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21 जून को ही Yoga Day मनाने के पीछे है आध्यात्म और विज्ञान का फैक्टर, जानिए क्या है इससे जुड़ी पौराणिक कहानी

International Yoga Day 2022: दुनियाभर में 21 जून को इंटरनेशनल योग दिवस मनाने की तैयारी है. 21 जून को ही योग दिवस मनाने के पीछे आध्यात्मिक और वैज्ञानिक कारण है. इसके पीछे एक पौराणिक कहानी भी है.

21 जून को इंटरनेशनल योगा डे मनाने की पीछे विज्ञान का फैक्टर है 21 जून को इंटरनेशनल योगा डे मनाने की पीछे विज्ञान का फैक्टर है
हाइलाइट्स
  • 21 जून को इंटरनेशनल योगा डे मनाने के पीछे विज्ञान का फैक्टर है

  • इस दिन से पौराणिक कहानी भी जुड़ी है

योग दिवस की तैयारी हो चुकी है. पूरी दुनिया इस दिन को जोरशोर से मनाने के लिए तैयार है. लेकिन सबके मन में एक बात आती है कि योग दिवस 21 जून को ही क्यों मनाया जाता है, क्यों नहीं 20 जून या 23 जून को मनाया जा है. तो जान लीजिए कि योग दिवस की तारीख के पीछे भी आध्यात्म और विज्ञान का फैक्टर जुड़ा है.
 
21 जून को क्यों मनाया जाता है योग दिवस-
21 जून को योग दिवस मनाने की पीछे बड़ा फैक्टर है. इसको विज्ञान और आध्यात्म से जोड़ने की कोशिश की गई है. चलिए आपको बताते हैं कि 21 जून को ही क्यों इंटरनेशनल योग दिवस मनाया जाता है.

  • 21 जून को उत्तरी गोलार्द्ध यानि नॉदर्न हेमीस्फेयर का सबसे लंबा दिन होता है
  • आम दिनों के मुकाबले 21 जून को सूरज की किरणें ज्यादा देर तक धरती पर रहती है, जिसके कारण दिन बड़ा होता है
  • योग में इस घटना को संक्रमण काल कहते हैं
  • संक्रमण काल में योग करने से शरीर को बहुत फायदा मिलता है
  • साथ ही 21 जून को ही ग्रीष्म संक्रांति भी होती है
  • भारतीय परंपरा के अनुसार ग्रीष्म संक्रांति के बाद सूर्य दक्षिणायन हो जाता है
  • कहा जाता है कि सूर्य के दक्षिणायन का समय आध्यात्मिक सिद्धियां पाने के लिए बहुत लाभकारी होता है इसी वजह से 21 जून को 'अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस' के रूप में मनाते हैं 

 
21 जून से जुड़ी पौराणिक कहानी-
ग्रीष्म संक्रांति से जुड़ी एक पौराणिक कहानी भी है जो इस दिन योग का महत्व बताती है. दरअसल योग शब्द संस्कृत से लिया गया है. जिसका अर्थ होता है शामिल या एकजुट होना. योग एक शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक अभ्यास है. जो व्यक्ति को शांति, आत्मविश्वास और साहस प्रदान करता है. योगिक कथाओं में जिक्र मिलता है कि पहली बार भगवान शिव ने अपने 7 शिष्यों को योग सिखाया था. कहते हैं कि इन 7 ऋषियों को ग्रीष्म संक्रांति के बाद आने वाली पहली पूर्णिमा के दिन योग की दीक्षा दी गई थी. जिसे शिव के अवतरण के तौर पर भी मनाते हैं. इस दौर को दक्षिणायन के नाम से जाना जाता है. ये मान्यता है कि इस दौरान आध्यात्मिक साधना करना बेहद अनुकूल होता है. इसीलिए 21 जून की तारीख को योग दिवस के लिए चुना गया है.

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