Law लगा दिया है

कहते हैं “किसी भी देश की सबसे बड़ी ख़ूबसूरती होती है वहां का लोकतंत्र. लेकिन तब तक जब तक इसपर जनता का शासन है. क्योंकि अगर इसपर जनता का शासन है तब तो ये स्वर्ग की सीढ़ी का निर्माण करता है, पर अगर इसपर इसका शासन नहीं है तो ये खुले सांड की तरह होता है जो किसी को भी रौंध सकता है.”
 
लेकिन कुछ परिस्थितियों में लोगों के शासन को हटाकर सेना का शासन लगाया जाता है. दरअसल, ऐसा ही कुछ हुआ है यूक्रेन में. रूस ने यूक्रेन पर हमला बोल दिया है. ऐसे में परिस्थिति को देखते हुए यूक्रेन के राष्ट्रपति ने अपने देश में मार्शल लॉ (Martial Law) लगा दिया है. मार्शल लॉ यानि सैनिक कानून. 

जब किसी देश में परिस्थिति खराब हो जाती है या जब सरकार के लिए उसे संभालना मुश्किल हो जाता है तब देश में आम सुरक्षा कानूनों को हटाकर मार्शल लॉ लगाया जाता है. इसके बाद उस देश से या उस क्षेत्र पर से सरकार का नियंत्रण खत्म हो जाता है और देश की सेना का नियंत्रण शुरू हो जाता है. 

चलिए विस्तार से समझते हैं कि आखिर मार्शल लॉ क्या है......

मार्शल लॉ क्या है?

मार्शल लॉ लग जाने के बाद किसी भी देश या क्षेत्र की शासन व्यवस्था का पूरा अधिकार सेना के हाथ में हो जाता है. इसे सैनिक कानून या फिर आर्मी एक्ट भी कहा जाता है. इस दौरान उस देश से जनता का शासन यानि नागरिक कानून हटकर सेना का नियंत्रण शुरू हो जाता है.

जब पोलैंड में लगा था मार्शल लॉ
जब पोलैंड में लगा था मार्शल लॉ

मार्शल लॉ में सेना के पास कौन से अधिकार होते हैं?

-आपको बता दें, मार्शल लॉ में सेना के पास कई सारे अधिकार होते है और वे उसी के हिसाब से काम करते हैं. उन्हें कोई भी कदम उठाने के लिए नागरिकों, सरकार या उनके मंत्रियो की राय नहीं लेनी पड़ती है.

-मार्शल लॉ के समय लोगों के नागरिक अधिकार ले लिए जाते हैं, जैसे आजादी से एक जगह से दूसरी जगह जाने का अधिकार. इसके तहत सेना को पूरा अधिकार होता है की पहले से जो कानून चले आ रहे हैं उन्हें खारिज कर सकें. 

-सैनिक कानून के विरोध में बोलने वाले को या फिर इसके विरोध में लोगो को भड़काने वाले को तुरंत गिरफ्तार किया जाता है.

-अगर सेना चाहे तो वो कभी तक भी किसी को भी गिरफ्तार कर सकती है और कितने भी दिन तक हिरासत में रख सकती है. उन्हें किसी तरह से आदेश की जरूरत नहीं होगी.

-आम दिनों की तरह सिविल कोर्ट्स नहीं होते हैं, मार्शल लॉ के समय में मिलिट्री का अपना कोर्ट होता है. और फिर उसी के हिसाब से किसी को भी न्याय दिया जाता है.

मार्शल लॉ से प्रभावित रह चुके हैं ये देश

देश                     कब-कब लगा है मार्शल लॉ 
कनाडा 1775 -1776
चाइना 1989
इजराइल 1949 से 1966
पाकिस्तान 1958, दूसरी बार 1969 में, तीसरी बार 1977
फिलीपींस 1944, दूसरी बार 1972 से 1981 
थाईलैंड 1912, दूसरी बार 2004 में, तीसरी बार 2006 में, चौथी बार 2014 में
साउथ कोरिया 1946, दूसरी बार 1948 में, तीसरी बार 1960 में
ताइवान 1949
ऑस्ट्रेलिया 1828
मॉरिशस 1968
पोलैंड 1981
ब्रूनेई 1968
इजिप्ट 1981
अमेरिका 1934 
तुर्की 1978

भारत में भी लग चुका है मार्शल लॉ

गौरतलब है कि भारत में भी मार्शल लॉ लगाया जा चुका है. हालांकि ये आजादी से पहले लगाया गया था. साल 1919 में जब आजादी की लौ भभक चुकी थी तब अंग्रेजी हुकूमत ने रौलेट एक्ट लागू किया था. इसी से मार्शल लॉ के बारे में लोगों को पता चला था. इसके अनुसार, जिसमें 4 लोगों के एक साथ जमा होने पर प्रतिबंध लगाया गया था. केवल 2 लोगों को ही एक साथ खड़े होने की अनुमती थी.

हालांकि, इसके विरोध के चलते करीब 10,000 लोगों ने जब जलियांवाला बाग में 13 अप्रैल 1919 को इसका विरोध किया था तो अंग्रेज अफसर जनरल डायर ने उनपर गोलियां चलवा दी थीं. इसमें तकरीबन 1000 भारतीयों की जान चली गई थी. 

ये भी पढ़ें